लोन नहीं लिया बताया डिफाल्टर, उद्योगपति ने ठोंका एक हजार करोड़ का दावा

औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में फैक्ट्री लगाने वाले एक उद्योगपति के साथ इंदौर की एक बैंक ने ऐसा कांड कर दिया कि वह बेवजह डिफाल्टर बन गए। हालत यह हुई कि शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों को भी बैंक ने डिलिस्ट करा दिया।

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Sanjay gupta
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INDORE. इंदौर के पास औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में फैक्ट्री लगाने वाले एक उद्योगपति के साथ इंदौर के एक बैंक ने ऐसा कांड कर दिया कि वह बेवजह डिफाल्टर बन गए। हालत यह हुई कि शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों को भी बैंक ने डिलिस्ट करा दिया। इससे शेयर जमीन पर आ गए और आर्थिक घाटे में कंपनी चली गई। हाईकोर्ट में केस गया तो पता चला कि उसने न लोन लिया न ही वह डिफाल्टर है। अब उद्योगपति ने हाईकोर्ट फैसले के बाद बैंक पर 1000 करोड़ का क्षतिपूर्ति दावा लगा दिया है। 

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यह है मामला

उद्योगपति सुरेश शर्मा ने जिला कोर्ट में क्षतिपूर्ति का केस लगाया है। इसमें बताया है कि सिंडिकेंट बैंक जो अब केनरा बैंक के नाम से जानी जाती है, ने 14 साल तक उन्हें गारंटर, लोन गारंटर बताकर उनके खिलाफ समाचार पत्रों में वसूली नोटिस छपवाए। इससे उनकी साख खराब हुई। उन्होंने पीथमपुर में वर्टेक्स स्पिनिंग लिमिटेड नाम से यूनिट खोली थी। बाद में उन्होंने इसे दूसरों को दे दिया। साल 2006 में उनकी संपत्ति का आकलन 606 करोड़ रुपए था, वह बाद में कंपनी से अलग हो गए। कंपनी ने एक्रेलिक स्पिनिंग प्लांट के लिए 40 करोड़ रुपए का नया प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई और बैंक से 23 करोड़ रुपए का लोन लिया। बाद में बैंक और कंपनी के बीच विवाद हुआ, लेकिन इसमें उनका नाम घसीटा गया, जबकि वह तो 2006 में कंपनी से अलग हो चुके थे। शर्मा ने बार-बार बैंक को बताया भी कि कंपनी से उनका कुछ लेना देना नहीं है। लेकिन नहीं माना।

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फिर हाईकोर्ट में दायर किया केस 

इसके बाद शर्मा ने हाईकोर्ट की शरण ली और वहां पर जब हाईकोर्ट ने पूछा कि किस आधार पर शर्मा को गारंटर बताया और डिफाल्टर घोषित किया गया, तो बैंक अधिकारियों को सांप सूंघ गया वह कोई दस्तावेज ही पेश नहीं कर सके। हाईकोर्ट से उनके पक्ष में फैसला आया। अब शर्मा ने जिला कोर्ट में वाद दायर कर बैंक से क्षतिपूर्ति के लिए एक हजार करोड़ रुपए मांगे हैं, क्योंकि बैंक के इस कदम से उनकी साख धूमिल हुई और आर्थिक नुकसान हुआ।

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आशीष गुप्ता और सहयोगी अधिवक्ता काजल रघुवंशी ने हाई कोर्ट में पक्ष रखा। गुप्ता ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी उन्होंने हमारे पक्षकार की सिबिल ठीक नहीं करी और बेवजह उन्हें डिफाल्टर बताया था। अब इस मामले में 1000 करोड़ के दावा लगाया है

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