इंदौर में वित्तीय साल शुरू होने के बाद कुछ दुकानों पर शराब दुकान का विरोध होने लगा है। इसमें सबसे बड़ा मुद्दा बीजेपी दफ्तर के नीचे की शराब दुकान का है। इसे लेकर कुछ सालों पहले विरोध हुआ था लेकिन दुकान नहीं हटी। लेकिन इस बार नए नगराध्यक्ष सुमित मिश्रा ने ठेके होने के दौरान ही इसे लेकर खुली चेतावनी दे दी और कहा कि यह दुकान यहां से शिफ्ट करना होगी।
ठेके के बाद भी नहीं खुली दुकान
इस शराब दुकान का ठेका हो गया है, हालांकि नए ठेकेदार यहां पर आया है और 20 फीसदी बढ़ोतरी पर ठेकेदार ने रिन्यू नहीं कराया और जायसवाल ने यह ठेका लिया है। उन्हें एक अप्रैल से दुकान खोलना थी लेकिन बीजेपी नेताओं के फोन प्रशासन और आबकारी के पास चले गए और दुकान नहीं खुली।
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विभाग मांग रहा नेताओं से मोहलत
इसके बाद अब दुकानदार नई दुकान देख रहा है, लेकिन इसमें समय लगेगा। ऐसे में विभाग नेताओं से 15 से 20 दिन की मोहलत देने की मांग कर रहे हैं, जिससे सरकारी राजस्व का नुकसान नहीं हो। इसी पर अभी मुद्दा अटका हुआ है।
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आखिर लक्ष्य के करीब पहुंच गया इंदौर
इंदौर आबकारी में राजस्व के लिहाज से सबसे बड़ा शहर है। इस बार 20 फीसदी ग्रोथ के साथ लक्ष्य 1800 करोड़ था। फिर बीच में सहायक आयुक्त मनीष खरे का ट्रांसफर हुआ और अभिषेक तिवारी आए। उन्हें बहुत कम समय मिला और उन्हें बाकी समय में बाकी बचे 200 करोड़ करीब रुपए का राजस्व पूरा करते हुए सभी बाकी बची 18 दुकान भी देना थी। आखिरकार लगातार समझाइश, बैठक के बाद सहमति बनी और लक्ष्य के विरूद्ध 1754 करोड़ रुपए का राजस्व मिल गया।
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