इंदौर BRTS हटाने का फैसला आते ही जीपीओ, शिवाजी वाटिका से हटेंगी रेलिंग

मध्य प्रदेश में भोपाल के बाद अब इंदौर में भी BRTS हटाया जाएगा। हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब बीआरटीएस को हटाने का काम शुरू होगा। अब महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने अधिकारियों के साथ बैठक कर BRTS हटाने को लेकर घोषणा की है।

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Sanjay Gupta
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INDORE. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की घोषणा के बाद इंदौर बीआरटीएस (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) हटाने पर हाईकोर्ट जबलपुर की 27 फरवरी को मुहर लग गई। हाईकोर्ट जबलपुर का औपचारिक फैसला आने के 24 घंटे के भीतर ही 360 करोड़ की लागत का बीआरटीएस हटाने का काम शुरू किया जाएगा। इस संबंध में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने अधिकारियों के साथ बैठक के बाद शुक्रवार शाम को इसकी घोषणा की।

यहां से हटाई जाएगी बीआरटीएस की रैलिंग

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि ट्रैफिक सुगम के लिए सीएम डॉ. मोहन यादव ने अभूतपूर्व फैसला लिया और जबलपुर हाईकोर्ट ने भी आदेश दिया है। तय किया है कि बीआरटीएस का सर्वे और वैल्यूएशन कर इसके हटाने का काम चरणबद्ध तरीके से करेंगे। लेकिन जहां भी ट्रैफिक की समस्या है, खासकर जीपीओ चौराहे पर, शिवाजी वाटिका एरिया में, वहां बीआरटीएस की रैलिंग हटाने का काम शुक्रवार रात से ही शुरू कर दिया जाएगा। क्योंकि बस स्टाफ पर कई साफ्टेवयर आदि अन्य मशीनरी भी लगी है तो इसके पहले सर्वे और वैल्यूशन हो जाए, फिर इसमें चरणबद्ध तरीके से बढ़ेंगे।

शहर में यहां बनेंगे फ्लाईओवर ब्रिज

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री बोल चुके हैं बीआरटीएस को हटाकर यहां पर चौराहों पर जहां भी ट्रैफिक समस्या है, वहां फ्लाईओवर बनाएंगे। इसके लिए सर्वे टीम भी काम कर रही है। जिसकी जल्द रिपोर्ट आना है। कॉरिडोर में पहले ही भंवरकुआं चौराहे पर ब्रिज बन चुका है, सत्यसांई चौराहे पर काम जारी है। वहीं अब एलआईजी, पलासिया, गीताभवन, शिवाजी वाटिका और नौलखा चौराहे पर भी ब्रिज प्रस्तावित है।

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विवेक अग्रवाल का था ड्रीम, पूरा त्रिपाठी ने किया

यह बीआरटीएस का ड्रीम तत्कालीन कलेक्टर विवेक अग्रवाल का था, लोकल ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए यह प्रोजेक्ट शहर में लाया गया था, यह था तो काफी लंबा लेकिन प्रारंभिक चरण में केवल 11.50 किमी बना और फिर इसका विस्तार नहीं हुआ। इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने इस पर काफी काम किया और इसे सफलतापूर्वक रन कराया। उस समय एआईसीटीएसएल सीईओ संदीप सोनी ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई और लगातार नए प्रयोग के बाद इसे सुरक्षित बनाया और साथ ही यात्रियों की संख्या को रिकार्ड पार कराया। इससे यह भारत के बीआरटीएस में सबसे सफल प्रोजेक्ट में बन गया।

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इंदौर बीआरटीएस एक नजर में.... 

  • कुल 11.50 किमी लंबा।
  • लागत 360 करोड़ रुपए
  • 60 हजार से अधिक यात्री हर दिन यात्रा करते हैं।
  • यहां 12 बस स्टेशन है।

हाईकोर्ट में कमेटी की यह रिपोर्ट से हुआ था फैसला

सीनियर अधिवक्ता अमित अग्रवाल की चेयरमैनशिप में सितंबर 2023 को हाईकोर्ट इंदौर के फैसले के तहत बीआरटीएस इंदौर के अध्ययन के लिए और वर्तमान समय में यह प्रासंगिक है या नहीं इसकी रिपोर्च बनाने के आदेश हुए थे। इसमें आईआईटी, आईआईएम व ट्रैफिक एक्सपर्ट शामिल थेष पांच सदस्यीय कमेटी की हाईकोर्ट में रिपोर्ट में माना गया कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बीआरटीएस के दोनों और ट्रैफिक की समस्या हो रही है और इसे लेकर नई प्लानिंग हो रही है। इसे देखते हुए अब इसकी जरूरत नहीं है और नई प्लानिंग से ट्रैफिक व्यवस्थित करना जरूरी हो गया है। बीते 12 सालों में इंदौर में बहुत अधिक परिवर्तन हुए हैं और ट्रैफिक बढ़ा है और शहर भी तेजी से फैला है। ऐसे में कॉरिडोर की अब जरूरत नहीं है।

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कमेटी की रिपोर्ट पर लगी मुहर

याचिकाकर्ता किशोर कोड़वानी द्वारा यह याचिकाएं दायर की गई थी। इनकी याचिकाएं बाद में हाईकोर्ट जबलपुर शिफ्ट हुई थी। हाईकोर्ट जबलपुर ने कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर और शासन के शपथपत्र के आधार पर बीआरटीएस रिमूव के लिए कदम उठाने के लिए आदेश दे दिए।

लेफ्ट में चलेंगी बसें

इंदौर में बीआरटीएस हटाने के बाद रोड में लेफ्ट साइड लोकल ट्रांसपोर्ट बस चलेंगी। और इसके लिए लेफ्ट साइड में नए बस स्टेशन भी बनाए जाएंगे। कोशिश की जाएगी बारिश से पहले पूरा बीआरटीएस हटा दिया जाए।

भोपाल में पहले ही हट चुका है बीआरटीएस

भोपाल में बीआरटीएस हटाने का शासन के फैसले के तहत पहले ही फैसला हो चुका है। लेकिन इंदौर का बीआरटीएस सबसे सफल बीआरटीएस माना जाता है। हर दिन 60 हजार से अधिक यात्री इसमें सफर करते हैं। लेकिन चौराहों पर आ रही समस्या के चलते अब यहां अलग-अलग जगह पर 6 से अधिक फ्लाईओवर ब्रिज प्रस्तावित किए जा रहे हैं, इसकी रिपोर्ट बन रही है। इसके चलते अब यह फैसला हुआ है।

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