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Photograph: (the sootr)
INDORE. इंदौर जिले में हाल ही में एक बड़े सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में 251 जोड़ों का विवाह होना था, लेकिन एक चौंकाने वाला मामला सामने आया।
अगर महिला और बाल विकास विभाग के अधिकारी समय पर कार्रवाई नहीं करते, तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में 9 नाबालिग जोड़ों का विवाह हो जाता। यह घटना ‘श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा महोत्सव’ के दौरान हुई, जो सांवेर में आयोजित किया गया था।
विवाह के दिन जांच, उससे पहले आंखें बंद
इस आयोजन की तैयारियां कई दिनों से चल रही थीं। 251 जोड़ों के नाम, उम्र और दस्तावेजों की सूची विभाग के पास पहले से मौजूद थी। मुख्यमंत्री, जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अमला भी कार्यक्रम में शामिल होने वाला था।
इसके बावजूद विवाह के दिन दस्तावेजों की जांच में 9 जोड़े नाबालिग पाए जाना सिस्टम की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है। सवाल यह है कि अगर उम्र की जांच समय पर होती, तो मंच पर यह शर्मनाक स्थिति क्यों आती?
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बाल विवाह संज्ञेय अपराध, फिर कार्रवाई क्यों नहीं?
बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत पुरुष की न्यूनतम विवाह आयु 21 वर्ष और महिला की 18 वर्ष निर्धारित है। इसका उल्लंघन संज्ञेय और दंडनीय अपराध है।
फ्लाइंग स्क्वाड और महिला एवं बाल विकास विभाग खुद मानते हैं कि ऐसे मामलों में केवल परिवार ही नहीं, बल्कि आयोजन समिति भी बराबर की जिम्मेदार होती है। तो फिर बड़ा सवाल-अब तक किसी पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
मुख्यमंत्री की मौजूदगी में होता अपराध
अगर विभागीय टीम अंतिम समय पर हस्तक्षेप नहीं करती, तो नाबालिगों का विवाह मुख्यमंत्री और जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में हो जाता। यह सिर्फ एक प्रशासनिक चूक नहीं होती, बल्कि सरकार, प्रशासन और पूरे आयोजन की विश्वसनीयता पर गहरा सवाल खड़ा कर देती।
पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
यह पहला मौका नहीं है। इससे पहले भी जिले में आयोजित सामूहिक विवाह समारोहों में नाबालिग जोड़े सामने आते रहे हैं। इसके बावजूद न तो आयोजकों पर सख्त कार्रवाई हुई, न ही सिस्टम ने इससे कोई सबक लिया।
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जिम्मेदारी तय होनी चाहिए
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी रजनीश सिन्हा ने स्पष्ट किया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत तय उम्र से कम आयु में विवाह कराना अपराध है। वहीं फ्लाइंग स्क्वाड प्रभारी महेंद्र पाठक ने कहा कि नाबालिगों का विवाह न कराने की जिम्मेदारी केवल परिवारों की नहीं, बल्कि आयोजन समिति की भी होती है।
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