इंदौर निगमायुक्त की फटकार से पत्नी को मिली अनुकंपा नौकरी, अब आ गया नया मोड़

नगर निगम की जनसुनवाई में नगर निगम कमिश्नर ने प्रकरण को काफी समय तक लंबित रखने को लेकर स्थापना शाखा के राजेश करोसिया को फटकार लगाते हुए सस्पेंड कर दिया था।

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Vishwanath Singh
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इंदौर में एक निगमकर्मी की मौत के बाद उसके परिजन अनुकंपा नियुक्ति के लिए महीनों चक्कर काटते रहे। मामला मंगलवार को जनसुनवाई में निगमायुक्त शिवम वर्मा के पास पहुंचा। उन्होंने उपायुक्त को जमकर फटकार लगाई और साफ कह दिया कि दो घंटे में अनुकंपा नियुक्ति जारी नहीं हुई तो सस्पेंड कर दूंगा। वहीं, हाथों-हाथ एक को सस्पेंड भी कर दिया। इस फटकार के बाद शाम को नियुक्ति पत्र जारी हुआ, लेकिन अब इसमें नया मोड़ आ गया।

यह है मामला

नगर निगम की जनसुनवाई में नगर निगम कमिश्नर ने प्रकरण को काफी समय तक लंबित रखने को लेकर स्थापना शाखा के राजेश करोसिया को फटकार लगाते हुए सस्पेंड कर दिया था। करोसिया का कहना है कि नगर निगम के रिकॉर्ड में 2017 में ही मृतक पंकज ने अपनी पहली पत्नी दीपिका से तलाक होने पर मां का नाम दर्ज करवा दिया था। पंकज की मौत के बाद अचानक कविता दफ्तर आ गई और स्वयं को पंकज की दूसरी पत्नी बताने लगी। हमने जब उससे मैरिज सर्टिफिकेट और अन्य दस्तावेज मांगे तो वह कागज देने के बजाय जनसुनवाई में पहुंच गई।

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पंकज ने हटवा दिया था नाम

मृतक निगमकर्मी पंकज जोनल कार्यालय 2 के वार्ड 69 में पदस्थ था। उसे उसके मामा के मेडिकल के आधार पर नियुक्ति मिली थी। उसने ही 2017 में अपने सभी रिकॉर्ड में वारिस के रूप में पत्नी दीपिका का नाम हटवाकर मां कमला का नाम जुड़वा दिया था। उसने अपने निगम के किसी भी रिकॉर्ड में दूसरी पत्नी कविता का नाम दर्ज नहीं करवाया था।

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1 अप्रैल को ही मां पहुंची थी आपत्ति लगाने

मां कमलाबाई का कहना है कि नगर निगम की तरफ से उन्हें सूचना मिली थी कि पंकज की दूसरी पत्नी कविता अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए नगर निगम पहुंची है। इसको लेकर अपनी आपत्ति दर्ज करवाने के लिए 1 अप्रैल 2025 को वह भी नगर निगम पहुंची थी। वहीं, जनसुनवाई में भी वह मौजूद थी। निगमायुक्त की फटकार के बाद वह निगम के स्थापना के अफसरों के पास पहुंची थी और उसने अपनी आपत्ति दर्ज करवाई थी कि गलत तरीके से नियुक्ति देने जा रहे हैं।

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बीजेपी नेताओं के दबाव में आकर दी नियुक्ति

इस प्रकरण में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने आरोप लगाया है कि दूसरी पत्नी कविता को फर्जी तरीके से नियुक्ति दी गई है। उसका निगम के किसी भी रिकॉर्ड में नाम नहीं है। उसकी नियुक्ति के लिए बीजेपी नेताओं ने सिफारिश पत्र भी लगाए हैं। उन्होंने अफसरों को चेतावनी दी है कि अगर नियुक्ति आदेश वापस नहीं हुआ तो वे इसकी शिकायत लोकायुक्त में करेंगे।

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मां उम्र ज्यादा होने के कारण पात्र नहीं

निगम के जानकारों की मानें तो मृतक पंकज की मां कमला की उम्र लगभग 62 वर्ष है। ऐसी स्थिति में वह वारिसनामे के मुताबिक हकदार भी है, लेकिन नियमानुसार पात्र नहीं है। ऐसी स्थिति में उसे नौकरी नहीं मिल सकती, बल्कि ग्रेच्युटी व अन्य लाभ मिल सकते हैं। वहीं, कविता को अगर पत्नी मानते हुए नौकरी दी जानी थी तो पहले विधिक राय लेते हुए सेशन कोर्ट जाना था। वहां पर उसे अपने वारिस होने का दावा पेश कर आदेश लेना था। तभी नियुक्ति दी जानी थी। 

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