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INDORE. इंदौर के डेली कॉलेज में आगामी 12 नवंबर को होने वाली बोर्ड मीटिंग को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस बैठक में बोर्ड में कुछ जरूरी अमेंडमेंट (संशोधन) किए जाने हैं। वहीं, इनका विरोध बोर्ड के कुछ सदस्यों के जरिए किया जा रहा है।
सदस्यों का कहना है कि पहले ही चुनाव चार महीने आगे बढ़ा दिए गए हैं। वहीं, अब बिना उचित प्रक्रिया और सहमति के कोई संशोधन नहीं होना चाहिए।
इसी को लेकर हाई कोर्ट में संदीप पारीक वर्सेस डेली कॉलेज नाम से याचिका दायर की गई थी। इस पर सोमवार, 10 नवंबर को सुनवाई होनी थी। वहीं, इस दौरान एक वकील के न पहुंचने पर अगली सुनवाई 12 नवंबर को तय की गई है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि सुनवाई में क्या फैसला होगा।
दरअसल 12 नवंबर को एक तरफ बोर्ड मीटिंग होगी, तो दूसरी ओर न्यायालय में दायर याचिका की सुनवाई भी। ऐसे में यह बैठक डेली कॉलेज के भविष्य के प्रशासनिक ढांचे के लिए बेहद जरूरी मानी जा रही है। संस्थान के इतिहास, परंपरा और उसकी कामकाजी तरीके को देखते हुए यह मामला शिक्षा जगत की निगाहों में है।
बोर्ड की संरचना
डेली कॉलेज का बोर्ड कुल 9 सदस्यों का होता है। इनका कार्यकाल पांच वर्ष का रहता है। पिछली बोर्ड का चुनाव 12 दिसंबर 2020 को हुआ था। वही, इसका कार्यकाल समाप्त होने पर इसे चार माह के लिए बढ़ाया गया है।
बोर्ड में सदस्यता तीन श्रेणियों में तय होती है
दो पूर्व छात्र, दो ओल्ड डोनेट सदस्य, एक न्यू-डोनेट सदस्य, जो नॉन-डेली कॉलेज से होता है। इसके अलावा दो सदस्य सरकार के जरिए नियुक्त किए जाते हैं। इनका चयन मुख्यमंत्री करते हैं। वहीं, कॉलेज के प्रिंसिपल बोर्ड के सेक्रेटरी होते हैं।
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डेली कॉलेज-देश के गौरवशाली संस्थानों में से एक
यह कॉलेज करीब 150 साल पुराना है। वर्तमान में यहां लगभग 1600 छात्रों को पढ़ा जा रहा है। यहां बोर्डिंग और डे-बोर्डिंग दोनों की सुविधाएं हैं। संस्थान में लगभग 300 स्टाफ काम कर रहे हैं।
बोर्ड के वर्तमान सदस्य
बोर्ड में इस समय ये सदस्य शामिल हैं-
- अध्यक्ष- विक्रमसिंह पंवार
- उपाध्यक्ष- राजवर्धन सिंहनरसिंहपुर के
- प्रियव्रत खिलची, हरपाल सिंह (मोनू भाटिया), धीरज लुल्ला, संजय पाहवा, करण नरसरिया, संदीप पारिख और महाराजा नरेंद्र सिंह झाबुआ हैं।
कलेक्टर से बैठक रुकवाने का आग्रह
12 नवंबर को डेली कॉलेज बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक होनी है। वहीं, इसको लेकर बोर्ड के कुछ सदस्य और पालक ने कलेक्टर शिवम वर्मा से मुलाकात की है। उन्होंने कलेक्टर से आग्रह किया है कि चुनाव के संविधान में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए।
साथ ही, पालकों ने कहा कि पहले ही चुनाव की तारीख आगे बढ़ा दी गई है, ऐसे में अभी किसी भी तरीके से संविधान में बदलाव नहीं होना चाहिए। वहीं बोर्ड बैठक में जो भी फैसला लिया जाए, वह कॉलेज और छात्रों के हित में रहे। सरकारी नियमों का पालन करें, यही उचित होगा।
छात्रों का हित प्रभावित होने की आशंका
पालकों का कहना था कि जब मामला कोर्ट में है, तो बोर्ड बैठक क्यों की जा रही है? फैसलों से छात्रों के हित प्रभावित होने की आशंका है, इसलिए बैठक को निरस्त किया जाना चाहिए। कलेक्टर ने कहा कि मामले में जो शिकायत मिली थी, उसकी जांच की जाएगी।
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