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Indore. मध्यप्रदेश के इंदौर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के आईईटी परिसर में रैगिंग कांड के बाद हुए जेन जी (Gen Z) मामले में अब विश्वविद्यालय ने मंगलवार देर रात 11 बजे यू-टर्न ले लिया है। विश्वविद्यालय ने भारी विवाद और चौतरफा आ रहे दबावों के बाद इस मामले से पल्ला झाड़ लिया और कहा कि जेन जी जैसा कुछ भी नहीं है। उधर एंटी रैगिंग कमेटी की रिपोर्ट, खुद थाने में विश्वविद्यालय द्वारा दी गई लिखित शिकायत और कुलपति राकेश सिंघई के बयान में जेन जी का जिक्र किया गया है। यह बात प्रॉक्टोरियल बोर्ड की बैठक के बाद कही गई, अब सवाल यह है कि बोर्ड की बात सही है या एंटी रैगिंग कमेटी, खुद विश्वविद्यालय द्वारा थाने में दी गई शिकायत या कुलपति का बयान सही है।
विश्वविद्यालय ने जारी किया प्रेस नोट
विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. चंदन गुप्ता ने यह प्रेस नोट जारी किया। इसमें लिखा है- "आईईटी के छात्रावास में तोड़फोड़ से संबंधित घटना एवं अन्य शिकायतों की जांच हेतु विश्वविद्यालय प्रॉक्टोरियल बोर्ड की बैठक आईएमएस, देवी विश्वविद्यालय इंदौर में आज दिनांक 30-9-25 को अपराह्न 3:00 बजे आयोजित की गई। प्रकरण पर विस्तृत चर्चा के दौरान मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रॉक्टोरियल बोर्ड द्वारा संबंधित छात्रों के बयान लेने के साथ ही WhatsApp चैट आदि देखने के बाद यह पाया गया कि इस घटना में जेन जी जैसा कोई प्रकरण नहीं है। छात्रों द्वारा CCTV कैमरों की तोड़फोड़ एवं DVR चोरी करके ले जाना अनुशासनहीनता है एवं छात्रावास के नियमों का उल्लंघन है। इस घटना में संलिप्त दोषी छात्रों को छात्रावास से निष्कासित कर नुकसान की भरपाई हेतु आर्थिक दंड लगाने का निर्णय प्रॉक्टोरियल बोर्ड द्वारा लिया गया।"
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कुलपति ने जेन जी को लेकर यह कहा
कुलपति डॉ. राकेश सिंघई का मंगलवार को दिया बयान है कि- "इसे नेपाल जैसे जेन जी आंदोलन से जोड़ना ठीक नहीं है, इसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए। किसी छात्र ने जेन जी शब्द का इस्तेमाल किया है। हाल ही में रैगिंग मामले में कुछ छात्रों पर कार्रवाई की गई थी, कुछ पर दंड लगा, कुछ को होस्टल से बाहर किया गया और सेमेस्टर से डिबार किया गया। इससे उनमें आक्रोश था, ऐसा लगता है कि वे इस तरह विश्वविद्यालय के छात्रों को भड़काना चाहते थे। इसलिए उन्होंने जूनियर को धमकाने का काम किया और विश्वविद्यालय के बाहर रेस्टोरेंट में बुलाकर उन्हें निर्देश दिए गए। उनके ईमेल और ट्विटर अकाउंट बनवाए गए।"
थाने में दी शिकायत में सत्ता विरोधी आंदोलन की बात
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा इस मामले में थाने में जो लिखित शिकायत दी गई है, उसमें साफ तौर पर लिखा है कि आरोपी छात्र एंटी इस्टेब्लिशमेंट (सत्ता विरोधी- जैसा कि नेपाल में हुआ) माहौल करना चाहते थे। छात्रों को धमकाया गया, फेक जीमेल आईडी और ट्विटर अकाउंट बनाने के लिए मजबूर किया गया, बाद में डिजिटल छात्र मिटाए गए। रैगिंग की। इसके लिए आरोपी छात्र अमन पटेल, आदर्श मकवाना, आदित्य शर्मा, अनुज पटेल, उमंग अग्रवाल के खिलाफ केस दर्ज किया जाए।
एंटी रैगिंग कमेटी की रिपोर्ट में यह है
एंटी रैगिंग कमेटी की रिपोर्ट में है कि संस्थान के सीनियर छात्रों ने फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स पर दबाव डालकर उनसे फेक आईडी बनवाने, सोशल मीडिया पोस्ट वायरल करने के लिए कहा था। साथ ही कहा था कि नेपाल में हुए जेन जी स्टाइल प्रोटेस्ट की तर्ज पर विरोध की तैयारी करना है। सभी से कम से कम दो ट्विटर अकाउंट बनाने और सभी सीनियर्स के होने वाले मैसेज को रिट्वीट करने के लिए आदेश दिया गया था। साथ ही चेतावनी थी कि ऐसा नहीं करने पर बाहर करा देंगे। सभी के फेक ईमेल आईडी भी बनवाए गए।
एंटी रैगिंग कमेटी ने यह भी दी है रिपोर्ट
एंटी रैगिंग कमेटी ने कहा है कि आईईटी में मामला सिर्फ रैगिंग का नहीं बल्कि सीनियर्स की संगठित प्लानिंग हो रही है। इसके लिए यह बकायदा नियमित मीटिंग करते थे।
रेस्टोरेंट में हुई मीटिंग में जेन जी आंदोलन की बात
एंटी रैगिंग कमेटी ने बताया कि शिवसागर रेस्टोरेंट में जाने के लिए अमन पटेल का मैसेज आया था। यहां प्रथम वर्ष के छात्रों से उनके व्यक्तिगत जीमेल के अलावा अलग से फेक जीमेल और ट्विटर अकाउंट खुलवाए गए।
सभी को ज्यादा से ज्यादा फेक आईडी बनाने के लिए कहा और सबको कम से कम दो ट्विटर अकाउंट बनाना है और जो भी हम मैसेज करेंगे, उसे ज्यादा से ज्यादा रीट्वीट करना होगा, ऐसा करके हैशटैग को वायरल करना होगा।
यह भी कहा गया कि जैसा नेपाल में जेन जी जैसा प्रोटेस्ट हुआ है, वैसा ही प्रोटेस्ट यहां भी करना है।
अमन पटेल के कहने पर प्रथम वर्ष के छात्र विवेक शर्मा ने प्रथम वर्ष के सभी छात्रों के मोबाइल से इस संबंध में किए गए सभी व्हाट्सएप मैसेज भी डिलीट करवाए।
कांग्रेस का आरोप
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अमित चौरसिया ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले दिनों सामने आए मामलों से यह स्पष्ट है- 19 अगस्त 2025 को IET हॉस्टल के एक फर्स्ट ईयर छात्र ने UGC की एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन पर शिकायत की थी कि सेकेंड ईयर के सीनियर्स ने उसे मजबूर किया कि वह फर्जी ई-मेल और ट्विटर अकाउंट बनाकर सोशल मीडिया पर भाजपा समर्थित पोस्ट वायरल करे। सीनियर्स न सिर्फ छात्रों को धमका रहे थे बल्कि उन्हें सिगरेट पीना और जबरदस्ती सीनियर्स को झुककर विश करना सिखाया गया। इस घटना के बाद भी जिम्मेदार छात्रों पर हल्की कार्रवाई कर उन्हें मात्र हॉस्टल से निकालने का दिखावा किया। अब Gen Z प्रोटेस्ट की आड़ में जो साजिश सामने आई है, उसमें छात्रों पर फर्जी आईडी बनाने, विशेष हैशटैग वायरल करने और आंदोलन की तैयारी का दबाव डाला गया। यह एबीवीपी नेताओं की अंदरुनी वर्चस्व की लड़ाई का ही परिणाम है। इसमें भोले-भाले फर्स्ट ईयर के विद्यार्थियों को मोहरा बनाया जा रहा है। यह भी अपने आप में गंभीर तथ्य है कि आरोपी छात्र अमन पटेल पूर्व में DAVV कार्यकारिणी में एबीवीपी का सह मंत्री रह चुका है। यह संगठनात्मक अराजकता एबीवीपी के भीतर की सत्ता संघर्ष को उजागर करती है।