/sootr/media/media_files/2025/09/14/indore-divisional-commissioner-ias-sanjay-dubey-sudam-khade-shivam-verma-2025-09-14-14-00-22.jpg)
मप्र शासन द्वारा सोमवार देर रात किए गए आईएएस ट्रांसफर में चौंकाने वाला ट्रांसफर आईएएस दीपक सिंह का रहा। उनकी जगह बैच 2006 के आईएएस डॉ. सुदाम पंढरीनाथ खाड़े नए संभागायुक्त हुए हैं। हाल के समय में तेजी से संभागायुक्त पद पर बदलाव हुए हैं। बीते सालों में केवल आईएएस संजय दुबे ही रहे हैं जो इस पद पर एक-दो साल नहीं पूरे पांच साल तक पदस्थ रहे और वह भी बेदाग और बिना विवाद के। हाल के समय में कलेक्टर भी जल्दी-जल्दी बदले, लेकिन अब खाड़े और शिवम वर्मा इंदौर केलक्टर के लिए लंबी पारी का रास्ता साफ है।
दुबे के बाद केवल शर्मा का ही कार्यकाल थोड़ा लंबा रहा
आईएएस संजय दुबे (वर्तमान में एसीएस नगरीय प्रशासन) ने संभागायुक्त इंदौर के पद पर मार्च 2013 से अप्रैल 2018 तक का लंबा कार्यकाल निकाला। उनका कार्यकाल सबसे सक्रिय संभागायुक्त तौर पर याद किया जाता है। उन्होंने जिलों में भी अपनी कार्य़शैली से धाक जमाई।
दुबे के बाद संभागायुक्त बने राघवेंद्र सिंह सरकार बदलने के चलते मई 2018 से जनवरी 2019 में ट्रांसफर हो गए। उनकी जगह आकाश त्रिपाठी ने 30 जनवरी 2019 को पद संभाला। लेकिन फिर कांग्रेस सरकार पलटी और बीजेपी फिर से आई और उन्हें भी जून 2020 में ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बाद पवन शर्मा ने कमान संभाली और वह जून 2020 से विधानसभा चुनाव के पहले तक जुलाई 2023 तक पद पर रहे और उनका कार्यकाल भी अच्छा निकला।
ये भी पढ़िए... मध्यप्रदेश: एमपी में 14 आईएएस का ट्रांसफर, आशीष सिंह उज्जैन और सुदाम खाड़े बनाए गए इंदौर कमिश्नर
हरदा ब्लास्ट से निपट गए भायड़िया
शर्मा के बाद संभागायुक्त पद पर मालसिंह भायड़िया की पोस्टिंग हुई। लेकिन वह अगस्त 2023 से केवल मार्च 2024 तक 8 महीने ही पद पर रह सके और फरवरी में हुए हरदा पटाखा ब्लास्ट केस में नाम आने से उनकी विदाई हो गई।इसके बाद मार्च 2024 में दीपक सिंह को संभागायुक्त पद दिया गया। लेकिन वह भी 18 महीने में ट्रांसफर हो गए।
ये भी पढ़िए... केंद्र में 35 अफसरों की पोस्टिंग बदली, एमपी के IAS पवन शर्मा समेत तीन अफसरों के नाम
कलेक्टर पद भी जोगी जैसा 5 साल किसी का नहीं
इसी तरह इंदौर कलेक्टर पर भी अभी हाल के समय में जल्दी बदलाव हुए हैं। हालांकि इंदौर में कलेक्टर पद वैसे ही औसतन दो साल का रहा है। समय, काल, परिस्थितियां ठीक होने पर पौने तीन साल तक का समय भी निकला है, इसमें बीते सालों में आकाश त्रिपाठी और मनीष सिंह के नाम सामने आते हैं। लेकिन निशांत वरवड़े बीजेपी सरकार जाने औऱ कांग्रेस सरकार आने से केवल 18 महीने में चले गए, फिर लोकेश जाटव भी कांग्रेस जाने और बीजेपी के फिर आने से 15 महीने में चले गए, उधर डॉ. इलैयाराजा टी भी शिवराज सिंह चौहान के जाने और डॉ. मोहन यादव के सीएम बनने से 14 महीने में ही चले गए।
ये भी पढ़िए...IAS गुंचा सनोबर : देश की लाखों बेटियों के लिए प्रेरणा हैं आईएएस गुंचा
आशीष सिंह की कार्यशैली की मुरीद सरकार ने पहले किया पदोन्नत
बैच 2010 के आईएएस आशीष सिंह की कार्यशैली की मुरीद मोहन सरकार ने उन्हें पहले भोपाल से 5 जनवरी 2024 को इंदौर कलेक्टर बनाया। इसके बाद समय से पहले ही उन्हें पदोन्नत करते हुए केवल 21 महीने के कार्यकाल में ही संभागायुक्त उज्जैन कर दिया। कारण सिंहस्थ की व्यवस्थाएं संंभालना। हालांकि वह सचिव स्तर पर 1 जनवरी 2026 में पदोन्नत होंगे।
ये भी पढ़िए... MP News: इंदौर में कुत्ते का नाम शर्माजी रखने पर विवाद, पड़ोसी को चिढ़ाने के लिए किया मजाक, जमकर चले लात-घूसे
खाड़े और शिवम के लिए लंबी पारी का रास्ता साफ
लेकिन अब इस उठापटक के बीच संभागायुक्त के तौर पर खा़ड़े और कलेक्टर के तौर पर शिवम वर्मा की लंबी पारी का रास्ता साफ हो गया है। कारण है कि खाड़े की कार्य़शैली सीएम पसंद करते हैं और सीएम और सीएस ने मिलकर उन्हें इंदौर भेजने का फैसला लिया है। वहीं अब सिंहस्थ व अन्य महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट देखते हुए की पोस्ट पर हेरफेर नहीं होगा। इसमें संभागायुक्त का पद भी है।
इसी तरह का माहौल शिवम वर्मा के लिए है। वह 2013 बैच के अधिकारी है, यानी उन्हें पदोन्नत होने में पूरे तीन साल का समय है। ऐसे में पूरी उम्मीद है कि वह अब सिंहस्थ तक इंदौर कलेक्टर के रूप में इस पद पर रह सकते हैं और विधानसभा चुनाव 2028 के पूर्व ही ट्रांसफर हो सकते हैं। सिंहस्थ के लिए संभागायुक्त उज्जैन आशीष सिंह भी इंदौर, उज्जैन और देवास में खासकर चाहेंगे कि फील्ड के बेहतरीन अधिकारी ही इन जिलों में की पोस्ट जैसे कलेक्टर, निगमायुक्त, विकास प्राधिकरण, एमपीईबी एमडी जैसे पदों पर रहें, जिससे सिंहस्थ के कामों के लिए बेहतर समन्वय से अच्छी व्यवस्थाएं हो सकें।