BHOPAL. इंदौर ( INDORE ) में इलाज में लापरवाही बरतने पर एक महिला की मौत हो गई। डॉक्टर ( Doctor ) और अस्पताल के खिलाफ अब पति ने उपभोक्ता फोरम में केस लगा दिया है। फोरम ने डॉक्टर और अस्पताल को आदेश दिया है कि वे महिला के पति को 10 लाख रुपए क्षतिपूर्ति के रूप में दें। भुगतान 30 दिन के भीतर करना होगा अन्यथा इस राशि पर आठ प्रतिशत की दर से ब्याज भी लगेगा। आयोग ने परिवाद व्यय के रुप में 10 हजार रुपए अलग से देने को भी कहा है।
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क्या था पूरा मामला ?
दरअसल ये पूरा मामला साल 2017 का है। इंदौर के प्रजापत नगर निवासी सुषमा डंगावकर 22 जून 2017 को पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत हुई तो रामचंद्र नगर स्थित क्लीनिक पहुंची। क्लीनिक में डॉ.चंद्रश्री अग्रवाल के डॉक्टर ने यूटरस में संक्रमण होने पर उसे निकालने की बात कही। इस पर डॉ.अग्रवाल ने पहले खुद इलाज किया। इसके बाद जब मरीज के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ तो उन्हें दूसरे डॉक्टर को दिखाने की सलाह दी और दूसरे अस्पताल में रैफर कर दिया। इलाज के लिए एयरपोर्ट रोड स्थित गीतांजलि अस्पताल में भर्ती किया गया। यहां पर ऑपरेशन हुआ लेकर कोई कोई सुधार नहीं हुआ। आखिरकार 26 जून 2017 को सुषमा की मौत हो गई।
पति उमेश ने खटखटया उपभोक्ता आयोग का दरवाजा
पति उमेश राव ने गीतांजलि अस्पताल, डॉ.चंद्रश्री अग्रवाल और अन्य के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद लगाया। डॉक्टर की लापरवाही से मौत होने की बात कही गई। मामले में दस लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने के निर्देश आयोग ने दिए हैं। परिवाद में उन्होंने कहा कि डॉक्टर और अस्पताल की लापरवाही से उनकी पत्नी की मृत्यु हुई है। उनकी पत्नी को जो बीमारियां बताई गई थी वो दोनों ही जीवन के लिए घातक नहीं थीं और उपचार योग्य थीं, लेकिन डॉक्टर बीमारी की पहचान ही नहीं कर सके। अगर उनकी पत्नी को पर्याप्त उपचार मिल गया होता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। उपचार में बरती गई लापरवाही के चलते उनकी पत्नी की मृत्यु हुई है। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संत्रास और परेशानी भी हुई है।
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मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर दिया फैसला
उपभोक्ता आयोग ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए लापरवाही बरतने वाले डा. चंद्रश्री अग्रवाल और गीतांजलि अस्पताल को आदेश दिया कि वे सुषमा डगांवकर के पति को क्षतिपूर्ति के रूप में 10 लाख रुपये का भुगतान करें।