इंदौर ED ने 110 करोड़ के बैंक लोन घोटाले में कैलाश गर्ग व अन्य के खिलाफ चालान किया पेश

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 110 करोड़ रुपए के बैंक लोन घोटाले में कैलाश गर्ग और अन्य 14 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया है। इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है।

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Sanjay Gupta
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Indore News: प्रवर्तन निदेशालय (ED) इंदौर ने 110 करोड़ के बैंक लोन घोटाले में  उद्योगपति कैलाश गर्ग और उनके 14 अन्य साथियों के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में चालान पेश कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संज्ञान लिया है। यह केस मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (Money Laundering Act) के तहत दायर किया गया है।

ईडी ने यह दी जानकारी

ईडी ने बताया कि सीबीआई, एसी-IV, व्यापम, भोपाल ने आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद जांच शुरू हुई। फिर सीबीआई ने मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और कई अन्य संस्थाओं और लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।

इस तरह बैंकों से किया गबन

ईडी की जांच में यह सामने आया कि कैलाश चंद्र गर्ग के नियंत्रण वाली नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने यूको बैंक और अन्य बैंकों के एक संघ से साख पत्र (एलसी) और निर्यात पैकिंग क्रेडिट (ईपीसी) के जरिए करीब 110.50 करोड़ रुपए का लोन धोखाधड़ी से लिया था। जांच में यह भी पता चला कि असल में कोई खरीद या निर्यात नहीं किया गया था। इसके बजाय, इस लोन को अंबिका सॉल्वेक्स लिमिटेड और उसकी अन्य समूह कंपनियों के जरिए घुमा दिया गया। ऋण की रकम बाद में व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट लाभ के लिए डायवर्ट कर दी गई, और इसके लिए कैलाश चंद्र गर्ग द्वारा नियंत्रित कंपनियों और फर्मों का नेटवर्क इस्तेमाल किया गया।

ईडी संपत्ति भी कर चुका है अटैच

यूको व अन्य बैंक से 110 करोड़ का बैंक लोन लेकर डिफाल्ट करने वाले इंदौर के कैलाश गर्ग की 1.14 करोड़ और 26.53 करोड़ की संपत्तियां अटैच कर चुका है। इसी मामले में ईडी ने 31 जनवरी 2024 को भूमाफिया चंपू उर्फ रितेश अजमेरा व गर्ग के घर पर छापे भी मारे थे।

सीबीआई ने 2020 में दर्ज की थी एफआईआर

यूको बैंक की शिकायत पर सीबीआई ने 5 नवंबर 2020 पर बैंक लोन घोटाले में मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्रालि कंपनी मंदसौर, सुरेश गर्ग (निधन हो चुका), कैलाश गर्ग और दो अन्य अज्ञात लोक सेवक पर 120 बी व 420 की धारा में एफआईआर दर्ज की। इसमें कहा गया कि बैंक लोन लिया गया और इस लोन को गर्ग परिवार दवारा अपनी सिस्टर कंसर्न कंपनी में शिफ्ट कर दिया गया। यह बैंक लोन का फंड सिस्टर कंसर्न कंपनियों नारायण ट्रेडिंग कंपनी, रामकृष्णा साल्वेक्स, पदमावती ट्रेडिंग, मंदसौर सेल्स कॉर्पोरेशन में शिफ्ट हुआ। बैंक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि इन कंपनियों के डायरेक्टर, लोन लेने वाली कंपनी से ही लिंक थे।

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इन तीन बैंकों के पैसे डूबे

यूनियन बैंक एमजी रोड रीगल चिराहा ने 38.44 करोड़ का लोन दिया था। इसमें से 33.44 करोड़ डूब गए, यूको बैंक न्यू पलासिया ने 34.28 करोड़ रुपए का लोन दिया और यह पूरा डूब गया। पंजाब नेशनल बैंक, मनोरमागंज ने 33.84 करोड़ रुपए का लोन दिया और इसमें से 33.44 करोड़ रुपए डूब गए।

गर्ग के खेल में चंपू की भी रही ऐसे भागीदारी

सेटेलाइट हिल कॉलोनी साल 2007 में ही टीएंडसीपी में पास हुई। इसके साथ ही इसमें खरीदी-बिक्री शुरू हो गई। चंपू औऱ् योगिता अजमेरा को गर्ग ने कंपनी डायेरक्टर बनाया। बाद में चंपू को प्लाट की सौदे बाजी के अधिकार दिए गए। चंपू ने जमकर बेचे।

वहीं प्लॉट की बिक्री के बाद साल 2011-12 के दौरान गर्ग ने सेटेलाइट हिल की जमीन व अन्य जगह की जमीन व अन्य संपत्तियों को गिरवी रख कर बैंक लोन ले लिया। इस पूरे खेल में चंपू और गर्ग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी ढोल रहे हैं औऱ् बीच में बैंक वाले और 71 प्लाटधारक उलझ गए।

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सेटेलाइट की इन जमीनों पर लिया गया बैंक लोन

मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 110.50 करोड़ रुपए के लोन के लिए एवलांच रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से कैलाश गर्ग द्वारा सेटेलाइट हिल्स कॉलोनी की जमीन को गिरवी रखा। यह जमीन सर्वे नंबर 111, 112, 114/1/1, 114/2, 123, 124, 125, 130/3, 130/4, 138, 138/1, 140/1, 140/2, 215/1/1, 215/1/2, 215/1/3 और 215/1/4 के तहत आती थी। हालांकि, इन जमीनों को पहले ही भूखंडों में विभाजित करके बेच दिया गया था। प्लॉट की बिक्री का काम चंपू अजमेरा ने किया था।

चंपू, योगिता रहे थे कंपनी में डायरेक्टर

सेटेलाइट कॉलोनी एवलांच कंपनी जो साल 2008 में चुघ ने बनाई लांच की गई थी। इसके बाद चुघ हट गए और कैलाश गर्ग व सुरेश गर्ग आ गए। बाद में प्रेमलता गर्ग और भगवानदास होटलानी डायरेक्टर बने। गर्ग ने यूको बैंक, पंजाब नेशनल बैंक से 110 करोड़ का लोन लिया। कंपनी ने 10 अप्रैल 2008 को प्रस्ताव पास कर चंपू को डेवलपर्स बनाते हुए सौदे करने की पॉवर ऑप एटार्नी दे दी। वहीं नारायण एंड अंबिका साल्वेक्कस इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी बनी जिसमें क़ॉलोनी के डेवलपर्स का काम लिया। इस कंपनी में चंपू और योगिता दोनों डायेरक्टर बने, यह साल 2009-10 तक डायरेक्टर बने। कॉलोनी के सौदे और बिक्री चंपू ने की। इस मामले में कैलाश गर्ग प्लाट के विवाद पर यह कहता है कि मैंने वह जमीन गिरवी नहीं रखी जो चंपू ने बेची, मैंने दूसरी जमीन गिरवी रख बैंक से लोन लिया था। वहीं चंपू कहता है कि प्लाट की जमीन गर्ग बैंक में गिरवी रख लोन ले चुका है., मैं अब प्लाट, राशि नहीं दे सकता हूं।

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