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The Sootr
इंदौर में कनाड़िया थाना क्षेत्र के किसान बाबूलाल की हत्या के मामले में अब एक और नया खुलासा हुआ है। उसमें पता चला है कि जो जमीन आरोपियों ने बिल्डर कटारिया को बेची, उस जमीन का नामांतरण बिना रजिस्ट्री ही हो गया। वहीं, यह जमीन सरकारी रिकॉर्ड में मृतक बाबूलाल की मां और पिता के नाम पर दर्ज थी। यह आरोपियों के नाम पर 1995 में कैसे चढ़ गई? वहीं, इस पूरे मामले में कनाड़िया पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि वह अभी तक बिल्डर अनूप कटारिया और बीजेपी के पूर्व सरपंच कमल पटेल के बयान तक नहीं ले पाई है। हालांकि परिजनों की मानें तो कटारिया कुछ दिन पूर्व कनाड़िया थाने भी गया था। यहां पर वह कुछ घंटे तक रुका भी था।
एक–दूसरे पर ढोल रहे पूरा मामला
इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारी अपने निचले अफसर और नीचे के अफसर अपने वरिष्ठ अफसरों पर प्रकरण ढोल रहे हैं। जब डीसीपी जोन 2 अभिनय विश्वकर्मा से बात करने के लिए कॉल किया तो उन्हाेंने एडिशनल डीसीपी अमरेंद्र सिंह का नंबर दे दिया। सिंह से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि पूरे प्रकरण में टीआई स्तर पर ही कार्रवाई हो रही है। कुछ लोगों के बयान तो हुए हैं, लेकिन बिल्डर कटारिया के बयान हुए या नहीं, इसकी जानकारी नहीं है। टीआई से ही सारी जानकारी मिल सकती है। वहीं, जांचकर्ता एसआई सुरेंद्र सिंह का कहना है कि टीआई के निर्देशन में ही पूरी जांच चल रही है।
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पुलिस ने परिजनों के बयान अलग लिखे
मृतक किसान बाबूलाल की पत्नी रेखा और मां भगुबाई ने आरोप लगाया है कि कनाड़िया पुलिस के एसआई सुरेंद्र सिंह ने उनके बयान को तोड़मरोड़कर अपने हिसाब से दर्ज कर लिया है। परिजनों का कहना है कि उन्होंने बयान में स्पष्ट कहा था कि बाबूलाल की हत्या में तीनों आरोपियों के अलावा भुवान सिंह, सालिगराम, पूर्व सरपंच कमल पटेल और बिल्डर अनूप कटारिया भी शामिल हैं। मृतक की बेटी पायल ने आरोप लगाया कि एसआई सुरेंद्र ने जानबूझकर बयान के आखिर में लिख दिया कि इन लोगों पर शंका है। इसके अलावा परिजनों ने 896 रकबे की उपरोक्त 6.24 एकड़ जमीन के अवैध नामांतरण की भी शिकायत की थी। इस पर कनाड़िया पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
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इसलिए बिल्डर की भूमिका को पुलिस मान रही संदिग्ध
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परिजनों ने द सूत्र को बताया कि कनाड़िया की जिस साढ़े 6 एकड़ (लगभग 10 बीघा) जमीन को बाबूलाल ने बेचा ही नहीं, तो फिर वह आरोपियों मानसिंह, भुवान सिंह, सालिगराम और घनश्याम के नाम से सरकारी रिकॉर्ड में कैसे दर्ज हो गई?
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बिना दस्तावेज देखे सरकारी विभाग के अफसरों ने वही जमीन आरोपियों से बिल्डर अनूप कटारिया को बेचना कैसे दिखा दिया?
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जिस जमीन की रजिस्ट्री ही नहीं गई, तो फिर उसका नामांतरण आरोपियों ने कैसे करवा लिया?
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बिल्डर कटारिया ने खुद माना कि यह साढ़े 6 एकड़ जमीन उन्होंने आरोपियों से ही खरीदी थी, लेकिन झगड़ा वे उसके पास वाली 8 बीघा जमीन को लेकर बता रहे हैं।
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उक्त साढ़े 6 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री व अन्य दस्तावेज अभी तक कनाड़िया थाने में न तो बिल्डर ने दिखाए और न ही आरोपी बता पाए हैं। चेन ऑफ डॉक्यूमेंट को लेकर भी संशय की स्थिति है।
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कमल पटेल पैसे दे रहा था, बाबूलाल अड़े थे
मृतक बाबूलाल के परिजनों ने यह भी आरोप लगाया है कि कमल पटेल आए–दिन बाबूलाल के साथ बैठक कर मामले को निपटाने के लिए कहता रहता था। इसके लिए उसने कुछ रुपए भी ऑफर किए थे, लेकिन बाबूलाल नहीं माने। परिजनों ने यह भी खुलासा किया है कि कमल पटेल ने ही बिल्डर कटारिया से आरोपियों की जमीन को लेकर डील करवाई थी। अगर सौदा टूटता तो सारी बात कमल के ऊपर आ जाती। इसके कारण वह बार–बार बाबूलाल को बात करने के लिए बुला रहा था।
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पुलिस ने दिया तहसीलदार को नोटिस
किसान की जमीन के मामले में अब कनाड़िया पुलिस कागजों की पड़ताल कर रही है। इसके लिए उसने तहसीलदार शेखर चौधरी को नोटिस देकर जानकारी मांगी है। असल में आरोपियों ने बाबूलाल की जिस जमीन का सौदा बिल्डर कटारिया से कर दिया था, उसकी रजिस्ट्री नहीं की गई थी, लेकिन नामांतरण आरोपियों ने करवा लिया था। अगर बिना रजिस्ट्री के नामांतरण करवाना पाया गया, तो तहसील कार्यालय भी कार्रवाई की जद में आ जाएगा।
इस पर होनी है जांच
किसान बाबूलाल परमार पिता बजे सिंह परमार की हत्या की मुख्य वजह ग्राम कनाड़िया का खसरा नंबर 896/1 रकबा 1.619 हेक्टेयर और खसरा नंबर 896/2 रकबा 0.606 हेक्टेयर जो बाबूलाल परमार की माँ मांगू बाई और पिता बजे सिंह के नाम से दर्ज था। वो कैसे और किस आधार पर राजस्व प्रकरण क्रमांक 151/1994-95 में दिनांक 11/7/1995 के आदेश के आधार पर आरोपी मानसिंह पिता सिद्धनाथ कलौता, भुवान सिंह पिता सिद्धनाथ कलौता, सालिगराम पिता सिद्धनाथ कलौता, और घनश्याम पिता सिद्धनाथ कलौता – इन चारों भाइयों के नाम से हो गई?
कोर्ट के साथ पुलिस कमिश्नर को भी की शिकायत
किसान बाबूलाल और उसकी मां व भाइयों ने माननीय जिला न्यायालय में सिविल प्रकरण भी जुलाई 2024 में दायर किया था। तभी से आरोपी बाबूलाल परमार और उसके परिवार वालों को जान से मारने की धमकी, मारपीट और गाली-गलौच करते आ रहे थे। कुछ दिन पूर्व भी बाबूलाल के साथ चाकूबाजी की घटना हुई थी। इस पर बाबूलाल कनाड़िया थाने रिपोर्ट लिखवाने पहुंचा था, लेकिन उसे बिना रिपोर्ट लिखे ही रवाना कर दिया गया। अब इस मामले में पुलिस कमिश्नर को भी किसान परिवार द्वारा शिकायत की गई है।
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प्रश्न: सर, किसान की मौत के मामले में बिल्डर कटारिया को भी बुलाया है क्या?
उत्तर: उस जमीन से संबंधित जो भी व्यक्ति होगा, उसे जांच व पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। हर व्यक्ति को कथन के लिए भी बुलाया जाएगा और पूछताछ की जाएगी।
प्रश्न: बिल्डर कटारिया को कब बुलाया है?
उत्तर: बिल्डर को कब बुलाया है, यह तो जांच का विषय है। विवेचना अधिकारी को जब भी जरूरत होगी तो वह बुलाएंगे।
प्रश्न: इस मामले में बिल्डर की संलिप्तता भी मिल रही है क्या?
उत्तर: किसी भी व्यक्ति की संलिप्तता एक मिनट में क्लियर थोड़ी हो जाएगी। उसके सभी पहलुओं की जांच की जाएगी। ऐसा थोड़ी होता है कि मैंने अपनी आंख से देखा कि इन्होंने ऐसा करा। उसके लिए एक्ट इनोवेशन को देखा जाएगा। उसके लिए बहुत सारे लेवल होते हैं चेक करने के लिए। अधिकारी बैठे हैं, वे देखते हैं, पूछते हैं, उन्हें बताना होता है।
प्रश्न: जिस जमीन का विवाद है, क्या कटारिया ने आरोपियों से खरीदी थी?
उत्तर: इन्हीं सब चीजों की तो जांच हो रही है। इसमें कागज भी देखने पड़ेंगे। आपको मैं कह दूं कि मैंने ताजमहल खरीदा, तो बोलोगे नहीं कि कब खरीद लिया, कागज तो दिखाओ।
प्रश्न: परिवार का आरोप है किसान पर चाकूबाजी की रिपोर्ट नहीं लिखी?
उत्तर: कौन सी चाकूबाजी? ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आई है और ऐसा कोई व्यक्ति नहीं आया है। पूरे 24 घंटे थाना खुला रहता है। हर समय वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहते हैं। जो भी शिकायतें आती हैं, उन्हें सुना जाता है। यह वो जमाना नहीं है कि चाकूबाजी हुई, उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी और व्यक्ति चुप बैठा रहा। ऐसा बिल्कुल भी संभव नहीं है। अगर चाकूबाजी होती तो मेडिकल तो करवाते। ऐसा कोई अंधा कानून थोड़ी ना चल रहा है।