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इंदौर में बनाए जाने वाले आउटर रिंग रो के लिए बड़ी संख्या में किसान कलेक्ट्रेट कार्यालय पर पहुंचे। यहां पर दिनभर किसानों का आंदोलन और प्रदर्शन चलता रहा। देर रात किसानों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की तरफ से आश्वासन मिलने के बाद धरना स्थगित कर दिया है। अब किसानों की मुख्यमंत्री के साथ बैठक होगी जिसमें वे अपनी मांगों को उनके सामने रखेंगे। अगर सभी मांगें मान ली जाती हैं तो धरना पूर्णतया खत्म हो जाएगा। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आंदोलनरत किसान रात में घर लौटेंगे या नहीं।
इससे पहले किसानों ने जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन के दौरान प्रशासन के सामने अपनी मांग रखी थी जिसमें कहा गया था कि पूर्वी और पश्चिमी रिंग रोड का ज्वाइंट सर्वे तत्काल रोका जाए। वहीं, बाजार भाव से चार गुना मुआवजा किसानों को दिया जाए। इसके अलावा किसानों की सहमति के बिना उनकी सहमति के बगैर ना ली जाए। किसानों ने कहा था कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती वे कलेक्टर कार्यालय पर ही डेरा डाले रहेंगे। हालांकि रात को एडीएम रौशन राय किसानों के पास मुख्यमंत्री का संदेश लेकर पहुंचे। इसमें ज्वाइंट सर्वे पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है और मुख्यमंत्री ने बैठक करने का आश्वासन भी दिया है। हालांकि किसानों का कहना था कि वे यहां से तब तक नहीं हिलेंगे जब तक कि उनकी पूरी मांगें नहीं मान ली जाती।
किसानों का अनिश्चितकालीन आंदोलन
भारतीय किसान संघ के सचिन जामले ने बताया कि आउटर रिंग रोड के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर किसानों ने गुरुवार से कलेक्टोरेट के सामने अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर दिया है। इसके लिए किसान पूरी तैयारी में हैं। इंदौर और आसपास के किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली में खाने और रूकने की व्यवस्था साथ लेकर पहुंचे है। बताया गया है कि करणी सेना ने भी किसानों को समर्थन दिया है। इस आंदोलन में भारतीय किसान संघ के संभाग अध्यक्ष कृष्णपाल सिंह राठौर, जिला अध्यक्ष राजेंद्र पाटीदार, जिला मंत्री महेश राठौर, प्रचार प्रमुख राहुल मालवीय, प्रांत संगठन मंत्री अतुल माहेश्वरी, प्रांत अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण पटेल, महानगर अध्यक्ष दिलीप मुकाती, महानगर मंत्री वरदराव सहित बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे। इस आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बबलू जाधव, रामस्वरूप मंत्री, शैलेंद्र पटेल ने भी समर्थन दिया है।
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खाने में बनवाए दाल बाफले और बिस्तर भी लाए साथ
उन्होंने बताया कि प्रदर्शन के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे किसान अपने साथ में कंडे, घी, दाल, आटा, बर्तन और रात्रि विश्राम के लिए बिस्तर, गद्दे और कंबल गाड़ियों में भर लिए थे। गुरुवार सुबह से उन्होंने कलेक्टोरेट के सामने धरना शुरू कर दिया है। खाने में दाल बाफले बन रहे हैं और रात को इनकी यहीं पर टेंट लगाकर रुकने की योजना है। भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष राजेंद्र कुमार पाटीदार ने बताया कि सरकार पूर्वी और पश्चिमी आउटर रिंग रोड़ बना रही है, जिसमें तीन फसलें देने वाली उपजाऊ जमीनों का अधिग्रहण करना चाहती है, लेकिन उचित मुआवजा नहीं देना चाहती।
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उपजाऊ जमीन को बचाए सरकार
उन्होंने बताया कि हम चाहते हैं कि आउटर रिंग रोड के इस मामले को सही तरीके से सुलझाया जाए और उपजाऊ जमीन को बचाया जाए। किसान किसी भी कीमत पर अपनी जमीन देने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि ये जमीनें तीन-तीन फसलें देती है, जिससे हमारे परिवारों का जीवनयापन हो रहा है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
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प्राथमिकता से स्वीकार करें मांगें
इस आंदोलन के दौरान किसानों ने चेतावनी दी है कि उनकी मांगों को प्राथमिकता से स्वीकार किया जाए। अन्यथा भारतीय किसान संघ बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होगा। संघ के प्रचार-प्रसार प्रमुख राहुल मालवीय ने बताया कि प्रदेश और राष्ट्रहित में किसान संघ की मांग है कि मध्य प्रदेश में भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को उसके मूल स्वरूप में लागू किया जाए, ताकि संतुलित विकास हो सके।
मुख्यमंत्री से बात करने के बाद ज्वाइंट सर्वे पर तत्काल लगाई रोक
आंदोलन के बाद रात को एडीएम रोशन राय धरना स्थल पर पहुंचे और किसानों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने किसानों से उनकी मांगें पूछीं फिर वे वापस कलेक्टर कार्यालय लौट गए। बताया गया कि एडीएम ने किसानों की बातों की मांगों को मुख्यमंत्री मोहन यादव के सामने रखा है। इस पर मुख्यमंत्री यादव ने किसानों के साथ बैठक करने का आश्वासन भी दिया है। इस दौरान एडीएम राय ने अश्वस्त किया है कि तत्काल प्रभाव से ज्वाइंट मैनेजमेंट सर्वे को बंद कर दिया जाएगा और जब तक मुख्यमंत्री के साथ किसानों की बैठक नहीं हो जाती, तब तक उस सर्वे को शुरू नहीं किया जाएगा। ज्वाइंट सर्वे का लिखित आश्वासन किसानों को रात तक मिल चुका था।
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ये हैं किसानों की प्रमुख मांगें
इंदौर में पूर्वी और पश्चिमी रिंग रोड निर्माण कार्य के लिए किया जाने वाला जॉइंट सर्वे तत्काल बंद किया जाए। केंद्रीय भू-अधिग्रहण कानून 2014 को संपूर्ण राज्य में जल्द लागू किया जाए। पिछले 12 सालाें से गाइडलाइन नहीं बढ़ाई गई है, इसे हर साल 25% की दर से बढ़ाया जाए। बढ़ी हुई गाइडलाइन के आधार पर चार गुना मुआवजा दिया जाए। आउटर रिंग रोड के लिए जारी किए गए वर्तमान राजपत्र को निरस्त कर गाइडलाइन बढ़ाने के बाद नया राजपत्र जारी किया जाए। किसी भी जमीन अधिग्रहण योजना में किसानों की सहमति के बिना अधिग्रहण प्रक्रिया आगे न बढ़ाई जाए। मध्य प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों को भंग किया जाए। किसानों का आरोप है कि आईडीए (इंदौर विकास प्राधिकरण) अपना उद्देश्य भूल चुका है और अब केवल सरकारी भू-माफिया की तरह काम कर रहा है।