इंदौर के बेशकीमती क्षेत्र में सरकारी जमीन को अपना बताकर लगभग 12 हजार वर्गफीट पर चार मंजिला बिल्डिंग तान दी गई। इसमें टीएनसीपी के तत्कालीन संयुक्त संचालक विजय सांवलकर सहित पांच अफसरों ने भी बिना जांच के नक्शा पास कर दिया। इसकी शिकायत जब ईओडब्ल्यू को हुई तो 8 साल बाद अब जांच करते हुए अधिकारियों व बिल्डर सहित सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। इसमें बिल्डिंग के दस्तावेजों में जिन तीन लोगों के नाम दर्ज हैं उन्हें भी फर्जीवाड़े में आरोपी बनाया गया है।
ईओडब्ल्यू एसपी को 2016 में की थी शिकायत
इंदौर के रोबोट चौराहा के पास शासन की जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार कर बहुमंजिला इमारत बना ली गई। इस मामले की शिकायत 2016 में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ इंदौर एसपी को शिकायत मिली। इसमें बताया गया था कि खजराना की ओर जाते समय रोबोट चौराहे के पास सर्वे क्रमांक 543/2 जिसका क्षेत्रफल 0.1090 हेक्टेयर (11732.662 वर्गफुट) है। उस शासकीय नजूल की जमीन पर कब्जा कर जी+4 बहुमंजिला इमारत का निर्माण किया गया है। इसके बाद ईओडब्ल्यू के अफसरों ने मामले की जांच शुरू कर दी थी।
जांच के दौरान यह सामने आया कि राकेश पिता रोशनलाल जैन, कंचन पति रोशनलाल जैन और मीनाक्षी पति राकेश जैन ने राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज अपनी भूमि पर बहुमंजिला भवन निर्माण की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए आवेदन दिया। यह आवेदन संयुक्त संचालक कार्यालय, इंदौर में स्वीकृति हेतु भेजा गया।
इस फर्जीवाड़े की शिकयत 2016 में ईओडब्ल्यू को की गई थी। उसके बाद 8 साल तक अफसर मामले की जांच ही करते रहे। अब कहीं जाकर उन्होंने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। हालांकि अब तक तो सारे अफसर ही रिटायर हो चुके हैं। ईओडब्ल्यू के महानिदेशक उपेंद्र जैन की समीक्षा बैठक में मामला सामने आने पर कार्रवाई की गई है। इसमें इंदौर इकाई के पुलिस अधीक्षक रामेश्वर सिंह यादव के मार्गदर्शन में निरीक्षक कैलाशचंद पाटीदार ने जांच कर अपराध पंजीबद्ध किया है।
फर्जी दस्तावेजों पर दे दी थी टीएनसीपी अफसरों ने स्वीकृति
जांच में यह भी पता चला कि टीएनसीपी इंदौर के तत्कालीन अधिकारियों द्वारा षडयंत्रपूर्वक व गलत तरीके से पद का दुरुपयोग करते हुए आवेदक की मंशानुसार व सुविधानुसार बहुमंजिला भवन का स्थल अनुमोदन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर स्वीकृत कर दिया था। अत: प्रथम दृष्टया आरोपियों के खिलाफ अपराध धारा 420, 467, 468, 471,120बी, भादवी व नगर तथा भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम 2018 की धारा 7-सी के अन्तर्गत अपराध सिद्ध पाया गया। इसके चलते ईओडब्ल्यू ने अपराध पंजीबद्ध कर लिया है और उसकी विवेचना की जा रही है। उसके बाद तत्काल कार्रवाई की जाएगी।