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The Sootr
मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने मंगलवार को 13 तरह की जीवन रक्षक दवाएं, सलाइन और सिरिंज तक अमानक घोषित कर उनकी सूची जारी कर दी है। साथ ही इनके उपयोग किए जाने पर भी तत्काल रोक लगाने के आदेश भी दिए गए हैं। जब सरकारी अस्पतालाें में यह सूची पहुंची तो हड़कंप मच गया, क्योंकि सूची आने के पूर्व ही काफी सारे मरीजों के लिए इनका उपयोग किया भी जा चुका था।
गर्भवती महिलाओं की दवाएं भी अमानक
कॉर्पोरेशन ने जो अमानक दवाओं की सूची जारी की है उसमें कुछ इंजेक्शन ऐसे भी हैं जिन्हें कि मरीजों को घबराहट और कमजोर होने पर चढ़ाया जाता है। साथ ही एनेस्थीसिया में उपयोग आने वाले इंजेक्शन भी अमानक निकले हैं। यही नहीं, गर्भवती महिलाओं को हार्मोन बढ़ाने के लिए दी जाने वाली टैबलेट भी इस सूची में शामल हैं।
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कार्डियक इमरजेंसी में काम आने वाली दवाएं भी शामिल
इन 13 दवाओं की सूची में किडनी फेन होने व मरीज की गंभीर स्थिति होने पर लगाए जाने वाले इंजेक्शन भी अमानक पाए गए हैं। इसके साथ ही कार्डियक इमरजेंसी में काम आने वाले इंजेक्शन को भी शासन ने अमानक माना है। इसी सूची में खून पतला करने वाली गोली भी शामिल है।
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सरकारी लैब की जांच रिपोर्ट से हुआ खुलासा
कॉर्पोरेशन ने जो रिपोर्ट जारी की है उसके पूर्व इन दवाओं को लेकर शासन को अमानक होने की शिकायत मिली थी। उसके बाद दवाओं की सैंपलिंग करवा कर जांच के लिए एनएबीएल लैब भेजा गया। वहां से आई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।
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ये दवाएं निकलीं अमानक
डेक्सट्रोस 500 एमएल इंजेक्शन
केटामाइन हाईड्रोक्लोराइड 10 एमएल इंजेक्शन
माइक्रोनाइज्ड प्रोगेस्टेरॉन 100 एमजी टैबलेट
सोडियम बाईकार्बोनेट 10 एमएल इंजेक्शन
मैनिटोल 100 एमएल इंजेक्शन
नाइट्रोग्लीसरिन 5 एमएल इंजेक्शन के 2 बैच
एस्प्रिन लो डोज 75 एमजी टैबलेट
नॉर्मल सलाइन 500 एमएल इन्फ्युशन के 3 बैच
डिस्पोजेबल सिरिंज विथ निडिल के 2 बैच
दो दिन पूर्व ही डॉक्टरों ने किया था आंदोलन
मप्र शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ ने पिछले दिनों एक आंदोलन किया था। उसमें मुख्य संयोजक डॉ. रोकेश मालवीय ने बताया था कि पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में हजारों जीवनरक्षक दवाइयां और मल्टीविटामिन तक अमानक पाई गईं। ये दवाइयां मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में उपयोग की जा रही थीं, जहां लाखों लोग इलाज करवाने आते हैं। हमने इस मुद्दे को बहुत प्रमुखता से उठाया, लेकिन इस गंभीर अपराध पर आवश्यक आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के बजाय, केवल कुछ दवाइयों को कुछ समय के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया।
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