श्रीगुरूसिंघ सभा इंदौर में देनदारी चुकाने जमीन बेचने का प्रस्ताव पास, प्रधान मोनू भाटिया के करीबियों ने ही जताया विरोध

इंदौर के श्रीगुरूसिंघ सभा की साधारण बैठक में 75 लाख की देनदारी चुकाने के लिए समाज की जमीन बेचने का प्रस्ताव पास किया गया। इस पर अध्यक्ष मोनू भाटिया के करीबी लोगों ने विरोध जताया। प्रस्ताव में जमीन को बेचने की बात रखी गई, जिससे विवाद पैदा हुआ।

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Sanjay Gupta
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बाएं से दाएं - सुरजीत टुटेजा, मोनू भाटिया और चरणजीत सिंह खनूजा Photograph: (The Sootr)

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INDORE. श्री गुरूसिंघ सभा इंदौर की साधारण सभा की बैठक इमली गुरूद्वारे साहिब में रविवार को अचानक हुई। इसमें एक प्रस्ताव को लेकर विवाद की स्थिति बन गई है। पहली किसी किसी देनदारी चुकाने के लिए समाज की संपत्ति को बेचने का प्रस्ताव पास किया गया है। 

75 लाख की देनदारी चुकाने रखा ये प्रस्ताव

सभा के अध्यक्ष मोनू (हरपाल) सिंह भाटिया ने प्रस्ताव रखा कि सभा पर 75 लाख की देनदारी है और इस पर ब्याज बढ़ता जा रहा हैं। ऐसे में एक अनुपयोगी जमीन है, जिस पर कब्जे होते जा रहे हैं, इसे बेच दिया जाना चाहिए। सूत्रों के अनुसार यह जमीन ओंकारेशवर मार्ग पर मोरटक्का ब्रिज के पास है। इस प्रस्तवा पर उनके ही करीबी सुरजीत सिंह टूटेजा ने वहीं विरोध जता दिया और कहा कि जमीन नहीं बेचा जाना चाहिए और राशि की व्यवस्था अन्य स्त्रोत से की जाना चाहिए। 

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4 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर...

प्रस्ताव और विवादः श्रीगुरूसिंघ सभा इंदौर की साधारण सभा में 75 लाख की देनदारी चुकाने के लिए समाज की अनुपयोगी जमीन बेचने का प्रस्ताव पास किया गया। यह जमीन ओंकारेशवर मार्ग पर स्थित है, जिस पर कब्जे हो रहे थे, और इसका बेचना प्रस्तावित किया गया था।

विरोध और आलोचनाः मोनू भाटिया के करीबी सुरजीत सिंह टूटेजा ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि जमीन नहीं बेची जानी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि राशि की व्यवस्था अन्य स्रोतों से की जानी चाहिए। इसके बाद, मोनू के करीबी चरणजीत सिंह खनूजा ने सोशल मीडिया पर विरोध किया और समाज की संपत्ति को बेचने का विरोध किया।

मोनू भाटिया का स्पष्टीकरणः मोनू भाटिया ने कहा कि इस मुद्दे को गलत तरीके से प्रचारित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अगर आवश्यकता पड़ी तो 7-8 हजार वर्गफीट की अनुपयोगी जमीन बेची जाएगी और इससे समाज को कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने यह भी बताया कि बैठक में सभी ने उनके कामों की सराहना की।

कार्यकाल में बदलाव का प्रस्तावः सभा में कार्यकाल को 1 साल की बजाय 3 साल करने का प्रस्ताव भी पास हुआ। इससे पहले हर साल चुनाव नहीं होते थे, लेकिन अब कार्यकाल बढ़ाने के लिए यह संशोधन पास किया गया, जिससे चुनाव प्रक्रिया पर असर पड़ेगा और यह बदलाव लंबी अवधि के लिए होगा।

इसके बाद खनूजा ने जारी कर दिया वीडियो

इसके बाद कभी गुरूसिंघ सभा के अध्यक्ष मोनू भाटिया के करीबी रहे और उनके साथ केंद्रीय मप्र-छत्तीसगढ़ समिति में रहे चरणजीत सिंह खनूजा ने सोशल मीडिया पर इस प्रस्ताव के विरोध में वीडियो जारी कर दिया। इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया गया। उन्होंने द सूत्र से कहा कि यह जमीन करोड़ों की है,और वह खुद करोड़पति है तो खुद ही वह इस देनदारी को चुका सकते हैं। समाज की संपत्ति नहीं बिकने देंगे। संगत का पूरा पैसा इसमें लगा है और खुद करोड़पति, अरबपति हो, वैनिटी वैन में घूमते हो, कई लोगों को गोवा लेकर जाते हो, क्रिकेट मैच कराते हो और संपत्ति बेचने का प्रस्ताव लाए क्यों। चाहे मेरी जान चली जाए। हमने बढ़ी उम्मीदों से नई समिति को पूरा बहुमत देकर चुना था और आठ माह में ही संपत्ति बेचने की बात वह कर रहे हैं। यह शुरूआत है इसके बाद समाज की संपत्तियां बिकने के लिए लाइन लग जाएगी । 

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मोनू भाटिया बोले, यह सब गलत बात

वहीं मोनू भाटिया ने कहा कि यह गलत तरह से प्रचारित हो रहा है। यही बात रखी थी कि देनदारियां है और जरूरत हुई तो वैसे तो नहीं होगी, तो एक अनुपयोगी 7-8 हजार वर्गफीट की जमीन है, इसे बेच दिया जाए, वैसे भी इस पर कब्जे हो रहे हैं। यदि जरूरत हुई तो, वैसे इसकी जरूरत नहीं होगी। पहली बार इतनी अच्छी बैठक हुई है और सभी ने इसे सराहा, अपने कामों का पूरा रिपोर्ट कार्ड दिया, आज स्कूल में 400 एडमिशन हुए, सब अच्छा चल रहा है जो कुछ लोगों को पच नहीं रहा है।

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कार्यकाल भी 1 की जगह 3 साल करने का प्रस्ताव

उधर संगत में एक प्रस्ताव सभा का कार्यकाल 1 साल की जगह तीन साल करने का भी पास हुआ है। हालांकि कभी भी एक साल में चुनाव नहीं हुए हैं बीती सभा ने भी 2012 के बाद 2024 में चुनाव कराए, पूरे 12 साल बाद। हर बार एजीएम बुलाकर कार्यकाल आगे बढ़ाने का रिवाज रहा है। अब संशोधन कर कार्यकाल को तीन साल करने का प्रस्ताव पास हुआ है।

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