महाआर्यमन के लिए MPCA में पूरी कमान संभाल रहे संजय जगदाले, सोमवार को इंदौर आ रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया

एमपीसीए (MPCA) की चुनावी वार्षिक साधारण सभा (AGM) दो सितंबर को हो रही है। इसकी सूचना बिना पूरी प्रक्रिया किए हुए 12 अगस्त को जारी हो चुकी है। पूरा मामला सिंधिया की तीसरी पीढ़ी को एमपीसीए में कमान सौंपने की है।

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Sanjay Gupta
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मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए MPCA) की चुनावी वार्षिक साधारण सभा (AGM) दो सितंबर को हो रही है। इसकी सूचना बिना पूरी प्रक्रिया किए हुए 12 अगस्त को जारी हो चुकी है। पूरा मामला सिंधिया की तीसरी पीढ़ी को एमपीसीए में कमान सौंपने की है।

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एमपीसीए में प्रेसीडेंट रह चुके हैं, इसके पहले उनके पिता स्वर्गीय माधवराज सिंधिया ने एमपीसीए संभाला था। अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र महाआर्यमन सिंधिया के लिए पूरी संभावनाएं तलाशी जा रही है।

केंद्रीय मंत्री 18 अगस्त को एमपीसीए के अवार्ड कार्यक्रम के लिए इंदौर आ रहे हैं। इसमें नई मैनेजिंग कमेटी के दावेदारों को लेकर करीबियों से चर्चा होगी।  

इधर संजय जगदाले यानी गट्टू भैय्या संभाले हुए कमान

उधर महाआर्यमन को प्रेसीडेंट बनाने में कोई बाधा नहीं आए और चुनावी एजीएम आम सहमति से हो जाए, इन सभी के लिए पूरी कमान एमपीसीए में सर्वाधिक पकड़ रखने वाले संजय जगदाले यानी गट्टू भैय्या ने संभाली हुई है। उनके साथ दिलीप चुड्गर लगातार बने हुए हैं। सभी आपस में बात कर रहे हैं कि किस तरह से मैनेजिंग कमेटी में नए लोगों को एडजस्ट किया जाना है, जिससे खासकर माआर्यमन यदि प्रेसीडेंट पद पर आते हैं तो किसी तरह की समस्या नहीं हो। 

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महाआर्यमन के हिसाब से टीम बनाने पर नजर

एमपीसीए में तीन साल के लिए नई मैनेजिंग कमेटी बनना है और इस बार कई पदाधिकारी खासकर मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन अध्यक्ष अभिलाष खांडेकर, सचिव संजीव राव व अन्य बदलेंगे क्योंकि यह लगातार दो टर्म (6 साल का) पूरा कर चुके हैं। लगातार दो बार के बाद लगातार तीसरी बार नहीं आ सकते हैं। 

ऐसे में प्रेसीडेंट पद पर महाआर्यमन आते हैं तो फिर बाकी टीम में किसे रखा जाए, जिससे कोई समस्या नहीं आए और उनका कार्यकाल अच्छे से निकले, इस हिसाब से बाकी पदों के लिए दावेदार तय किए जाएंगे।

सिंधिया 18 को करेंगे बंद कमरे में चर्चा

सिंधिया 18 अगस्त को इंदौर आ रहे हैं, वह यहां पर एमपीसीए के अवार्ड समारोह में शिरकत करेंगे। फिर उज्जैन जाकर रात को वापस इंदौर रूकेंगे। इस दौरान उनकी अपने कोर ग्रुप के साथ चर्चा होगी, जिससे मैनेजिंग कमेटी में किसे लेना है, इसे लेकर दावेदारों की पूरी रूपरेखा बनाई जा सके और यदि कोई विरोध में उतरता है और चुनाव होता है तो उस परिस्थिति से कैसे निपनटना है, इन सभी पर चर्चा होगी। 

एजीएम को इस तरह आनन फानन में बुलाया

एमपीसीए में एजीएम को मैनेजिंग कमेटी में बैठक कर प्रस्ताव पास करते हुए कम से कम 21 दिन पहले बुलाया जाता है। एमपीसीए ने 21 दिन के नियम का तो पालन किया (12 अगस्त से दो सितंबर के बीच ठीक 21 दिन होते हैं) लेकिन पहले मैनेजिंग कमेटी बैठक नहीं की। पहले सालाना आडिट पास होता है और फिर यह सात दिन के भीतर वित्तीय कमेटी के पास जाता है। इसके बाद मैनेजिंग कमेटी में रखा जाता है। सूचना जारी होने के पहले यह नहीं किया गया। होती है। 

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इस जल्दबाजी की यह अहम वजह 

अब यह एजीएम आनन फानन में बुलाने की असल वजह है हाल ही में लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास होने वाला नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल और नेशनल एंटी-डोपिंग संशोधन (2025) बिल। खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने इसे आजादी के बाद से भारतीय खेलों में सबसे बड़ा सुधार बताया है और इसे अब राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद यह कानून बन जाएगा। यानी यह किसी भी समय लागू हो सकता है।

अब इसके लागू होने से महाआर्यमन को क्या खतरा

इस बिल में एक खास बिंदु है। इसके तहत इसमें विविध खेल संघों के प्रेसीडेंट, सचिव और कोषाध्यक्ष पद के लिए अहम नियम तय कर दिए गए हैं। इसके तहत किसी भी खेल संघ (एमपीसीए सहित) में प्रेसीडेंट, सचिव और कोषाध्यक्ष पद को अहम माना गया है और इन पद पर वही व्यक्ति आ सकेगा जो पहले कमेटी कार्यकारिणी सदस्य के पद पर रहा हो या फिर वह किसी डिवीजनल स्तर पर प्रेसीडेंट, सचिव या कोषाध्यक्ष पद पर रह चुका है। यही नियम महाआर्यमन के एमपीसीए प्रेसीडेंट पद पर आने में सबसे बड़ी बाधा बन रहा रहा है।

कारण है कि महाआर्यमन एमपीसीए में कभी भी कार्यकारिणी सदस्य के रूप में नहीं रहे और ना ही अन्य किसी मैनेजिंग पद पर रहे हैं। एमपीसीए में वह लाइफ टाइम मेंबर ही दिसंबर 2022 में बने हैं। 

दूसरा वह ग्वालियर डिवीजनल क्रिकेट एसोसिएशन में पद पर है लेकिन वह वाइस प्रेसीडेंट पद पर है। इस पद पर उन्हें अप्रैल 2022 में लाया गया था। यानी यदि वह इसमें प्रेसीडेंट, सचिव या कोषाध्यक्ष पद पर होते तो भी बात बन जाती, लेकिन वाइस प्रेसीडेंट को इस बिल में नहीं रखा गया है। 

बिल के पहले एजीएम कराना जरूरी

यानी बात साफ है कि यदि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने पुत्र महाआर्यमन को एमपीसीए प्रेसीडेंट पद पर देखना है तो उन्हें इस बिल के लागू होने के पहले इसे करना होगा। एजीएम होकर महाआर्यमन की नियुक्ति होने के बाद बिल पास होने पर भी असर नहीं होगा क्योंकि बिल लागू होने के बाद यह प्रभावी होगा। वहीं फिर एक बार प्रेसीडेंट रहने के बाद वह तीन बार फिर इस पद के लिए योग्य रहेंगे। इसलिए एजीएम बुलाई गई है।

इसलिए चुनाव शेड्यूल भी जारी कर दिया

एजीएम के साथ ही एमपीसीए ने चुनाव अधिकारी (रिटायर्ड आईएएस डॉ. एम मुदस्सर) को नियुक्त करते हुए चुनावी शेड्यूल जारी किया है। इसलिए क्योंकि कहीं बिल दो सितंबर के पहले लागू भी हुआ तो यह कहा जा सके कि चुनाव प्रक्रिया तो बिल के पहले शुरू हो चुकी थी। नियमों के तहत चुनाव प्रक्रिया में दखल नहीं दी जा सकती है। 

एमपीसीए ने यह जारी किया है चुनावी कार्यक्रम

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  • 28 अगस्त को एमपीसीए लिस्ट लगाएगा जो चुनाव के लिए पात्र सदस्य होंगे
  • 29 अगस्त को सुबह 11 से दोपहर 2 बजे तक  नामांकन पत्र ले सकेंगे
  • 30 अगस्त को सुबह 9.30 से दोपहर 11.30 बजे तक नामांकन दाखिल होंगे
  • 31 अगस्त को नामांकन पत्र की स्क्रूटनी होगी
  • 31 अगस्त को दोपहर 2 बजे स्क्रूटनी बाद दावेदारों की लिस्ट लगेगी, इसके बाद नाम वापसी हो सकेगी
  • 2 सितंबर को यदि एक पद पर एक से अधिक दावेदार हैं तो फिर एजीएम में वोटिंग और रिजल्ट आएंगे। 

इसके पहले दिसंबर 2022 में हुए थे चुनाव

वर्तमान मैनेजिंग कमेटी जिसमें प्रेसीडेंट अभिलाष खांडेकर और सचिव संजीव राव है वह नहीं चाहते थे कि यह चुनाव अभी हो। वह इसे महिला क्रिकेट वलर्ड कप मैच (जो अक्टूबर में इंदौर होलकर स्टेडियम में होना है) के बाद नवंबर-दिसंबर में चाहते थे।

बीते तीन साल पहले भी एमपीसीए में इंटरनेशनल मैच के चलते यह चुनाव आगे बढ़ाए गए थे और इन्हें 10 दिसंबर 2022 को चुनावी एजीएम में किया गया था। लेकिन यदि स्पोर्ट बिल आ गया तो महाआर्यमन के लिए सारी संभावनाएं धरी रह जाती, इसलिए इस चुनावी एजीएम को अभी बुलाया गया है और चुनाव शेड्यूल जारी किया गया है ताकि बिल आ भी गया तो यह कहा जा सके कि चुनाव कार्यक्रम जारी हो गया था।

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