हेलमेट पर इंदौर HC की दो टूक: कलेक्टर को कोई मजा नहीं आ रहा, कोर्ट कर्मचारियों के लिए भी अनिवार्य करेंगे हेलमेट

शहर में ट्रैफिक सुधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने निर्देश दिए थे कि पुलिस विभाग सहित अन्य सभी शासकीय कर्मियों को वाहन चलाते समय हेलमेट पहनना तत्काल रूप से अनिवार्य किया जाए।

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Vishwanath Singh
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इंदौर में हेलमेट न पहनने वालों को 1 अगस्त से पेट्रोल न देने के कलेक्टर के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में लगी दो जनहित याचिकाओं पर आज सुनवाई हुई। जिसमें बहस के दौरान हाई कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि कलेक्टर को इसमें कोई मजा नहीं आ रहा है। यह आदेश लोगों की जान की सुरक्षा को देखते हुए निकाला गया है।

आगामी दिनों में हाई कोर्ट भी अपने कर्मचारियों के लिए इसको लेकर नियम लागू करेगी। ताकि कोर्ट में भी बिना हेलमेट के इंट्री नहीं दी जाए। सोमवार को हुई इस बहस के बाद आदेश अभी सुरक्षित रख लिया गया है।

सड़क सुरक्षा समिति ने दिए थे निर्देश

शहर में ट्रैफिक सुधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने पिछले दिनों बैठक के बाद निर्देश दिए थे कि पुलिस विभाग सहित अन्य सभी शासकीय कर्मियों को वाहन चलाते समय हेलमेट पहनना तत्काल रूप से अनिवार्य किया जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि स्कूलों एवं कॉलेजों सहित अन्य शैक्षणिक संस्थाओं के विद्यार्थियों को भी हेलमेट पहनना अनिवार्य किया जाए।

हाई कोर्ट ने कहा कह इसी के बाद कलेक्टर ने आदेश जारी किए थे। इस पर एडवोकेट रितेश ईनानी और एडवोकेट पंकज वाधवानी ने कहा कि कमेटी ने तो सड़क के ब्लैक स्पॉट, गड्ढे आदि पर भी कहा था। उन पर भी सुधार किया जाना चाहिए। 

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हमने अभी हाई कोर्ट के बाहर ही बिना हेलमेट के लोगों को देखा

याचिका पर बहस के दौरान हाई कोर्ट जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी ने यह भी कहा कि हमने अभी कोर्ट के बाहर ही देखा कि एक वाहन पर पांच लोग सवार होकर जा रहे थे और उनमें से किसी ने भी हेलमेट नहीं पहना था। साथ ही बीच में एक छोटा बच्चा भी बैठा था। ऐसे लोग वाहन चलाने के दौरान ना केवल अपने लिए खतरा बनते हैं, बल्कि वे जिससे भी टकराते हैं उसके लिए भी खतरनाक रहता है। इसलिए लोगों की सुरक्षा के लिहाज से हेलमेट अनिवार्य होना चाहिए।

एक महीने देखते हैं कैसा प्रतिसाद मिलता है

इस पर एडवोकेट ईनानी और एडवोकेट वाधवानी ने बहस करते हुए यह भी कहा कि इस नियम को अगर लागू भी करना था तो फिर पहले जनता को विश्वास में लाना था। उसके बाद इसे धीरे–धीरे कर लागू करना था। एक दम से नियम को लागू करके इसे एक तरह से जनता पर थोप दिया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि इस नियम के तहत एक महीने देख लेते हैं कि क्या प्रतिसाद मिल रहा है। फिर आगे कोई भी निर्णय लिया जाएगा।

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