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इंदौर में नो हेलमेट, नो पेट्रोल संबंधी जिला कलेक्टर के 30 जुलाई के आदेश को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रितेश ईनानी ने जनहित याचिका दायर कर दी है। इसके साथ ही एक अन्य अधिवक्ता द्वारा भी याचिका दायर की गई है। दोनों आपस में लिंक की गई हैं और संभवतः सोमवार 4 अगस्त को सुनवाई होगी। लेकिन इस सुनवाई के पहले द सूत्र एक बड़ा खुलासा कर रहा है।
10 साल पहले भी लग चुकी है याचिका
यह आदेश पहली बार नहीं हुआ है। इंदौर में दस साल पहले 25 मार्च 2015 को तत्कालीन कलेक्टर ने यह आदेश जारी किया था। इसके खिलाफ एक नहीं बल्कि चार-चार जनहित याचिका (PIL) दायर हुई थीं। इसमें भी अधिवक्ता ही थे। इसमें लंबी बहस हुई और इसके बाद 25 जनवरी 2016 को इस मामले में आदेश हुए।
चारों याचिकाएं कर दी गई थीं खारिज
दरअसल, कमिश्नर फूड एंड सिविल सप्लाय ने सभी कलेक्टरों को 19 मार्च 2015 को एक आदेश दिए था। आदेश में कहा था कि लोगों की सुरक्षा के लिए मप्र मोटर स्प्रिट एंड हाई स्पीड डीजल ऑयल (लाइसेंसिंग एंड कंट्रोल) आर्डर 1980 के प्वाइंट 10 के तहत आदेश जारी किए जाएं कि पंप संचालक बिना हेलमेट दो पहिया वाहन चालकों को पेट्रोल नहीं देंगे।
इसके तहत तत्कालीन कलेक्टर ने 25 मार्च 2015 को आदेश जारी किए और नो हेलमेट, नो पेट्रोल के आदेश जारी कर दिए। इस आदेश के खिलाफ एक नहीं बल्कि चार जनहित याचिका दायर हो गई थीं। इसमें कहा गया था कि यह संविधान के मौलिक अधिकार धारा 19 और 21 का उल्लंघन है।
एस्मा 1955 के तहत आदेश नहीं हो सकते हैं क्योंकि यह अनिवार्य सामग्री देने से इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन तत्कालीन जस्टिस पीके जायसवाल और जस्टिस डीके पालीवाल की बेंच ने इन चारों याचिकाओं को खारिज कर दिया और इस आदेश को उचित माना।
नो हेलमेट, नो पेट्रोल पर हाईकोर्ट में याचिका दायर पर एक नजर...
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अब नई याचिकाओं में भी लगभग वही बिंदु
अब जो नई याचिका हाईकोर्ट इंदौर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रितेश ईनानी द्वारा दायर की गई है, इसमें भी लगभग वही मुद्दे हैं। इसमें कहा गया है कि मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 129 के तहत पहले से ही बिना हेलमेट 1000 रुपए का अर्थदंड है, इस आदेश से दोहरे दंड लागू हो रहे हैं।
संविधान के मौलिक अधिकार के खिलाफ है, पेट्रोल आवश्यक वस्तु है, इसे देने से नहीं रोका जा सकता। एक्सीडेंट तेज और लापरवाह तरीके से चार पहिया वाहन चलाने से होते हैं, इनके खिलाफ कोई आदेश नहीं है, यह समानता के अधिकार के खिलाफ है। शासन, प्रशासन अच्छी रोड इन्फ्रा और बेहतर ट्रैफिक नहीं दे पा रहा है, इसके बजाय यह आदेश किया गया है।
उधर बीजेपी आदेश से खुश नहीं
उधर बीजेपी जिला प्रशासन के इस अचानक लागू हुए आदेश से खुश नहीं है। इस मामले में शनिवार को पार्टी दफ्तर में बैठक हुई। इसमें मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, मंत्री तुलसी सिलावट, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, सांसद शंकर लालवानी के साथ ही विधायक रमेश मेंदोला, मधु वर्मा, मालिनी गौड़, गोलू शुक्ला, नगराध्यक्ष सुमित मिश्रा और अन्य उपस्थित थे। इसमें सभी का एकसुर था कि यह अचानक लागू नहीं होना था, इसके लिए जनप्रतिनिधियों से पहले बात नहीं की गई। इसके लिए जनता को पहले जागरूक किया जाना चाहिए था। तय किया गया कि मंत्री इसमें जिला प्रशासन से बात करेंगे।
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