इंदौर में जयस का महाआंदोलन: हजारों कार्यकर्ताओं ने अर्धनग्न होकर निकाली रैली, चूहाकांड में डीन, अधीक्षक पर कार्रवाई की मांग

इंदौर एमवाय अस्पताल में चूहों के कुतरने से दो नवजातों की मौत के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। वहीं, जयस का जनआक्रोश आंदोलन एक सप्ताह से जारी है, लेकिन उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद रविवार को जयस ने महा आंदोलन किया।

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Sanjay Gupta
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INDORE: इंदौर एमवाय अस्पताल में चूहों के कुतरने से दो नवजातों की मौत के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। उधर जयस का भी जनआक्रोश आंदोलन एक सप्ताह से जारी है। लेकिन इस मामले में उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसके बाद जयस ने रविवार को महा आंदोलन किया। इसमें करण सेना व अन्य संगठनों ने भी सड़क पर उतरकर इस आंदोलन को आवाज दी।

अर्धनग्न होकर निकले सड़कों पर

एमवाएएच में हजारों कार्यकर्ता अलग-अलग आदिवासी जिलों से जमा हुए। फिर रैली के रूप में कलेक्टोरेट तक पहुंचे। हाथों में इनके न्याय मांग की तख्तियां थी। डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और अधीक्षक डॉ. अशोक यादव को हटाने के साथ ही इन पर गैर इरादतन हत्या का केस करने की मांग की जा रही है।

 सभी जिम्मेदारों ने इस पर पल्ला झाड़ते हुुए छिटपुट कार्रवाई करते हुए मामले को दबा दिया है। हजारों कार्यकर्ताओं ने शर्ट उतार रखी थी और विरोध स्वरूप अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया, सभी ने कलेक्टोरेट में जमकर प्रदर्शन किया। इसमें करणी सेना के भी समर्थक मौजूद है।

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जयस और करणी सेना ने यह कहा

जयस ने कहा कि  न्याय न मिलने और दोषी अधिकारियों पर अब तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई  नहीं  होने से आम जनता का आक्रोश और गहराता जा रहा है। जयस राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट लोकेश मुजाल्दा ने बताया कि  21 सितम्बर से एम वाय अस्पताल परिसर में धरना दिया जा रहा है, जिसमें प्रतिदिन बड़ी संख्या में युवा, समाज के लोग और पीड़ित परिवारजन शामिल होकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।

यह आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण, संवैधानिक और अहिंसात्मक तरीके से चलाया जा रहा है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अब यह महाआंदोलन किया है। करणी सेना के सिसौदिया ने कहा कि यह मानवजाति के लिए न्याय की मांग है, हम पूरी तरह साथ है और जरूरत हुई तो नेशनल हाइवे भी जाम करेंगे। यह मांग जारी रहेगी। 

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यह है जयस की मांग

जयस की मुख्य मांगों में एमवाय अस्पताल डीन व अधीक्षक सहित दोषी अधिकारियों का तत्काल निलंबन, गैर इरादतन हत्या के तहत एफ आई आर दर्ज और बच्चियों के परिवार को न्याय व उचित मुआवजा, तथा स्वास्थ्य व्यवस्था में व्यापक सुधार शामिल हैं। मुजाल्दे ने कहा कि हम बच्चियों को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। जब तक डीन , अधीक्षक सहित जिम्मेदार दोषियों का निलबंन नही होता, उनपर गैरइरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज नही होता और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार नहीं होता, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।

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हाईकोर्ट भी पूछ चुका एफआईआर क्यों नहीं हुई

इस मामले में खुद इंदौर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था और मामले में सुनवाई की थी। इसे लेकर हाईकोर्ट ने खुद भी पूछा है कि इस केस में एफआईआर क्यों नहीं हुई है। जिम्मेदारों ने हाईकोर्ट में जवाब दिया है कि यह मौत प्राकृतिक है और पीएम रिपोर्ट पेश कर अपनी सफाई दी थी और बताया था कि स्टाफ पर कार्रवाई की है और पेस्ट कंट्रोल कंपनी को टर्मिनेट किया है। लेकिन पूरे मामले में पूर्व मंत्री के दामाद डीन डॉ. घनघोरिया को बचा लिया गया और साथ ही अधीक्षक को केवल मेडिकल लीव पर भेजकर ठंडा कर दिया गया। किसी तरह का कोई केस भी दर्ज नहीं हुआ है।

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