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Photograph: (The Sootr)
INDORE. श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर की जमीन को निजी से फिर से सरकारी घोषित करने के साथ ही प्रशासन ने सोमवार को बड़ा कदम उठाया। कलेक्टर आशीष सिंह के आदेश पर एसडीएम प्रदीप सोनी टीम लेकर मौके पर पहुंचे और जमीन का पंचनामा बनाकर उस पर औपचारिक तौर पर कब्जा लिया। साथ ही चेतावनी बोर्ड भी तान दिया गया। जमीन की कीमत 150 करोड़ करीब बताई जा रही है। इस मामले में हाल ही में कलेक्टर कोर्ट से आदेश जारी हुआ था।
सभी 11 बटांकन, नामांतरण कर दिए रद्द
न्यायालय कलेक्टर जिला इंदौर का प्रकरण क्रमांक / 02 / निगरानी / 2025-26 आदेश दिनांक 23/07/2025 के माध्यम से ग्राम पिपल्याकुमार स्थित भूमि खसरा क्रमांक 206 से सम्बंधित सभी बटांकन के नामांतरण आदेश रद्द कर दिए गए। साथ ही सर्वे नंबर पर श्री खेड़ापति मंदिर एवं श्री राम मंदिर व्यवस्थापक कलेक्टर का नाम अंकित किया गया है।
आदेश के परिपालन में दिनांक 28/07/2025 को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व जूनी इंदौर प्रदीप सोनी, तहसीलदार जूनी इंदौर प्रीति भिसे, सहित नगर निगम एवं राजस्व अमले के द्वारा ग्राम पिपल्याकुमार स्थित भूमि खसरा क्रमांक 206 के समस्त बटांकन के कुल रकबा 1.1890 हेक्टेयर को अतिक्रण मुक्त कराते हुए कब्जा लिया गया। यहां पर कुछ लोगों द्वारा खेती की जा रही थी।
मंदिर की जमीन बेचने का अधिकार किसी को नहीं
मंदिर के जमीन बेचने का अधिकार पुजारी को नहीं कभी भी नहीं था । फिर भी इसको बेच दिया गया था जिसमें तत्कालीन तहसीलदार द्वारा नामांतरण भी कर दिया गया। श्रीराम मंदिर व खेड़ापति हनुमान मंदिर के नाम की सरकारी जमीन जिसे 2008-09 में वर्ग विशेष के 18 लोगों ने अपने नाम करा लिया था। इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने इस जमीन को सरकारी घोषित करने, फिर से सरकार के नाम दर्ज करने और कब्जा लेने के आदेश दिए थे।
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इस जमीन का है मामला
ग्राम पिपल्याकुमार की सर्वे नंबर 206 की यह जमीन 1925-26 मीसल बंदोबस्त में देवस्थान खेड़ापति हनुमान मंदिर नंदराम के नाम पर थी। फिर यह जमीन बाबूदास बैरागी को गुरू शिष्य परंपरा के तहत ओंकारदास से मिली। यह जमीन साल 1997-98 से 2008-09 तक श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर व्यवस्थापक कलेक्टर के नाम पर होकर सरकारी रही। लेकिन इसके बाद इस जमीन पर नामांतरण हो गए और यह निजी खाते में चली गई।
इन्होंने करा ली जमीन अपने नाम पर
तत्कालीन तहसीलदार ने विविध न्यायलयीन आदेशों का हवाला लेकर जमीन के 11 टुकड़े करते हुए इनके नाम पर नामांतरण व बटांकन कर दिए। मंदिर की जमीन इम्तियाज पिता अब्दुल रज्जाक, सैय्यद मोइनउद्दीन अहमद पिता सैयद बहाउद्दीन, मोहम्मद सलीम पिता अब्दुल रज्जाक, मोहम्मद फारूख पिता हाजी इब्राहिम, आबेदा पित मोहम्मद फारूख, मोहम्मद नईम पिता नूर मोहम्मद, आबेद पति फारूक, मोहम्मद अशफाक पिता अब्दुल रज्जाक, मोहम्मद सलीम पिता हाजी इब्राहीम, असलम पिता अब्दुल रज्जाक, अंजुम पति सलीम, अब्दुल रज्जाक पिता अब्दुल शकूर, मोहम्मद मुनाफ पिता अब्दुल शकूर, नूर मोहम्मद पित अब्दुल शकूर, नूर मोहम्मद पिता अब्दुल शकूर, अब्दुल मजीद पिता अब्दुल शकूर, इकबाल पिता अब्दुल शकूर, बाबूदास पिता गंगादास, मोहम्मद माज पिता मोहम्मद यह दौलतगंज और ब्रुकबांड कॉलोनी के निवासी है, के नाम पर चढ़ गई।
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5 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर...प्रशासन का बड़ा कदम: इंदौर में प्रशासन ने श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर की जमीन को पुनः सरकारी घोषित किया और औपचारिक कब्जा लिया। जमीन की कीमत करीब 150 करोड़ बताई जा रही है। कलेक्टर के आदेश पर नामांतरण रद्द: कलेक्टर आशीष सिंह के आदेश पर ग्राम पिपल्याकुमार स्थित जमीन के सभी नामांतरण और बटांकन को रद्द कर दिया गया और सरकारी भूमि के तौर पर दर्ज किया गया। मंदिर की जमीन बेचने का अधिकार नहीं था: मंदिर की जमीन बेचने का अधिकार पुजारी या मंदिर प्रशासन को कभी नहीं था, फिर भी यह जमीन निजी स्वामित्व में चली गई, जिसे अब वापस सरकारी घोषित किया गया है। सुप्रीम कोर्ट तक चला मामला: बाबूदास बैरागी ने 1995 में जिला कोर्ट से स्वत्व का आदेश हासिल किया, लेकिन मंदिर की भूमि के बेचने का कोई अधिकार नहीं था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया, लेकिन प्रशासन की देरी से यह विवाद बढ़ गया था। प्रशासन ने मामले की पूरी जांच की: कलेक्टर आशीष सिंह ने मामले की पूरी जांच कर एसडीएम प्रदीप सोनी के माध्यम से कोर्ट के आदेश और नामांतरण को खंगालकर भूमि को पुनः सरकारी घोषित किया। |
जिला कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक समय के कारण हारा प्रशासन
इस जमीन को बाबूदास बैरागी ने अपने स्वत्व की घोषित हुए 1995 में जिला कोर्ट से आदेश हासिल कर दिया। इसके बाद प्रशसन की देरी से हुई अपील के चलते 2000 में सरकारी जमीन की याचिका खारिज हो गई। देरी से अपील के ही चलते यह अपील 2001 में हाईकोर्ट और फिर 2004 में सुप्रीम कोर्ट में भी खारिज हो गई। इसके बाद बैरागी ने जमीन बेचकर वर्ग विशेष के नाम करवा दी। इसमें जून 2016 में राजस्व मंडल से भी इन्हीं के हक में फैसला हुआ।
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जमीन को बचाने के लिए प्रशासन ने ऐसे निकाला रास्ता
इस मामले में लगातार विवाद था और मंदिर की जमीन दूसरों के हाथ में चली गई। इस पर कलेक्टर आशीष सिंह ने संज्ञान लिया और इसकी पूरी जांच के आदेश दिए। एसडीएम जूनी इंदौर प्रदीप सोनी ने इसमें कोर्ट के सभी आदेश, नामांतरण आदेश और पूरी फाइल के हजारों पन्ने खंगाले। इसमें रास्ता 1995 में बैरागी के ही पक्ष में जिला कोर्ट के आदेश में ही निकला।
जिला कोर्ट ने भले ही जमीन पर स्वामित्व बैरागी का माना लेकिन कहा कि- मंदिर की जमीन पूजा अर्चना के लिए दी गई है और वादी का इस पर स्वामित्व है। यानी जिला कोर्ट का साफ कहना था कि जब तक वादी यानी बैरागी इस जमीन पर पूजा अर्चना और धार्मिक काम करता है वह जमीन उसी के पास रहेगी, लेकिन इसमें कहीं भी उसे जमीन के बेचने और निजी करने के अधिकार नहीं थे। इसी आधार पर एसडीएम ने इस केस को पुनरीक्षण के लिए कलेक्टर की कोर्ट में भेजा। यहां पर कलेक्टर ने केस दर्ज कर सुनवाई की और सभी पक्षों से जवाब मांगा।
कलेक्टर ने इस आधार पर जमीन वापस ली
कलेक्टर सिंह ने सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश में कहा कि जिला कोर्ट के 1995 के आदेश में केवल पूजा अर्चन के लिए ही जमीन का स्वामित्व बैरागी का माना था, ना कि इसे बेचने के लिए। मप्र शासन के धर्मस्व विभाग का भी अक्टूबर 2014 का आदेश है जिसमें देव/मूर्ति/मंदजिर की मूल भूमि वापस लेने के लिए कहा गया है। इसके तहत यह पुनरीक्षण स्वीकार किया जाता है और आदेश दिए जाते हैं जूनी इंदौर तहसील द्वारा सर्वे नंबर 206 पर किए गए सभी नामांतरण, बटांकन रद्द किए जाते हैं और जमीन को सरकारी घोषित कर राजस्व रिकार्ड में कालम 3 में श्री खेड़ापति मंदिर व श्री राम मंदिर व्यवस्थापक कलेक्टर किया जाए। अब प्रशासन द्वारा मौके पर जाकर जमीन का कब्जा लिया जाएगा।
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