इंदौर लोकायुक्त में धराया भ्रष्ट बाबू दो साल से अटैच फिर भी खुड़ैल तहसील में कर रहा अधिकारियों की दलाली

इंदौर लोकायुक्त में रिश्वत लेते पकड़े गए बाबू सहायक ग्रेड 3 नरेंद्र नरवरिया ने पूरे राजस्व महकमे की पोल खोलकर रख दी। पहले भी वह भ्रष्टाचार के मामले में पकड़े जा चुके हैं। तब उन्हें नकल शाखा से हटाकर कनाडिया में अटैच कर दिया गया था।

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Sanjay Gupta
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Indore. मध्यप्रदेश के इंदौर लोकायुक्त में 50 हजार की रिश्वत के मामले में धाराए बाबू सहायक ग्रेड 3 नरेंद्र नरवरिया ने पूरे राजस्व महकमे की पोल खोलकर रख दी। यह बाबू दो साल पहले भ्रष्टाचार के मामले में ही नकल शाखा से हटाकर कनाडिया में अटैच कर दिया गया था। लेकिन अटैच होने के बाद से ही यह खुड़ैल तहसील में बैठकर अधिकारियों की दलाली कर रहा था। नकल शाखा में भी इसने बिना टिकट स्टाम्प के नकल देने का धंधा किया था और राजस्व की चोरी की थी।

इनकी दलाली में पकड़ाया, लेकिन एसडीएम क्या कर रहे थे?

यह बाबू नायब तहसीलदार दया राम निगम की दलाली में पकड़ा गया है। आरोप है कि रिश्वत निगम ने मांगी और इसे बाबू नरवरिया ने लिया। रिश्वत लेने और दलाली का काम बाबू का था। खुड़ैल तहसील में तहसीलदार पद पर अंकिता वाजपेयी हैं और यहां एसडीएम नीरज खरे हैं। सूत्रों को मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार यह बाबू लगातार खुड़ैल में ही बैठकर इन सभी अधिकारियों के संपर्क में रहता था।

निरीक्षण के दौरान आई थी आपत्ति, खरे ने किया था बचाव

सूत्रों को मिली जानकारी के अनुसार, इस मामले में जब निरीक्षण टीम खुड़ैल पहुंची और वहां भ्रष्ट बाबू नरवरिया को देखा तो इस पर आपत्ति ली थी, तब एसडीएम खरे ने इसका बचाव किया और कहा कि स्टाफ की कमी है, इसलिए कलेक्टर से इसकी मौखिक मंजूरी ली है और काम लिया जा रहा है। लेकिन इसका कोई आदेश-निर्देश कहीं नहीं था और मनमर्जी से खुड़ैल एसडीएम द्वारा इससे काम लिया जा रहा था। जिसके फायदे बाबू ने उठाए और दलाली का धंधा शुरू कर दिया।

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नरवरिया को क्लीन चिट देने की थी तैयारी

पहले से चल रहे भ्रष्टाचार के केस में नरवरिया की विभागीय जांच जारी थी, जो एक अधिकारी कर रहे थे, लेकिन जानकारी के अनुसार इस जांच में नरवरिया को क्लीन चिट देने की तैयारी हो चुकी थी। इसके बदले में नरवरिया इन अधिकारियों के जमकर काम कर रहा था और उन्हें उपकृत किया जा रहा था। हालांकि अब एक बार फिर नरवरिया के लोकायुक्त में फंसने के चलते अब क्लीन चिट देना मुश्किल हो जाएगा।

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कलेक्टोरेट से दूर हुई तहसीलों में चल रही मनमर्जी

इंदौर में जब से तहसीलें दूर हुई हैं और कलेक्टोरेट से हटी हैं, तब से यहां मॉनीटरिंग का कोई सिस्टम नहीं रह गया है और जमकर मनमर्जी चल रही है। इंदौर कलेक्टोरेट से राऊ, मल्हारगंज, कनाडिया, खुड़ैल ये सभी तहसीलें शिफ्ट हो चुकी हैं। इन तहसीलों में कौन आ रहा है, कौन जा रहा है और क्या चल रहा है, इसकी कोई भी मॉनिटरिंग की व्यवस्था नहीं है। इसी का खामियाजा है कि दो साल से निलंबित बाबू नरवरिया खुड़ैल में बैठकर दलाली कर रहा है और कोई बोलने वाला या देखने वाला नहीं है।

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नायब तहसीलदार गायब, बाबू पकड़ाया था

आवेदक कृष्ण कुमार डांगी, एडवोकेट, निवासी, ग्रेटर ब्रजेश्वरी, इंदौर की शिकायत पर लोकायुक्त ने दया राम निगम, नायब तहसीलदार, तहसील खुड़ैल जिला इंदौर और उनके सहयोगी नरेंद्र नरवरिया, निलंबित सहायक ग्रेड 3, वर्तमान अटैच तहसील कनाडिया को भ्रष्टाचार केस में आरोपी बनाया है। इसमें मौके पर मंगलवार को बाबू को पकड़ा गया था। नायब तहसीलदार गायब था। आवेदक एडवोकेट कृष्ण कांत दांगी ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त इंदौर राजेश सहाय को आवेदन किया था कि उसकी विधवा बुआ भगवंतिबाई, निवासी ग्राम खराडीया की भूमि के नामांतरण हेतु बाबू नरेंद्र नरवरिया द्वारा नायब तहसीलदार खुड़ैल दयाराम निगम के साथ मिलकर 50,000/- रुपए रिश्वत मांगी जा रही है।

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एसपी ने सत्यापन कराया तो शिकायत सही पाई गई। आरोपियों द्वारा 30 सितंबर को आवेदक से रिश्वत राशि लेना तय किया और आवेदक को रिश्वत राशि लेकर तहसील खुड़ैल कार्यालय बुलाया। एसपी ने ट्रैप दल गठित कर ट्रैप प्लान किया गया। तहसील कार्यालय में निलंबित सहायक ग्रेड 3 नरेंद्र नरवरिया ने आवेदक से रिश्वत राशि अपने टेबल की दराज में रखवा ली। रिश्वत राशि लेते ही आसपास तैनात लोकायुक्त दल ने आरोपी बाबू को पकड़ लिया। आरोपियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम 2018 की धारा 7, 61(2) के अंतर्गत कार्रवाई हो रही है। बता दें कि, यह 50 हजार की रिश्वत का मामला है। जिसे लेकर चर्चा जारी है। 

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