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Photograph: (the sootr)
Indore. जिस मेट्रो को शहर के ट्रैफिक का स्थायी समाधान बताया गया था, वही आज यात्रियों का इंतजार कर रही है। 31 मई 2025 को 5.8 किमी के शुरुआती कॉरिडोर पर शुरू हुई इंदौर मेट्रो की तस्वीर अब उलटी है। हर महीने करीब 80 लाख रुपए का बिजली बिल और कई फेरे बिना यात्रियों के लग रहे हैं।
फ्री राइड खत्म, उत्साह भी खत्म
शुरुआती दिनों में निशुल्क यात्रा के चलते मेट्रो को ‘जॉय राइड’ का दर्जा मिला। पहले सप्ताह में रोजाना करीब 20 हजार लोग पांच स्टेशनों के बीच सफर करते दिखे। लेकिन किराया लागू होते ही ग्राफ धड़ाम हो गया। अब हालात यह हैं कि औसतन सिर्फ 40 यात्री प्रतिदिन मेट्रो में सफर कर रहे हैं।
घाटे में इंदौर मेट्रों और बढ़ती लागत को ऐसे समझें
इंदौर मेट्रो की शुरुआत: 31 मई 2025 को 5.8 किमी के सेक्शन पर इंदौर मेट्रो शुरू हुई, लेकिन अब इसका संचालन घाटे में चल रहा है। महीने का 80 लाख बिजली बिल: इंदौर मेट्रो को हर महीने करीब 80 लाख रुपये का बिजली बिल चुकाना पड़ रहा है, जो एक बड़ा खर्च है। मेट्रो यात्रियों की संख्या में गिरावट: किराया लागू होने के बाद मेट्रो में यात्री संख्या में भारी गिरावट आई, अब केवल 40 यात्री प्रतिदिन यात्रा करते हैं। कम फेरे और खाली ट्रेनें: मेट्रो के संचालन की समय सीमा घटाकर केवल दोपहर 1 बजे से शाम 7 बजे तक कर दी गई, कई फेरे खाली जाते हैं। 7,500 करोड़ रुपये की लागत: इंदौर मेट्रो परियोजना की कुल लागत 7,500 करोड़ रुपये है, जिसमें रिंग लाइन और प्रमुख कॉरिडोर शामिल हैं। |
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कई फेरे-बिना सवारी
कम डिमांड के चलते संचालन सीमित कर दिया गया है। फिलहाल दोपहर 1 बजे से शाम 7 बजे तक, वह भी हर दो घंटे में एक फेरा। इसके बावजूद कई बार ट्रेन पूरी तरह खाली प्लेटफॉर्म छोड़ती है और खाली ही लौट आती है।
2000 किलोवॉट कनेक्शन, 2 करोड़ तक जा सकता है खर्च
अधिकारियों के मुताबिक 5.8 किमी के सेक्शन के लिए करीब 2000 किलोवॉट का हाई-वोल्टेज कनेक्शन लिया है। मौजूदा बिल 80 लाख रुपए प्रतिमाह है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि जब पूरी 34 किमी रिंग लाइन चालू होगी, तो यह खर्च 2 करोड़ रुपए प्रतिमाह तक पहुंचेगा।
वेतन पर भी लाखों का बोझ
मेट्रो के लिए भारी प्रशासनिक-तकनीकी अमला तैनात है। एजीएम, डीसीएम, स्टेशन कंट्रोलर जैसे पदों पर तैनात अधिकारियों का वेतन एक लाख रुपए से अधिक बताया जा रहा है। सुरक्षा और हाउसकीपिंग आउटसोर्स है जहां औसतन 25 हजार रुपए मासिक वेतन दिया जा रहा है। नतीजा, हर महीने वेतन मद में भी लाखों का खर्च।
कितने का है प्रोजेक्ट, अभी कहां तक पहुंचा काम
इंदौर मेट्रो परियोजना की कुल अनुमानित लागत करीब 7,500 करोड़ रुपए बताई जा रही है। योजना के तहत शहर में करीब 34 किलोमीटर लंबा मेट्रो नेटवर्क विकसित किया जाना है। इसमें रिंग लाइन और प्रमुख कॉरिडोर शामिल हैं।
फिलहाल जमीन पर हकीकत यह है कि सिर्फ 5.8 किमी का ट्रायल/प्रारंभिक सेक्शन ही चालू हो पाया है। शेष रूट पर कहीं निर्माण जारी है, तो कहीं तकनीकी और प्रशासनिक प्रक्रियाएं अभी पूरी नहीं हो सकी हैं। यानी अरबों रुपए के इस मेगा प्रोजेक्ट का बड़ा हिस्सा अभी भी कागज और निर्माणाधीन ढांचे तक सीमित है।
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रोजमर्रा की जरूरत नहीं बन पाई
शहरी परिवहन विशेषज्ञ मानते हैं कि मेट्रो का असली फायदा तब मिलेगा, जब पूरा नेटवर्क शहर के प्रमुख इलाकों को जोड़ेगा। सीमित दूरी और कम स्टेशनों के कारण मेट्रो अभी आम लोगों की दैनिक जरूरत नहीं बन पाई है। फिलहाल यह सिर्फ आकर्षण बनकर रह गई है।
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