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Photograph: (The Sootr)
INDORE. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), इंदौर ने नगर निगम इंदौर के 150 करोड़ के फर्जी बिल घोटाले में संपत्तियां अटैच करने का काम तेज कर दिया है। द सूत्र ने सात जनवरी को ही इस संबंध में खबर प्रकाशित की थी कि ईडी ने मुख्य आरोपी निगम इंजीनियर अभय राठौर के साथ ही अन्य आरोपियों और ठेकेदारों की संपत्तियों की लिस्ट बना ली है और जल्द अटैच किया जाएगा।
34 करोड़ की प्रापर्टी की अटैच
ईडी ने निगम के इस घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। आरोपियों की 34 करोड़ की संपत्तियां अटैच की गई है। कुर्क की गई संपत्तियों में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित 43 अचल संपत्तियां (आवासीय और कृषि दोनों) शामिल हैं। ईडी ने फर्जी बिल घोटाले के संबंध में आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत मध्य प्रदेश पुलिस, इंदौर द्वारा दर्ज विभिन्न एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की है।
ईडी का जांच में अभी तक यह आया
ईडी की जांच से पता चला है कि नगर निगम इंदौर के अधिकारियों के साथ मिलकर विभिन्न ठेकेदारों ने आपराधिक साजिश रची और जमीनी स्तर पर कोई काम किए बिना "ड्रेनेज निर्माण कार्य" के फर्जी बिल पेश करके अपराध से आय अर्जित की। आरोपी ठेकेदारों को अवैध रूप से 92 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। ईडी की जांच से पता चला है कि ठेकेदारों द्वारा अपने कर्मचारियों/श्रमिकों के नाम पर बनाए गए म्यूल खातों का उपयोग करके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भारी मात्रा में नकदी निकाली गई और उक्त नकदी को आरोपी ठेकेदारों और सरकारी अधिकारियों के बीच बांट लिया गया।
ईडी ने छापे भी मारे थे
इससे पहले ईडी ने 5 व 6 अगस्त 2024 में इंदौर में आरोपियों के 20 से अधिक स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया और विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेजों और डिजिटल उपकरणों के साथ 22 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति जब्त की थी। अभी आगे की जांच जारी है।
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यह संपत्तियां की थी चिन्हित
जानकारी के अनुसार इस घोटाले के आरोपियों की 40 से ज्य़ादा प्रॉपर्टी की लिस्ट ईडी ने जांच के बाद बना ली थी और इसके अटैचमेंट की प्रोसेस शुरू कर दी थी।। इसकी कीमत भी 50 करोड़ से ज्यादा की बताई जा रही है। इसमें मूल रूप से फ्लैट और मकान है। कुछ लोगों के पास खेती की जमीन भी है, इसे भी अटैच किया जा रहा है।
इन आरोपियों की प्रॉपर्टी के हो रहे अटैचमेंट
घोटाले के मुख्य आरोपी नगर निगम के इंजीनियर अभय सिंह राठौर मुख्य निशाने पर है। उसके खुद के नाम की संपत्ति के साथ ही बहन मीरा राठौर, पिता प्रकाश सिंह राठौर और मां सरला के नाम की प्रापर्टी अटैच हो रही है। वहीं मोहम्मद एहतेश्याम खान उर्फ काकू, मोहम्मद असलम खान, रहेल खान व बिल्किस खान की भी संपत्तियां है। साथ ही राहुल बढेरा, रेणु बढेरा. मोहम्मद जाकिर, मोहम्मद साजिद, मीरा शर्मा, राजेंद्र शर्मा, किरन सिरोजिया, राजकुमार साल्वी, शीला बढेरा की भी प्रॉपर्टी अटैच की जा रही है।
ED ने छापे में यह पाया था
ईडी ने नगर निगम घोटाले में मारे गए छाप के बाद औपचारिक तौर पर बताया था कि इंदौर सब रीजनल कार्यालय ने मनी लाण्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) 2002 के तहत निगम के फर्जी बिल घोटाले में 5 और 6 अगस्त को इंदौर में 20 ठिकानों पर छापे मारकर तलाशी अभियान चलाया था। तलाशी अभियान के दौरान, विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस, 1.25 करोड़ रुपए की बेहिसाबी नकदी जब्त की गई और बैंक खाते, सावधि जमा और म्यूचुअल फंड और इक्विटी के रूप में कुल 20.8 करोड़ रुपए के निवेश को फ्रीज कर दिया गया। आगे की जांच जारी है।
ED, Indore has provisionally attached assets worth Rs. 34 Crore (approx.) in connection with the case of “Indore Municipal Corporation (IMC)” Fake Bills Scamunder the provisions of PMLA, 2002. The attached assets include 43 of immovable properties (both Residential &…
— ED (@dir_ed) July 4, 2025
पुलिस एफआईआर के आधार पर किया है केस दर्ज
ईडी ने बताया कि आईएमसी फर्जी बिल घोटाले के संबंध में आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत मध्य प्रदेश पुलिस, इंदौर द्वारा दर्ज विभिन्न एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की है। ईडी की जांच से पता चला कि आईएमसी अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके विभिन्न ठेकेदारों ने आपराधिक साजिश रची और ड्रेनेज के निर्माण कार्य के फर्जी बिल पेश करके क्राइम किया और इससे कमाई की। जिस काम के लिए फर्जी बिल बनाए गए थे, उसका भुगतान करने से पहले न तो जमीन पर काम किया गया था और न ही आईएमसी के लेखा और लेखा परीक्षा विभाग द्वारा उसका सत्यापन किया गया था। विभिन्न निजी ठेकेदारों द्वारा आईएमसी के समक्ष फर्जी बिल प्रस्तुत करके बनाए गए पीओसी को उनके और विभिन्न आईएमसी अधिकारियों के बीच लूटा गया।
इन जगहों पर मारे गए थे छापे
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार सुबह घोटाले के मास्टर माइंड अभय राठौर, नगर निगम के अकाउंटेंट अनिल गर्ग के ठिकानों सहित 20 स्थानों पर छापे मारे थे। इसमें मुख्य मास्टमाइंड माने जाने वाले गिरफ्तार इंजीनियर अभय राठौर के साथ ही ज्वाइंट डायरेक्टर आडिट अनिल गर्ग सहित सभी आरोपी ठेकेदार व निगम के आरोपी अधिकारी शामिल थे। निगम के फर्जी बिल घोटाले में पुलिस ने करीब 20 आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग के दर्ज किए थे। यह सभी ईडी के केस में भी आरोपी बने हैं। इनमें ठेकेदारों के अलावा, निगम अधिकारी, कर्मचारी आदि शामिल हैं। ईडी द्वारा रेणु वडेरा निवासी 6 आशीष नगर, मोहम्मद जाकिर निवासी 147 मदीना नगर, राहुल वडेरा निवासी 2 आशीष नगर, राजकुमार पिता पन्नालाल साल्वी निवासी 78 अम्बिकापुरी हरीश श्रीवास्तव निवासी 55 सुखदेवनगर, प्रो. एहतेशाम पिता बिलकीॉस खान निवासी 128 माणिक बाग, जाहिद खान निवासी 101 सकीना अपार्टमेंट अशोाका कॉलोनी, मोहम्मद साजिद निवासी मदीना नगर, मोहम्मद सिध्दिकी निवासी मदीना नगर), उदयसिंह पिता रामनरेश सिंह भदौरिया निवासी 31-सी सुखलिया, मुरलीधर पिता चंद्रशेखर निवासी 697 शिव सिटी राऊ, मौसम व्यास के ठिकानों पर भी जांच की गई।
नगर निगम के यह अधिकारी उलझे
अभी तक इस मामले में पुलिस ने करीब 7 एफआईआर दर्ज की है। जिसमें आरोपियों पर आईपीसी धारा 420, 467, 468, 471, 474, 120बी और 34 की धाराएं लगी है। इसमें नगर निगम इंजीनियर अभय राठौर के साथ ही निगम के उदय भदौरिया, चेतन भदौरिया, मुरलीधर, राजकुमार साल्वी, संयुक्त संचालक अनिल कुमार गर्ग, डिप्टी डायरेक्टर समर सिंह, असिस्टेंट आडिटर रामेश्वर परमार को आरोपी बनाया गया है। यह सभी गिरफ्तार हो चुके हैं और इसमें से मुरलीधर की जमानत हाईकोर्ट से हो चुकी है।
दर्जन भर ठेकेदार भी आए उलझन में
वहीं ठेकेदारों में मोहम्दद सिद्दकी, मोहम्मद जाकिर, मोहम्मद साजिद, रेणु वढेरा, राहुल वढेरा, जाकिर, एहतेमाश उर्फ काकू, बिकलिस खान, जाहिद खान, राजेंद्र शर्मा , मौसम व्यास इन सभी पर भी पुलिस ने केस दर्ज किया है।
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