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इंदौर के एमवाय हॉस्पिटल में चूहों के काटने से दो नवजातों की मौत के मामले में एक नई रिपोर्ट सामने आई है। आईएएस डॉ. योगेश भरसट (जो आयुष्मान के सीईओ हैं) ने इस रिपोर्ट में डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और अधीक्षक डॉ. अशोक यादव को प्रशासनिक तौर पर फेल बताया। इस घटना के लिए जिम्मेदार भी ठहराया। खास बात ये है कि डॉ. घनघोरिया पूर्व मंत्री के दामाद हैं, इसलिए सभी जिम्मेदार लोग उन पर कार्रवाई करने से बचते रहे। वहीं, अधीक्षक ने इस मामले को दबाने के लिए अपना काम किसी और को सौंप दिया और मेडिकल लीव पर चले गए।
बड़ा खुलासा बेबी रेहाना खुद वेंटीलेटर से बाहर निकल गई
जांच रिपोर्ट में एक और बड़ा खुलासा हुआ है कि जिस बच्ची बेबी रेहाना की चूहों के काटने के बाद मौत हुई थी। उसके इलाज के दौरान भी एक बड़ी लापरवाही की गई।
उसका 27 अगस्त को ऑपरेशन हुआ था। ऑक्सीजन लेवल कम होने पर उसे वेंटीलेटर पर रखा गया था। वहीं इलाज के दौरान ध्यान नहीं दिया गया और बेबी रेहाना 28 अगस्त को अपने आप वेंटीलेटर से बाहर आ गई। इसके बाद फिर उसकी हालत बिगड़ने पर उसे फिर से वेंटीलेटर पर रखा गया।
जांच रिपोर्ट में इन सभी की लापरवाही
- पेस्ट कंट्रोल का पेटी कांट्रैक्ट पाने वाली कंपनी एजाइल ने अपना काम सही से नहीं किया।
- प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज जोशी भी सही समय पर उचित उपचार के निर्देश नहीं दे सके।
- डॉ. विनोद राज और डॉ. पूजा तिवारी (सह प्राध्यापक पीडियाट्रिक सर्जरी) भी दोषी। वह भी उच्च स्तर जानकारी नहीं दे सके और न समय पर उचित उपचार कर सके।
- नर्सिंग इंचार्ज प्रवीणा सिंह भी दोषी।
डीन और अधीक्षक के फेल होने पर यह लिखा है-
रिपोर्ट में लिखा है कि साफ-सफाई, पेस्ट और रोडेंट कंट्रोल सभी प्रशासनिक जिम्मेदारी डीन और अधीक्षक की होती है। उन्हें एजाइल कंपनी के कामों का भी निरीक्षण करना था और भुगतान देखना भी होता है। यह सभी जिम्मेदारी दोनों की थी। घटना के बाद सूचनाओं का आदान-प्रदान भी बेहतर नहीं कर सके। तथ्यों को सही समय पर सही तरीके से नहीं रखने के कारण घटना संबंध में जानकारी का अभाव बना रहा। प्रशासनिक रूप से डीन और अधीक्षक दोनों फेल रहे हैं।
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एचएलएल कंपनी को साल भर में 28.30 करोड़ भुगतान
इंदौर एमवाय अस्पताल (Indore MY Hospital) में मूल रूप से हाउसकीपिंग सेवाओं का ठेका एचएलएल इन्फ्रा कंपनी को मिला हुआ है। उसने पेस्ट कंट्रोल का काम एजाइल कंपनी को सौंपा है। कंपनी को हर साल 28.30 करोड़ रुपए का पेमेंट किया जाता है। मतलब हर महीने दो करोड़ 20 लाख रुपए।
यह बिना काम का उचित निरीक्षण किए लगातार हो रहा है। इसमें भी पेस्ट कंट्रोल में हर माह 3.25 लाख रुपए का भुगतान हो रहा है। इसमें दो लाख फ्यूमीगेशन पर और सवा लाख रुपए चूहे आदि मारने के लिए होता है। जांच में आया कि सात जनवरी को भी एनआईसीयू में चूहे दिखे और इसकी सूचना दी गई लेकिन इसके बाद भी प्रशासनिक स्तर पर कुछ नहीं किया गया।
पिता ने लगाई याचिका, हाईकोर्ट से विशेष जांच की मांग
मृतक बच्ची के पिता देवराम ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। मंगलवार को इस पर सुनवाई हुई। पिता ने कोर्ट से मांग की कि मामले की उच्च स्तर पर जांच हो। जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाए, क्योंकि उन्हें बचाया जा रहा है, और उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए। इस पर हाईकोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दिए हैं।
जयस ने फिर की मांग
उधर इस मामले में लंबा आंदोलन कर चुके और रैली निकाल चुके जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. लोकेश मुजाल्दा ने कहा है कि पूरे मामले में जिम्मेदारों को बचाया जा रहा है। डीन और अधीक्षक को खुद शासन की जांच रिपोर्ट में फेल बताया गया है।
इसके बाद भी निम्न स्तर पर छोटी कार्रवाई कर मामले को दबाया गया है। हम यही लगातार न्याय की मांग कर रहे हैं कि बड़ों पर कार्रवाई हो और डीन, अधीक्षक को हटाया जाए। ये सब के बाद भी ये कंपनियों को भी बचा रहे हैं और करोड़ों की राशि भुगतान हुई है। यह पूरा भ्रष्टाचार है।