संजय गुप्ता@INDORE. इंदौर में नोटरी पर प्रॉपर्टी खरीदी-बिक्री का बड़ा काम है। नोटरी लीगल डाक्यूमेंट नहीं है और इसके आधार पर संपत्ति का स्वामित्व नहीं माना जाता है। अब इस मामले में कलेक्टर आशीष सिंह ने बड़ा फैसला लिया है और नोटरी वाली संपत्तियों की रजिस्ट्री का फैसला किया है।
पायलट प्रोजेक्ट पर होगा यह कार्य
इस अभियान के तहत शहर के ऐसी अवैध कॉलोनियां जिन्हे राज्य शासन के निर्देशानुसार वैध किया गया है, वहां के रहवासियों की संपत्ति की रजिस्ट्री कराई जाएगी। इसके लिए अभी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह कार्य वार्ड नंबर 31 स्थित शीतल नगर रेडिसन होटल के पास और वार्ड नंबर 30 के मालवीय नगर में किया जाएगा। इन स्थानों पर बेहतर परिणाम प्राप्त होने के उपरांत अन्य क्षेत्रों में भी बढ़ाया जा सकेगा।
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आमजन को यह करना होगा
कई सालों से अविवादित संपत्ति की नोटरी के माध्यम से मालिक बने आमजन को अब नगर पालिका की संपत्ति कर रसीद और असेस्मेंट के आधार पर पंजीयन कार्यालय में अपने दस्तावेज का पंजीयन कराया जा सकेगा। ऐसे भूस्वामी जिनके पास मालिकाना हक की पुरानी नोटरी है वे उसके आधार पर आगे के दस्तावेज जैसे दान, विक्रय, सहस्वामी आदि दस्तावेज पंजीयन कार्यालय में पंजीयन करा सकेंगे।
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किसे क्या फायदा
आमजन- नोटरी विधिक दस्तावेज नहीं, रजिस्ट्री होने से विधिक दस्तावेज होगा। इससे वह बैंक लोन भी ले सकेंगे।
शासन को- उन्हें नोटरी होने पर रजिस्ट्री शुल्क और स्टाम्प ड्यूटी नहीं मिलती है। यह होने से राजस्व मिलेगा।
हाईकोर्ट ने दिया था आदेश
हाल ही में एक केस को लेकर हाईकोर्ट इंदौर ने अहम आदेश दिया था और कहा था कि अवैध कॉलोनी से शासन को स्टाम्प ड्यूटी का नुकसान होता है। इन अवैध कॉलोनियों में रजिस्ट्री की जाए और इसके लिए पूरी सूची नगर निगम जिला प्रशासन और जिला पंजीयन को उपलब्ध कराए। इस हाईकोर्ट आदेश से भी प्रशासन और पंजीयन विभाग को आमजन को राहत देने और शासन को राजस्व भी उपलब्ध कराने का रास्ता मिला। इसके बाद वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक शर्मा ने कलेक्टर के आदेश पर प्लान बनाया और फिर इस आधार पर यह पायलट प्रोजेक्ट बनाकर इसे शुरू किया जा रहा है।
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