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देश के आदर्श पुलिस थाने मंदसौर जिले के मल्हारगढ़ थाने की पुलिस की गलती सामने आते ही, मंदसौर एसपी ने ना नुकुर नहीं की और तत्काल 6 को सस्पेंड कर जांच बैठा दी।
हाईकोर्ट में कबूल किया कि प्रक्रियागत त्रुटि की गई है। अब बात करते हैं मप्र और इंदौर के सबसे पावरफुल टीआई (थाना प्रभारी) थाना चंदननगर के इंद्रमणि पटेल (Indore Police) की।
पावरफुल इसलिए क्योंकि इन्हें सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक फटकार लग चुकी है। हाईकोर्ट में गलती भी आ चुकी हैं और सीपी (पुलिस कमिश्नर) इंदौर को आदेश भी हो चुके हैं। लेकिन यह आज भी अपने पद पर कायम हैं।
क्या गंभीर आरोप है टीआई पटेल पर
टीआई पटेल पर आरोप है कि उन्होंने हाईकोर्ट में एक आरोपी अनवर हुसैन पर 4 की जगह 8 गंभीर केस बताए। इसके कारण उसकी जमानत नहीं हुई। मामला सुप्रीम कोर्ट में गया तो हलफनामा गलत पाया गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई और इसमें सीपी, एडिशनल डीसीपी और टीआई को भी पक्षकार बनाने के आदेश दिए।
बात यहीं नहीं रुकी सुप्रीम कोर्ट में इंटरविनर बने कानून के छात्र असद अली ने थाना चंदननगर द्वारा पेश किए जा रहे पाकेट गवाह की सूची पेश कर पोल खोल दी। 160 से ज्यादा केस में वहीं दो गवाह सलमान कुरैशी और आमिर रंगरेज को गवाह के तौर पर पेश किया गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई और इस पर सवाल खड़े किए। लेकिन इसके बाद भी इनके द्वारा फिर एक जुआ एक्ट केस में वहीं पुराने पाकेट गवाहों को पेश कर दिया।
इंदौर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने राजा दुबे के मामले में आकाश तिवारी द्वारा दायर हैबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान एचसी ने कहा था कि सीपी (Indore Police Case ) को अगले सुनवाई तक टीआई इंद्रमणि पटेल के खिलाफ विभागीय और आपराधिक कार्रवाई का प्रस्ताव पेश करना होगा।
लेकिन, इस सुनवाई से पहले 9 दिसंबर को ही कुछ आला अधिकारी टीआई को बचाने के लिए सामने आ गए। नतीजा ये हुआ कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली और मामला बिना किसी कार्रवाई के ही खत्म हो गया।
हाईकोर्ट का सीपी के लिए आदेश वजूद में है
एमपी हाईकोर्ट डबल बेंच द्वारा याचिका विड्रा होने से पहले आकाश तिवारी केस में दिया गया आदेश खारिज नहीं हुआ है। वह यथावत है जिसमें सीपी को टीआई पटेल पर विभागीय और आपराधिक एक्शन के लिए कहा गया था। लेकिन याचिका विड्रा होने के बाद इस पर किसी ने जोर नहीं दिया।
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व्यक्तिगत स्वतंत्रता से खिलवाड़ नहीं कर सकती पुलिस
मंदसौर मल्हारगढ़ थाना के मामले में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने एक अहम टिप्पणी की है। हालांकि एसपी ने अपनी प्रक्रियागत गलती मान ली थी, फिर भी हाईकोर्ट के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने गृह विभाग के पीएस को इसमें शामिल होने का आदेश दिया है। आदेश में साफ लिखा कि- इस देश के नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए, जिसका तत्काल संरक्षक केवल उच्च न्यायालय है।
हाईकोर्ट न सिर्फ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 और बीएनएसएसएस की धारा 528 के तहत अपनी ताकत का इस्तेमाल कर सकता है, बल्कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी पूरी शक्तियों का भी इस्तेमाल कर सकता है।
कई बार, इस न्यायालय का यह दायित्व बन जाता है कि वह सुनिश्चित करे कि ऐसे अधिकारों की रक्षा न केवल वर्तमान में, बल्कि भविष्य में भी हो, और इसके लिए निर्देश जरूरी है। यानी व्यक्ति की स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों से खिलवाड़ का रक्षक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी मामले में टीआई पटेल को फटकार लगाई थी जिसमें एक आरोपी पर चार की जगह 8 केस बताए थे जिससे उसकी हाईकोर्ट में जमानत नहीं हुई थी।
सीपी सिंह की चुप्पी चुभने लगी
अपनी सख्त कार्यशैली के लिए जाने वाले आईपीएस संतोष सिंह इंदौर में कैरट और स्टिक थ्योरी का लगातार इस्तेमाल कर रहे हैं। यानी अच्छा काम करने वालों को हर माह पुरस्कृत किया जा रहा है तो गलत काम करने वालों को डिमोशन जैसी सजा दी जा रही है। लेकिन टीआई इंद्रमणि पटेल जिनके कारण सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट में खाकी शर्मसार हुई है, उस पर सीपी ने चुप्पी साध रखी है। यह चुप्पी अब इंदौर से भोपाल तक पुलिस गलियारे में चुभने लगी है। सीएम डॉ. मोहन यादव के दो साल के कार्यकाल के दौरान भी एक मीडिया समूह ने अपने सवाल में इसे भी उठाया था। सीपी चुप्पी इंदौर के प्रभारी मंत्री सीएम डॉ. मोहन यादव के लिए भी सवाल बन रही है।
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