इंदौर में श्री गुरुसिंघ सभा चुनाव 3 नवंबर को कराने के आदेश

मध्‍य प्रदेश के इंदौर में श्री गुरुसिंह सभा के चुनाव को लेकर चल रही खींचतान खत्म हो गई है। इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 3 नवंबर को चुनाव कराने के आदेश दिए हैं।

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Sanjay gupta
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Shri Gurusingh Sabha
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INDORE : इंदौर में श्री गुरुसिंघ सभा चुनाव को लेकर चल रही उठापटक खत्म हो गई। इस मामले लगी याचिका पर सुनवाई करने के दौरान हाईकोर्ट इंदौर ने फर्म्स एंड सोसायटी असिस्टेंट रजिस्ट्रार से ही पूछा नई तारीख बताईए कब चुनाव हो सकते हैं। इसमें सोसायटी की ओर से अधिवक्ता ने लंच के बाद तक का समय लिया और इसके बाद हाईकोर्ट को 3 नवंबर की तारीख बताई। इसके बाद इस तारीख को चुनाव होना तय हो गया है।

इन्होंने लगाई थी याचिका यह रखा पक्ष

इस मामले में खालसा-फतेह पैनल के हरपाल उर्फ मोनू सिंह भाटिया हाईकोर्ट गए थे। नई याचिका पर हाईकोर्ट जस्टिस खुद चौंक गए और बोले कि आप लोगों का खत्म नहीं हो रहा है, कयोंकि इस मामले में तीन बार याचिकाएं लग चुकी थी। जिसमें से दो का निराकरण तो हाईकोर्ट ने पांच अक्टूबर के पहले ही कर चुनाव पर सभी रोक हटा दी थी।

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इस तरह चली सुनवाई

मोनू भाटिया के अधिवक्ता विजय आसुदानी ने कहा कि असिस्टेंट रजिस्ट्रार बीडी कुबेर ने नियमविरूद्ध आदेश पारित कर फिर से मतदाता सूची का प्रकाशन कर दावे आपत्ति बुलाने और चुनाव प्रक्रिया करने के लिए कहा है, जो पूरी तरह से अवैधानिक है। चुनाव के लिए मतदाता सूची पर आपत्तियां तो हाईकोर्ट के आदेश से फरवरी 2024 में ही चुकी है। प्रधान पद पर जो 12 साल से काबिज है, वह दो बार हाईकोर्ट आ चुके हैं और चार अक्टूबर को सभी आपत्तियां निराकृत कर याचिकाएं खत्म हो चुकी है। लेकिन अब असिस्टेंट रजिस्ट्रार द्वारा नए सिरे से आदेश जारी कर दिए गए। इससे चुनाव रूक गए हैं।

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10 नवंबर से पहले चुनाव की करी मांग

सुनवाई के दौरान कहा कहा गया कि समाज का 10 नवंबर को बड़ा धार्मिक आयोजन है। किसी भी तरह से 12 साल से काबिज फिर इस आयोजन तक बने रहना चाहते हैं। किस कारण से यह कर रहे है मैं इसमें नहीं जाना चाहता हूं, लेकिन यह नई तारीख बताएं और 10 नवंबर से पहले चुनाव कराएं। हम इन्हें लिख चुके हैं कि कब पुलिस बल देंगे ताकि चुनाव की नई तारीख आ जाए। इस पर हाईकोर्ट ने असिस्टेंट रजिस्ट्रार से नाराजगी जाहिर की तब कहा गया चुनाव की तारीख बताईए। इस पर कहा गया कि दिवाली बाद करा देते हैं। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि ठीक है आप तारीख बताइए कब कराएंगे। इसके बाद लंच के बाद तारीख बताने का समय लिया गया है। लंच के बाद 3 नवंबर की तारीख बताई गई। मोनू भाटिया ने तारीख आने पर कहा कि यह संगत की जीत है, 12 साल से काबिज लोग चुनाव नहीं चाहते थे जो संगत के खिलाफ था। उधर अभी रिंकू भाटिया की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। उनका मुद्दा लगातार रहा है कि मोनू अमृतधारी सिख नहीं है और ऐसे में वह बाय लॉज के हिसाब से चुनाव लड़ने के योग्य नहीं है।

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अभी तक यह हो चुका

चुनाव को लेकर लगातार आपत्तियां लग रही थी। सिंतबर में रिंकू भाटिया और जगजीत सिंह टूटेजा उर्फ सुग्गा की ओर से दो याचिकां लगाई गई और इसमें मोनू भाटिया व सचिव पद के उम्मीदवार बंटी भाटिया के अमृतधारी सिख नहीं होने पर आपत्ति लगी। हाईकोर्ट ने चुनाव अधिकारी हरप्रीत सिंह सूदन पर जिम्मा छोडा कि वह इस पर फैसला करें। सूदन ने गुरमुखी टेस्ट नहीं होने के बाद भी रिंकू की आपत्तियों को खारिज किया। इसके बाद 6 अक्टूबर को होने से पहले रिंकू दूसरी बार हाईकोर्ट गए। यह फैसला आता इसके पहले हो रही देर के चलते चुनाव अधिकारी ने पांच अक्टूबर को चुनाव पोस्टपोन की घोषणा कर दी। उधऱ् हाईकोर्ट ने चुनाव पर किसी तरह की रोक लगाने से इंकार कर दिया। यह फैसला आने के बाद चुनाव अधिकारी ने प्रशासन से पुलिस बल मांगा ताकि चुनाव करा सकें, लेकिन इसी दौरान बीडी कुबेर ने मतदाता सूची प्रकाशन कर चुनाव प्रक्रिया फिर से कराने की बात कह दी। इसी के खिलाफ मोनू याचिका में गए थे, उनका कहना है कि अब केवल वोटिंग होना है और यह बेवजह के अडंगे लगाए जा रहे हैं।

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