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इंदौर में हुए दर्दनाक ट्रक हादसे ने शहरवासियों को झकझोर दिया है। इस मामले पर अब मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। हाईकोर्ट ने इस घटना को गंभीर मानते हुए सुओ मोटो जनहित याचिका दर्ज की है। राज्य सरकार और इंदौर पुलिस कमिश्नर से जवाब तलब किया गया है।
हादसे की भयावह तस्वीर
हादसा 15 सितंबर की शाम को हुआ, जब एक भारी ट्रक कालानी नगर स्क्वॉयर से बड़ा गणपति स्क्वॉयर तक करीब 2 किलोमीटर के व्यस्त आवासीय इलाके में घुस गया। भीड़भाड़ वाले समय में ट्रक ने बेकाबू होकर कई गाड़ियों और राहगीरों को टक्कर मारी।
इस भीषण घटना में 35 लोग घायल हुए, जिनमें से 12 की हालत गंभीर बताई जा रही है, जबकि 3 लोगों की मौत हो गई। हादसे का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें साफ दिख रहा है कि ट्रक अनियंत्रित गति से कई वाहनों, दोपहिया और पैदल चलने वालों को रौंदता हुआ आगे बढ़ा और बाद में उसमें आग लग गई।
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हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर किया हस्तक्षेप
घटना की रिपोर्टिंग मीडिया में होने और उसके वीडियो के माध्यम से सामने आने के बाद हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच ने स्वतः संज्ञान लिया। अदालत ने इस घटना को आमजन की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि ऐसे हालात में न्यायपालिका का हस्तक्षेप जरूरी है।
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इंदौर पुलिस कमिश्नर को देना होगा जवाब
हाईकोर्ट ने इंदौर पुलिस कमिश्नर को मामले में प्रतिवादी बनाते हुए स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे शपथपत्र (एफिडेविट) दाखिल करें और बताएं कि आखिर कैसे इतना भारी ट्रक व्यस्त रिहायशी इलाके में पीक ऑवर में घुसने दिया गया? करीब 2 किलोमीटर तक ट्रक बिना रोके कैसे चलता रहा?
पुलिस या यातायात विभाग ने इसे रोकने के लिए तत्काल कदम क्यों नहीं उठाए? इसके साथ ही कोर्ट ने पूछा है कि भविष्य में ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
इंदौर पुलिस कमिश्नर होंगे हाजिर
हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर 2025 को तय की है। आदेश में साफ कहा गया है कि इंदौर पुलिस कमिश्नर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में मौजूद रहना होगा और उनके स्थान पर एक वरिष्ठ अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से जबलपुर हाईकोर्ट में पेश होना पड़ेगा। अदालत ने यह भी सुनिश्चित किया कि आदेश की प्रति तुरंत पुलिस कमिश्नर इंदौर तक पहुंचाई जाए ताकि वे तैयारी कर सकें।
जनसुरक्षा पर बड़ा संदेश
हाईकोर्ट की यह सख्ती स्पष्ट करती है कि सड़क सुरक्षा और नागरिकों की जान की रक्षा को लेकर अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इंदौर ट्रक हादसा केवल एक शहर का मामला नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की यातायात व्यवस्था और प्रशासनिक जिम्मेदारी पर सवाल उठाता है। अदालत का यह हस्तक्षेप आने वाले दिनों में राज्य सरकार और पुलिस के लिए जवाबदेही तय करने वाला साबित हो सकता है।