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Photograph: (the sootr)
इंदौर में पांच हजार करोड़ की संपत्तियों को अपना बताने का दावा कर चुके एनजीओ नेशनल जस्टिस काउंसिल नई दिल्ली के चेयरमैन उमेश वीर विक्रम सिंह अब सीबीआई के हत्थे चढ़ा है। मोहाली सीबीआई कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया है। इसने पंजाब में भी फर्जी ट्रस्ट बनाकर वहां एक ट्रस्ट की 150 करोड़ की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की। इस पर सीबीआई में नवंबर 2013 में केस हुआ और उसे हाल ही में गिरफ्तार किया गया। हाईकोर्ट पंजाब-हरियाणा ने अग्रिम जमानत खारिज कर दी है।
पंजाब में यह लगे हैं आरोप
सीबीआई ने इस मामले में पंजाब में हुई एफआईआर के आधार पर हाईकोर्ट के आदेश से जांच शुरू की और साल 2013 में दो केस दर्ज किए। आरोप है कि आरोपियों ने मिलकर जीरकपुर-पटियाला हाईवे पर 8 एकड़ जमीन 150 करोड़ जमीन पर कब्जे की कोशिश की।
इसके लिए ओरिजनल ट्रस्ट (गुरु नानक विद्या भंडार ट्रस्ट दरियागंज नई दिल्ली) से मिलते-जुलते नाम वाले ट्रस्ट गुरु नानक विद्या भंडार ट्रस्ट नई दिल्ली शहादरा बनाया। इसके लिए आरोपी कुलदीप सिंह, राजीव कुमार, एच सिंह सचदेवा, कुलजिंदर सिंह और हरमिंदर सिंह सिद्धू, विकास कुमार, उमेश वीर विक्रम सिंह और परमवीर सिंह ने सांठगांठ की। मूल ट्रस्ट के प्रबंधन द्वारा शिकायत पर इसकी जांच हुई और केस दर्ज किया गया।
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उमेश सिंह ने इंदौर की इन संपत्तियों पर किया था दावा
उमेश वीर विक्रम सिंह जो खुद को प्रशासनिक अध्यक्ष- नेशनल जस्टिस काउंसिल और चेयरमैन सेंट्रल लीगल अथॉरिटी बताता है। इसने मार्च 2023 में जिला प्रशासन इंदौर को एक पत्र भेजा था। इसमें उसने खुद को बंगाल के जगत सेठ परिवार का वारिस बताते हुए इंदौर की पांच हजार करोड़ मूल्य की 61 संपत्तियों को खुद का बताया। इसमें राजकुमार मिल, होप मिल, हुकुमचंद मिल, राजकुमार मिल यह सभी शामिल थी।
यह लिखा था वीर सिंह ने पत्र में
नेशनल जस्टिस काउंसिल दिल्ली एनजीओ के चेयरमैन के बतौर उमेश वीर विक्रम सिंह ने यह पत्र भेजा था। इसमें लिखा था कि- लक्ष्मी इम्पीरियल आफ जगत इंडस्ट्रीज (जगत सेठ) की पूरे भारत में 12004 संपत्तियां और 26 देशों में 2303 संपत्तियां है। जो उनके अथवा प्रबंधकों के नाम पर है। इंदौर में 61 संपत्तिया हैं इसमें मालवा यूनाइटेड मिल, हुकुम चंद मिल, राजुकमार मिल, स्वदेशी मिल, होप मिल भी है। यह संपत्तियां 1952 तक लावारिस थी, जो पूर्वजों से होतोे हुए हमारे पिता के पास आई। इनके दस्तावेज बाद में मिले।
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कौन है जगत सेठ
जगत सेठ एक टाइटल है जो फतेह चंद को मुगल बादशाह मुहम्मद शाह ने 1723 में दिया था। इसके बाद परिवार को जगत सेठ कहा जाने लगा। इस परिवार के संस्थापक मानिक चंद को माना जाता है। इन्होंने बंगाल के जगत सेठ परिवार की बुनियाद रखी। उनके उत्तराधिकारी फतेहचंद के समय इस परिवार की आय काफी बढ़ी।
एक समय आधे बंगाल की जमीन इनके नाम की कही जाती थी। उस समय इनकी संपत्ति एक करोड़ पाउंड बताई जाती थी जो आज के समय में एक हजार बिलियन पाउंड होती है। कहा जाता था कि इनके पास इंग्लैंड के सभी बैंकों से भी ज्यादा संपत्ति है। कहा जाता है कि इन्होंने अंग्रेजों को काफी कर्जा दिया, बाद में अंग्रेजों ने राशि नहीं लौटाई, इससे इनकी हालत खराब हुई और साल 1912 में यह परिवार लुप्त हो गया।
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