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मध्यप्रदेश में मोहन सरकार के एक साल के कार्यकाल के पूरे होने पर गुरुवार को भोपाल के मिंटो हॉल में मंथन कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस दौरान नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दो प्रमुख योजनाओं और उनके क्रियान्वयन पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, "मप्र की शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate - IMR) में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। उमा भारती (2003-04 में मुख्यमंत्री) के समय से इसी तरह के प्रेजेंटेशन देख रहे हैं। आंकड़े भी कमोबेश वही हैं।"
यह टिप्पणी गरीब कल्याण से जुड़े एक प्रेजेंटेशन पर चर्चा के दौरान की गई, जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी मौजूद थे। कैलाश ने सुझाव दिया कि इस समस्या को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
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जल जीवन मिशन पर सवाल
विजयवर्गीय ने जल जीवन मिशन की स्थिति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मिशन का क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हो रहा है। इस पर उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने जवाब दिया कि ब्लॉक स्तर तक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए अस्पतालों पर काम किया जा रहा है।
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मध्यप्रदेश की शिशु मृत्यु दर चिंताजनक
मध्यप्रदेश में वर्तमान शिशु मृत्यु दर 4.6% है, जो देश में सबसे अधिक है। इसका अर्थ है कि हर 1,000 नवजातों में से 46 बच्चों की मृत्यु हो जाती है। वर्ष 2015 में यह दर 5% थी।
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जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन वेरिफिकेशन
कैबिनेट बैठक में "जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम 2024" को मंजूरी दी गई। इसके तहत जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के आवेदन व वेरिफिकेशन ऑनलाइन होंगे। हालांकि, एक साल के भीतर जिला मजिस्ट्रेट या एसडीएम से सत्यापन कराना अनिवार्य होगा।
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