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जबलपुर कलेक्टर कार्यालय में स्थित स्थानीय निधि संपरीक्षा कार्यालय में करीब 7 करोड़ रुपए के घोटाले का पर्दाफाश हुआ था। घोटाले के मास्टरमाइंड ग्रेड-3 के सहायक संदीप शर्मा सहित सभी आरोपी अब तक फरार हैं। पांच फरार आरोपियों पर 10-10 हजार रुपए का इनाम जबलपुर पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय ने घोषित किया है।
इस मामले के मुख्य आरोपी संदीप शर्मा ने ना सिर्फ अपने वेतन में 1300 प्रतिशत की अवैध वृद्धि की, बल्कि हाईकोर्ट के फर्जी आदेश और डिजिटल जाति प्रमाण पत्र तक तैयार कर डाले थे। जिला कोषालय अधिकारी को दो संदिग्ध भुगतान बिलों की जांच का आदेश मिला, जिसके बाद जांच में सामने आया कि IFMIS सॉफ्टवेयर के माध्यम से फर्जी आदेश बनाकर करोड़ों की राशि सरकारी खाते से निकाल ली गई। सबसे चौंकाने वाला पहलू यह कि संदीप शर्मा ने अपने नाम पर ही 53.55 लाख रुपए का गबन किया।
इन पांच आरोपियों पर 50 हजार का इनाम घोषित
इस संगठित घोटाले में संदीप शर्मा के साथ विभाग के ही अन्य कर्मचारी भी शामिल थे और सभी फरार आरोपियों की गिरफ्तारी पर एसपी जबलपुर ने कुल 50 हजार रूपए का इनाम घोषित किया है। मामले के मुख्य आरोपी 39 वर्षीय संदीप शर्मा सहित शताब्दीपुरम विजय नगर निवासी प्रिया विश्नोई, राजीव गांधी नगर कटंगा निवासी 36 वर्षीय अनूप कुमार बौरिया, संजीवनी नगर निवासी सीमा अमित तिवारी, मनोज बरहैया तत्कालीन उप संचालक क्षेत्रीय निधि संपरीक्षा कार्यालय जबलपुर पर 10-10 हजार रूपए का इनाम घोषित किया है जो इन आरोपियों की सूचना देने एवं उनकी गिरफ्तारी में सहायता करने वाले व्यक्ति को दिया जाएगा।
सिस्टम की कमजोरी का उठाया था फायदा
आरोपियों को पता था कि IFMIS डेटा सिर्फ उन्हीं के ऑफिस से फीड होता है और ट्रेजरी स्तर पर उसकी अलग से पुष्टि नहीं होती। इसी कमजोरी का फायदा उठाकर इन्होंने मृत और गैर-मौजूद कर्मचारियों के नाम पर वेतन आहरण किया, फर्जी एम्प्लाई कोड और PRAN नंबर बनवाए और सरकारी खजाने को चूना लगा दिया।
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आरोपियों की तलाश में जुटी है पुलिस
जबलपुर पुलिस ने इस घोटाले में संदीप शर्मा सहित चार आरोपियों के खिलाफ IPC की गंभीर धाराओं में FIR दर्ज की है। जबलपुर पुलिस अधीक्षक ने फरार चल रहे सभी पांच आरोपियों पर प्रत्येक पर 10- 10 हजार रूपये का इनाम घोषित किया है। वहीं, सभी संदिग्ध बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है और आगे की जांच में और नाम सामने आने की संभावना जताई जा रही है।
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सिस्टम ही बना साजिश का औजार
यह घोटाला केवल एक व्यक्ति की चालाकी का मामला नहीं है, बल्कि पूरे सरकारी सिस्टम की कार्यप्रणाली और निगरानी तंत्र की विफलता का स्पष्ट उदाहरण है। IFMIS जैसे सॉफ्टवेयर, जिनसे पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए, वे ही भ्रष्टाचार के डिजिटल हथियार बनते जा रहे हैं।
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5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला
✅ जबलपुर में 7 करोड़ रुपए के घोटाले का पर्दाफाश हुआ, जिसमें संदीप शर्मा सहित अन्य कर्मचारियों ने अवैध तरीके से पैसे निकाले।
✅ संदीप शर्मा ने अपने वेतन में 1300 प्रतिशत की अवैध वृद्धि की और फर्जी आदेशों के माध्यम से सरकारी खजाने से धन निकाला।
✅ पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है और 5 फरार आरोपियों पर 10-10 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है।
✅ आरोपियों ने IFMIS सॉफ्टवेयर का गलत इस्तेमाल किया और मृत कर्मचारियों के नाम पर वेतन आहरण किया।
✅ यह घोटाला सरकारी सिस्टम की कमजोरी को उजागर करता है, जहां पारदर्शिता की कमी के कारण भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।
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जबलपुर एसपी संपत उपाध्याय | जबलपुर न्यूज | मध्य प्रदेश | एमपी न्यूज | सरकारी खजाने से धोखाधड़ी