हाईकोर्ट का आदेश: इंडियन नर्सिंग काउंसिल को पेश करनी होंगी 2018 से 2022 तक की मान्यता फाइलें

मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की फर्जी मान्यता का मामला अब ‘इंडियन नर्सिंग काउंसिल’ तक पहुंच गया है। जबलपुर हाईकोर्ट ने INC को निर्देश दिया है कि वह 2018 से 2022 तक जिन नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी, उनकी संपूर्ण फाइलें कोर्ट में प्रस्तुत करे।

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Neel Tiwari
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mp nursing college scam inc files high court order

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट।

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मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की फर्जी मान्यता से जुड़े बहुचर्चित घोटाले में अब जांच की आंच देश की शीर्ष नर्सिंग नियामक संस्था ‘इंडियन नर्सिंग काउंसिल’ (INC) तक पहुंच गई है। जबलपुर हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए INC को निर्देशित किया है कि वह सत्र 2018 से 2022 तक जिन नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गई, उनकी संपूर्ण फाइलें अगली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करे। कोर्ट ने यह आदेश जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिए, जो नर्सिंग शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त गंभीर अनियमितताओं को लेकर दायर की गई थी।

पहले ही तलब हो चुकी हैं फाइलें

इससे पहले न्यायालय ने राज्य की नर्सिंग शिक्षा प्रणाली की पड़ताल करते हुए मध्य प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी और एमपी नर्सिंग काउंसिल से भी संबंधित मान्यता फाइलें प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए थे। दोनों संस्थाओं से प्राप्त दस्तावेजों की जांच में सामने आया कि बड़ी संख्या में नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में नियमों की अनदेखी की गई थी। फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट्स के आधार पर कॉलेजों को पात्र घोषित कर दिया गया, जबकि उनमें मूलभूत सुविधाओं जैसे क्लासरूम, लाइब्रेरी, लेबोरेटरी और पर्याप्त प्रशिक्षित स्टाफ का अभाव था। अब इसी कड़ी में हाईकोर्ट ने इंडियन नर्सिंग काउंसिल से भी साक्ष्य मांगे हैं, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि क्या केंद्र की संस्था ने भी मान्यता प्रक्रिया में लापरवाही बरती।

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याचिकाकर्ता ने INC पर लगाए गंभीर आरोप, कोर्ट ने माना तर्क

लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल द्वारा दायर जनहित याचिका में साफ तौर पर यह आरोप लगाए गए हैं कि इंडियन नर्सिंग काउंसिल के निरीक्षकों ने जानबूझकर अपात्र नर्सिंग कॉलेजों को सुटेबलिटी प्रदान की। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कई ऐसे कॉलेज, जिनके पास बुनियादी ढांचा और योग्य फैकल्टी तक नहीं थी, उन्हें ‘योग्य’ घोषित किया गया। यह सब कथित रूप से मिलीभगत और भ्रष्टाचार का हिस्सा था। कोर्ट ने इन तर्कों को गंभीरता से लेते हुए माना कि अगर केंद्रीय संस्था भी इस घोटाले में संलिप्त पाई जाती है तो इसकी जवाबदेही तय होना जरूरी है। इसी उद्देश्य से अब INC की फाइलों की जांच की जाएगी।

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8 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई, खुल सकते हैं कई बड़े राज

हाईकोर्ट की यह सुनवाई जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की स्पेशल बेंच द्वारा की गई, जिन्होंने याचिकाकर्ता और शासकीय पक्ष की दलीलों को विस्तार से सुना। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक सभी संबंधित संस्थाएं पारदर्शिता के साथ अपनी भूमिका स्पष्ट नहीं करतीं, तब तक नर्सिंग घोटाले की सच्चाई सामने नहीं आ सकती। इस मामले की अगली सुनवाई अब 8 अप्रैल को निर्धारित की गई है। कानूनी मामलों के जानकारों का मानना है कि इस सुनवाई में कई और नर्सिंग कॉलेजों की फर्जी मान्यता, दोषी अधिकारियों और संस्थाओं की भूमिका उजागर हो सकती है, जिससे पूरे घोटाले की परतें खुलेंगी।

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5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला 

✅ जबलपुर हाईकोर्ट ने इंडियन नर्सिंग काउंसिल से 2018 से 2022 तक मान्यता प्राप्त नर्सिंग कॉलेजों की फाइलें मांगी।

✅ राज्य की नर्सिंग शिक्षा प्रणाली में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की जा रही है।

✅ याचिकाकर्ता ने INC पर अपात्र नर्सिंग कॉलेजों को फर्जी तरीके से मान्यता देने का आरोप लगाया।

✅ कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक सभी संबंधित संस्थाएं पारदर्शिता से अपनी भूमिका स्पष्ट नहीं करतीं, घोटाले की सच्चाई सामने नहीं आ सकती।

✅ इस मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी, जब कई महत्वपूर्ण राज खुल सकते हैं।

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