एक्सीडेंट के बाद पुजारी का ब्रेन डेड, हार्ट और लीवर से मिलेगी मरीजों को नई जिंदगी

हनुमान मंदिर के 61 वर्षीय पुजारी का एक्सीडेंट के बाद ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इसके बाद उनके परिजनों ने उनके अंगों को दान कर दिया है। जिसके बाद अब उनके हार्ट से भोपाल और लीवर से इंदौर के मरीज को नई जिंदगी मिलेगी।

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Neel Tiwari
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जबलपुर शहर में सुबह-सुबह मेडिकल अस्पताल से डुमना तक एंबुलेंस सहित पुलिस की गाड़ियां तेज रफ्तार में सायरन बजाते हुए निकली जिसे देखकर नागरिक हैरान थे। दरअसल एक ब्रेन डेड मरीज के अंगों को भोपाल और इंदौर भेजने के लिए जबलपुर के मेडिकल अस्पताल से डुमना एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। इस ग्रीन कॉरिडोर से होते हुए लीवर और हार्ट को डुमना पहुंचाया गया जहां से एयर एंबुलेंस में भोपाल रवाना किया गया है।

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ब्रेन डेड हो गए थे 61 वर्षीय पुजारी 

सागर के रहने वाले बाली राम पटेल पिछले लगभग 11 वर्षों से जबलपुर में रह रहे थे। पटेल विकलांग थे और मढ़ोताल थाना अंतर्गत सुरतलाई में हनुमान मंदिर में पुजारी थे। 21 जनवरी को वह मोटरसाइकिल से कहीं जा रहे थे और तभी दुर्घटना का शिकार हो गए। उसके बाद से ही उनका इलाज चल रहा था पर 22 जनवरी की देर रात उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। इसके बाद परिजनों ने उनके अंगों को दान करने की सहमति जताई और इसके बाद उनके हाथ और लीवर को एयर एंबुलेंस से भोपाल रवाना किया गया है जहां से लीवर को इंदौर भेजा जाएगा। 

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अंगदान करना थी अंतिम इच्छा 

जैसीनगर थाना क्षेत्र सागर के रहने वाले पटेल के भतीजे हरिनारायण पटेल ने बताया कि उनके बड़े पिता की इच्छा के अनुसार ही उनके अंगों को दान किया जा रहा है। बड़े पिताजी की मृत्यु के बाद उनकी इच्छा के अनुसार सभी परिजनों ने विचार विमर्श किया और उसके बाद उन्होंने उनके अंग दान करने पर सहमति जताई। 

भोपाल-इंदौर के मरीजों को मिलेगा नया जीवन 

अंगदान की जानकारी मिलने के बाद अस्पताल प्रबंधन के द्वारा उन मरीजों की जानकारी जुटा गई जिन्हें इन अंगों की आवश्यकता है जिसके बाद भोपाल और इंदौर में मरीजों की जानकारी प्राप्त हुई। जबलपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी संजय मिश्रा ने बताया की भोपाल के एम्स में भर्ती मरीज को हार्ट ट्रांसप्लांट किया जाएगा। वही लीवर इंदौर के चोइथराम अस्पताल में भर्ती मरीज को ट्रांसप्लांट किया जाएगा। इन अंगों को ब्रेन डेड मरीज के शरीर से निकलने के लिए पांच डॉक्टर की टीम गठित की गई थी, अंगों को सुरक्षित निकालने का काम डॉक्टर आशीष सेठी के मार्गदर्शन में किया गया है।

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पुलिस की चाक चौबंद व्यवस्था के बीच रवाना हुए अंग

इस मामले में पुलिस अधिकारियों के द्वारा बताया गया कि वरिष्ठ अधिकारियों से सूचना मिलने के बाद ही तुरंत तैयारी शुरू कर दी गई थी। जिसके बाद मेडिकल अस्पताल से लेकर डुमना तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। एयर एंबुलेंस के किसी अन्य स्थान पर उतरने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था भी बनाई गई थी। जिसके लिए तिलवारा के पास कोकिला रिसोर्ट के पास एक स्थान सुनिश्चित किया गया था, हालांकि, इस वैकल्पिक व्यवस्था की जरूरत नहीं पड़ी। कुछ ही मिनट में ग्रीन कॉरिडोर के जरिए मेडिकल अस्पताल से डुमना तक इन अंगों को पर पहुंचाया गया। एयर एंबुलेंस से रवाना किए गए हार्ट और लीवर में से हार्ट को ट्रांसप्लांट के लिए भोपाल के एम्स अस्पताल भेजा जाएगा तो वहीं लीवर को भोपाल से इंदौर के चोइतराम अस्पताल के लिए भेजा जाएगा।

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