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जबलपुर में सरकारी जमीन पर और प्रशासन के आदेश के बाद शुरू हुए पुस्तक मेले में भी जिम्मेदारों की नाक के नीचे शिक्षा माफिया गड़बड़ी कर रहा है। प्रशासन की ओर से आयोजित किए गए पुस्तक मेले ने ही इस पूरे मामले की पोल खोल कर रख दी है। प्रशासन के द्वारा किया गया इतना बड़ा आयोजन असफल होते नजर आ रहा है जहां एक और निजी पुस्तक विक्रेताओं और स्कूलों की मोनोपोली तोड़ने के लिए आयोजित पुस्तक मेले में यह साफ नजर आ रहा है कि स्कूलों की किताब सिर्फ गिनी चुनी विशेष दुकानों पर ही मिल रही है।
खास दुकानों की मोनोपाली खत्म करने के लिए आयोजित मेला
जबलपुर प्रशासन के द्वारा जहां एक और निजी स्कूलों की मनमाने रवैए और अवैध फीस वसूली के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है वहीं पर दूसरी ओर सभी बच्चों को रियायती दरों पर स्कूली किताबों, बैग और यूनिफॉर्म संबंधी सुविधाओं को मुहैया कराने के लिए पुस्तक मिले का आयोजन किया गया है। जिसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि निजी पुस्तक विक्रेताओं और शिक्षा माफिया की बीच की मोनोपोली को तोड़ा जा सके। साथ ही जो बच्चे अधिक कीमत पर इन किताबों को नहीं खरीद सकते उनके लिए पुरानी किताबों की व्यवस्था न्यूनतम दरों खरीदने के लिए प्रशासन की ओर से पुस्तक मिले का आयोजन किया गया। इसके अलावा ऑनलाइन किताबों और एनसीईआरटी की किताबों को उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है।
अभिभावकों ने बताई पुस्तक मेले की स्थिति
जबलपुर में आयोजित इस पुस्तक मेले में जब द सूत्र की टीम के द्वारा जब मुआयना किया गया तब मेले में आए बच्चों के अभिभावकों ने सारी सच्चाई मीडिया के सामने खोल कर रख दी उन्होंने बताया कि इस मेले में 7 से 8 ऐसे निजी स्कूल है जिनकी किताबें मिल ही नहीं रही है। इसका कारण यह है कि उन्होंने एनसीईआरटी की किताबों को लागू ही नहीं किया है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जहां बाजार में किताबों पर 15 प्रतिशत तक डिस्काउंट मिलता है लेकिन यहां पर 10 प्रतिशत डिस्काउंट दिया जा रहा है। इसके अलावा जरूरत की किताबें भी मौजूद नहीं है। रीना सक्सेना ने बताया कि किताबों के अलावा यहां पर जरूरत की कॉपी भी मौजूद नहीं है। उन्होंने इस पूरे आयोजन को फेल करार दिया है। इसके अलावा अनिल मिश्रा ने भी बताया है कि एनसीईआरटी के अलावा यहां पर प्राइवेट किताब नहीं मिल रही हैं।
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हेल्प डेस्क पर दर्ज सुझावों से सामने आई हकीकत
प्रशासन के द्वारा इस मेले में एक हेल्प डेस्क काउंटर को भी रखा गया था जिसमें अभिभावकों से सुझाव मांगे गए है। इन सुझावों में अभिभावकों के द्वारा मेले में उन निजी स्कूलों के बारे में लिखा गया जिनकी किताबें मेले से नदारत नजर आई। साथ ही जो स्कूलों की किताबें नहीं मिल रही हैं उन्हें ऑर्डर करने के लिए एक वेबसाइट के जरिए बुक किया जा रहा है और आश्वासन दिया जा रहा है कि यहां पर पुस्तक मेले से भी सस्ती मिलेगी। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि इस कंपनी का डायरेक्टर भी भोपाल का एक निजी स्कूल मालिक है। शहर की कुछ प्रमुख निजी स्कूलों जिनमें सेंट ग्रेवियल, जॉय किड्स केयर, स्टेम फील्ड, विजडम वैली, सेंट्रल एकेडमी, सेंट फ्रांसिस, सेंट जेवियर, नर्मदा नर्सरी, निर्मल हायर सेकेंडरी, डीसी बाय पब्लिक जैसे प्रमुख स्कूलों की किताबें मेले में नहीं मिल रही है। इसके अलावा बच्चों के अभिभावकों ने अपने सुझावों में जबलपुर कलेक्टर से सभी निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों को लागू किए जाने की भी बात रखी है।
पेरेंट्स एसोसिएशन का फ्री बुक काउंटर
इस मेले में रेड क्रॉस सोसाइटी के द्वारा चंदे की रसीद काटने के बाद किताबें दी जा रही हैं। वहीं दूसरी ओर पुस्तक मेले में पेरेंट्स एसोसिएशन की तरफ से भी एक फ्री बुक काउंटर रखा गया है। जहां पर कुछ बच्चों के अभिभावकों के द्वारा अपने बच्चों की पुरानी किताबों को काउंटर पर दिया जा रहा है। जिससे कि जरूरतमंद बच्चे उन किताबों को फ्री ऑफ कॉस्ट लेकर अपनी पढ़ाई को बरकरार रख सके। द सूत्र की टीम ने बुक काउंटर पर बुक डोनेट करने आई चित्रा सिंह से बात की। इस दौरान उन्होंने बताया कि उनके बेटे का रिजल्ट आ चुका है और वह अगली क्लास में जा चुका है जिसकी वजह से उसे अब इन किताबों की जरूरत नहीं है इसलिए इन किताबों को किसी जरूरतमंद को दिया जा सकता है। इसके लिए पेरेंट्स एसोसिएशन कि यह पहल मददगार साबित होगी। उनकी सोच पर टीम के द्वारा उन्हें धन्यवाद दिया गया। फ्री बुक काउंटर से बुक लेने वाले अभिभावकों ने भी पेरेंट्स एसोसिएशन कि इस मुहिम की तारीफ करते हुए कहा कि जरूरतमंद लोगों के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि उन्हें फ्री ऑफ कॉस्ट किताबें मिल रही।
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पुस्तक मेले में हो रही सिर्फ ब्रांडिंग
पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन गुप्ता ने जबलपुर में आयोजित इस पुस्तक मेले को सिर्फ ब्रांडिंग होना बताया है। उन्होंने बताया है कि मेले का मतलब बाजार से रियायत दरों पर समान का उपलब्ध होना, लेकिन यहां पर कुछ चुनिंदा दुकानदारों के द्वारा जो बाहर भी इन्हीं स्कूलों की किताब बेचते हैं उन्हीं के द्वारा मेले में भी किताबों को बेचा जा रहा है। उन्होंने बताया कि मेले में मिलने वाली कॉपियों पर 50 से 60 प्रतिशत तक डिस्काउंट दिया जा रहा है लेकिन कॉपियों की गुणवत्ता कम कर दी गई है । उनकी एमआरपी बढ़ा दी गई है इसके बाद उन पर इतना डिस्काउंट दिया जा रहा है लेकिन जो कंपनी की कॉपियां है। उन पर डिस्काउंट उतना ही है जितना कि बाजारों की दुकानों में मिलता है। उन्होंने यह आरोप लगाया है कि आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है कि कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी इन शिक्षा माफिया पर शिकंजा नहीं कस पा रहे हैं। स्कूली शिक्षा माफियाओं के खिलाफ विरोध करने वालों को बाकायदा चिन्हित करके दंडित किया जा रहा है और उन्हें खुलेआम धमकियां भी दी जा रही हैं, जो प्रशासन का मौन रवैए पर सवाल खड़े कर रहा है।
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इस मामले में जब प्रशासन का पक्ष जानना चाहा तो पहले अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते नजर आए । हालांकि, उसके बाद उन्होंने बताया कि सभी स्कूलों को किताब संबंधी सूची जमा करने के लिए 15 जनवरी तक का समय दिया गया था। कुछ स्कूलों के द्वारा सूची उपलब्ध नहीं कराई गई है, ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है। इसके अलावा भी कक्षा 1 से 8 तक एनसीईआरटी रिकमेंड है कंपलसरी नहीं है लेकिन कक्षा 9 से 12 वीं तक एनसीईआरटी की पुस्तक कंपलसरी है जिन स्कूलों के द्वारा कंपलसरी पुस्तकों की सूची उपलब्ध नहीं कराई है। तो निश्चित तौर पर उन पर संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाएगी।
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