200 साल पुराना अघोरी बाबा मंदिर परिसर अतिक्रमण में, निगम ने दिया 24 घंटे का अल्टीमेटम

जबलपुर के 200 साल पुराने अघोरी बाबा मंदिर का परिसर अतिक्रमण की चपेट में आ गया है। नगर निगम ने 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। यदि अतिक्रमण हटाया नहीं गया, तो प्रशासन बल प्रयोग करेगा। मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं में आक्रोश है। 

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Neel Tiwari
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Photograph: (THESOOTR)

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हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बाद जबलपुर प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस दीपक खोत की डिवीजन बेंच ने 18 जुलाई तक सभी अवैध कब्जे हटाने का निर्देश दिया है। इसके तहत जबलपुर नगर निगम ने 8 जुलाई को अघोरी बाबा मंदिर को भी नोटिस जारी किया है। मंदिर परिसर अतिक्रमण के दायरे में आ रहा है।

मंदिर परिसर को 24 घंटे का अल्टीमेटम

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नगर निगम द्वारा जारी नोटिस में मंदिर अध्यक्ष मनोज कुमार समुद्र को 24 घंटे के भीतर अतिक्रमण स्वयं हटाने के निर्देश दिए गए हैं। निगम ने साफ किया है कि यदि तय समयसीमा में अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो प्रशासनिक बल के साथ कार्रवाई की जाएगी और उस दौरान किसी भी प्रकार की क्षति की जिम्मेदारी मंदिर प्रशासन की होगी।

यह नोटिस पूरे शहर में चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि यह मंदिर जबलपुर ही नहीं, पूरे मध्यप्रदेश में आस्था और तांत्रिक परंपरा का केंद्र माना जाता है। हालांकि, मिली जानकारी के अनुसार मुख्य मंदिर जहां पर मूर्तियां स्थापित हैं वह अतिक्रमण के दायरे में नहीं आ रहा है, बल्कि मंदिर के पीछे हवन और पूजा भंडारों के लिए बनाई गई जगह अतिक्रमण के दायरे में है।

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अघोरी बाबा का मंदिर का इतिहास

त्रिमूर्ति नगर, चंडाल भाटा क्षेत्र में स्थित यह ऐतिहासिक मंदिर लगभग दो शताब्दियों पुराना है। मान्यता है कि तीन सिद्ध अघोरी भाइयों द्वारा इसकी स्थापना की गई थी। यहां अघोरी परंपरा के अनुसार नारियल, नींबू, मांस, मदिरा, गांजा जैसी सामग्रियों से विशेष तांत्रिक पूजा की जाती है। भक्तों का विश्वास है कि यहां पूजा करने से भूत-प्रेत बाधाएं दूर होती हैं और बाबा हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।श्रद्धालुओं का कहना है कि यह मंदिर आस्था का केंद्र है और इसे अतिक्रमण की श्रेणी में रखकर हटाना लाखों लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना है।

हाईकोर्ट ने पहले ही दिया स्पष्ट निर्देश

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सिविल कोर्ट में लंबित मामलों को छोड़कर अन्य सभी अतिक्रमण 18 जुलाई तक हटाए जाएं। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कोर्ट में कहा था कि 15 दिन के भीतर अतिक्रमण हटाए जाएंगे, लेकिन कोर्ट ने केवल 10 दिन का समय दिया। साथ ही चेताया कि यदि तय तिथि तक कार्यवाही नहीं हुई तो संबंधित अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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अघोरी बाबा मंदिर पर क्यों हो रहा है विवाद?

अघोरी बाबा मंदिर 200 साल पुराना धार्मिक स्थल है, जो लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। नगर निगम ने इस मंदिर परिसर के अतिक्रमण को हटाने के लिए नोटिस जारी किया है। मंदिर के पीछे हवन और पूजा स्थल अतिक्रमण की जद में आ रहे हैं।

श्रद्धालु इस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि यह उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है। प्रशासन को आस्था और कोर्ट के आदेश के बीच संतुलन बनाना होगा।

श्रद्धालुओं के बीच भारी आक्रोश

नगर निगम की कार्रवाई के दायरे में जब गंगाराम मंसाराम अघोरी बाबा का मंदिर आया, तो पूरे क्षेत्र में हलचल मच गई। श्रद्धालु और स्थानीय लोग कह रहे हैं कि यह सिर्फ एक ढांचा नहीं, 200 साल की परंपरा और लाखों लोगों की श्रद्धा का केंद्र है। इस मंदिर में आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं की ओर से कार्यवाही का भारी विरोध तो तय है।

अब देखना होगा कि कोर्ट के आदेशों के पालन में प्रशासन इस मंदिर के अतिरिक्त परिसर को ढहा देगा या फिर कोई वैकल्पिक रास्ता निकालकर आस्था को सम्मान देने की कोशिश की जाएगी।

24 घंटे और 18 जुलाई पर टिकीं नजरें

फिलहाल प्रशासन के सामने एक बड़ा धर्मसंकट खड़ा हो गया है। एक ओर कोर्ट का आदेश, दूसरी ओर आस्था की दीवार। अब देखना यह है कि 24 घंटे के इस अल्टीमेटम के बाद प्रशासन क्या कार्रवाई करता है और क्या मंदिर प्रशासन स्वयं अतिक्रमण हटाता है या टकराव की स्थिति बनती है।

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