जबलपुर शहर के अरिहंत वेयरहाउस संचालक के कर्मचारी और खाद्य विभाग के सिपहसालार की बातचीत का एक ऑडियो वायरल हुआ है। जिसमें धान खरीदी में अमानक पाई गई धान के स्टेप को पास करने के लिए कमीशन की मांग की गई। इस ऑडियो की सत्यता की पुष्टि इसी बात से हो रही है कि खाद्य विभाग के द्वारा इस मामले में जांच कमेटी गठित कर दी गई है।
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सौदेबाजी का ऑडियो वायरल
जबलपुर में अमानक धान जो शासन के मापदंडों के अनुसार नहीं है उसकी खरीदी कर स्टेप को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के द्वारा अप्रूव कराने के लिए वेयरहाउस संचालक के कर्मचारी और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के किसी कर्मचारी या सर्वेयर के द्वारा उस धान को अप्रूव कराने के लिए सौदेबाजी करने का एक ऑडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें खरीदी गई धान में प्रति क्विंटल के हिसाब से कमीशन को तय करने की बात हो रही है।
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1 रुपए क्विंटल कमीशन की मांग
जबलपुर में अरिहंत वेयरहाउस के कर्मचारी हर्षित और एक अन्य व्यक्ति शुभम के द्वारा अरिहंत वेयरहाउस में लगे अमानक धान की स्टेप की जांच करने गए अधिकारी के द्वारा उसे अप्रूव नहीं किए जाने को लेकर सौदेबाजी का ऑडियो वायरल हुआ जिसमें वेयरहाउस के कर्मचारी हर्षित ने कहा कि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारी सुशील टिकरिया ने वेयरहाउस निरीक्षण के दौरान स्टेप को फेल कर दिया गया है जिसके बाद हर्षित के द्वारा शिवम से कुछ रुपए लेकर उस अमानक स्टेप को पास (अप्रूव ) करवाने की बात कही गई जिस पर शुरुआत में तो शुभम के द्वारा ऑडियो रिकॉर्डिंग होने की बात कही गई लेकिन बाद में पैसे संबंधी सौदेबाजी तय की जाने लगी जिसमें शुरुआती तौर पर शुभम के द्वारा अमानक धान खरीदी और उसके स्टेप को अप्रूव करने के लिए 20 हजार रुपए की मांग की गई जिस पर हर्षित के द्वारा 10 हजार रुपए देने की बात कही गई उसके बाद आगे की और धान खरीदी के लिए शिवम के द्वारा 1 रुपए प्रति क्विंटल की दर से कमीशन देने की बात रखी गई जिस पर हर्षित के द्वारा कहा गया कि वेयरहाउस में लगे सर्वेयर को भी कमीशन देना पड़ता है इसलिए 1 रुपए क्विंटल कमीशन नहीं दिया जाएगा उसके बदले 50 पैसे प्रति क्विंटल की दर से कमीशन देने का सौदा तय हुआ।
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पूरे मामले से अनजान हैं अधिकारी
जब इस मामले की पड़ताल में 'द सूत्र' की टीम ने खाद्य विभाग की पूरे डिपार्टमेंट को छाना तो सुशील टिकरिया तो नहीं पर दिलीप किलार नाम के एक अधिकारी की जानकारी मिली जिसका नाम दिलीप किलार है, डिपार्टमेंट ऑफ़ सिविल सप्लाई में काम करने वाले दिलीप किलार ने मामले में अपना नाम होने से तो इंकार कर दिया पर हमारे सामने उनके चेहरे की उड़ रही हवाओं ने यह साबित कर दिया की ऑडियो में लिया जा रहा नाम उन्हीं का है। इस वायरल ऑडियो में जिस खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारी दिलीप किलार का नाम लिया जा रहा है उन्होंने इस पूरे मामले से अनजान बनते हुए बताया है कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। इसके अलावा उन्होंने दूर-दूर तक किसी भी प्रकार से इस मामले में जुड़े होने से इनकार कर दिया। साथ ही बताया कि वह उस क्षेत्र के नोडल अधिकारी हैं और कमीशन के तय होने की बात पर बताया कि धान खरीदी समिति प्रबंधकों और सर्वर के द्वारा की जाती है मेरे द्वारा किसी भी प्रकार की धान खरीदी नहीं की जाती है।
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जारी हुए जांच के आदेश
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारी पी के खरे ने बेहद चुने हुए और सटीक शब्दों में बताया कि वायरल ऑडियो की जांच के लिए जांच टीम का गठन कर दिया गया है। जिसमें खाद्य विभाग के दो कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों के द्वारा इस वायरल ऑडियो की जांच की जाएगी साथ ही जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए 3 दिन का समय दिया गया है उसके बाद जांच प्रतिवेदन के अनुसार मामले में कार्यवाही की जाएगी। जब हमारी टीम के द्वारा अधिकारी से जांच प्रतिवेदन की जानकारी मांगी गई तो उन्होंने अपने मुंह से ही यह कबूल कर लिया कि अभी प्रतिवेदन लिखा जा रहा है, जिससे साफ हो गया कि मीडिया के पूछे जाने के बाद अब जांच शुरू हुई है। इस पूरी बातचीत के दौरान खरे साहब किसी का भी नाम लेने से बचते रहे उन्होंने ना तो वेयरहाउस का नाम लिया ना ही किसी अधिकारी का, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोकायुक्त की जांच में घिरे हुए खरे साहब का दामन जब खुद ही पाक साफ नहीं है तो वह इस जांच को कितने आगे ले जाएंगे इसका भी कोई भरोसा नहीं है। लेकिन अपने पाठकों को 'द सूत्र' यह आश्वासन देता है कि यह जांच अंत तक पहुंचेगी और इस वायरल ऑडियो को ठंडे बस्ते में डालने नहीं दिया जाएगा।