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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट।
जबलपुर में मुख्यमंत्री की रैली के दौरान अधिग्रहित की गई बसों में डीजल डलवा कर उसके भुगतान ना किए जाने का मामला मुख्यमंत्री के सचिव तक पहुंच ही रहा था कि हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की डिविजनल बेंच ने इस रिट याचिका को खारिज करते हुए , सरकार के द्वारा दायर अपील पर अपना निर्णय सुना दिया है। यह निर्णय मध्य प्रदेश सरकार और याचिकाकर्ता पेट्रोल पंप मालिक दोनों के लिए राहत भरा है।
सीएम के कार्यक्रम में बसों के डीजल का नहीं हुआ था भुगतान
जबलपुर में 3 जनवरी को आयोजित प्रदेश के मुख्यमंत्री की स्वागत कार्यक्रम के दौरान अधिकृत की गई बसों में एक निजी पेट्रोल पंप से लगभग 6 लाख रुपए का डीजल बसों में भरवाया गया था जिसका भुगतान नहीं होने के कारण आईएसबीटी बस स्टैंड के पास स्थित निजी पेट्रोल पंप मालिक सुगम चंद्र जैन के द्वारा संबंधित अधिकारियों के द्वारा भुगतान न किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर भुगतान करवाए जाने संबंधी गुहार लगाई थी।
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रिट याचिका पर सिंगल बेंच ने की थी कड़ी टिप्पणियां
इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस विवेक अग्रवाल की कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि अब याचिकाकर्ता इस याचिका को वापस नहीं ले सकता है, क्योंकि अब यह मामला हाईकोर्ट और जबलपुर कलेक्टर के बीच का है। इसके साथ ही कलेक्टर के हलफनामे पर असंतोष जताते हुए उसे अधूरा बताया था। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि ये मामला जनता के पैसों पर भ्रष्टाचार का नजर आ रहा है और इसमें प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत कार्रवाई किए जाने की बात कही।
सीएम के सचिव को प्रतिवादी बनाने की चेतावनी
हाइकोर्ट ने इस मामले में मुख्यमंत्री के सचिव को भी प्रतिवादी बनाए जाने की चेतावनी दी थी। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि शासन को अपना पक्ष रखने का अंतिम मौका दिया जाना चाहिए लिहाजा इस मामले की अगली सुनवाई में शासन को अपना पक्ष रखे जाने के लिए निर्देश जारी किए गए। इस मामले में अगली सुनवाई 18 मार्च 2025 को तय की गई थी।
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सरकार ने बताया नियम के अनुसार हुआ बसों का अधिग्रहण
राज्य शासन के द्वारा जस्टिस विवेक अग्रवाल की बेंच से आए फैसले के तुरंत बाद इस फैसले के खिलाफ चीफ जस्टिस की बेंच में अपील दायर कर दी गई थी। शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई में शासन की ओर से मौजूद एडवोकेट जनरल के द्वारा चीफ जस्टिस को यह अवगत कराया गया कि नियमानुसार किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम, राष्ट्रअध्यक्ष के दौरे जैसे अन्य कार्यक्रमों के लिए निजी वाहनों का अधिग्रहण करने का अधिकार कलेक्टर को है। रिट याचिका में निजी वाहनों के अधिग्रहण के नियमों को चुनौती नहीं दी गई है। इसलिए रिट कोर्ट के द्वारा इस याचिका को जनहित याचिका की तरह देखना गलत है।
सरकार ने पेश की सभी वाहनों की लिस्ट
शासन की ओर से कोर्ट के समक्ष अधिकृत की गए सभी वाहनों की लिस्ट भी पेश की गई और बताया गया कि जिस समय यह कार्यक्रम आयोजित होना था उस समय पेट्रोल डीजल सप्लायर की हड़ताल भी चल रही थी, जिसके कारण याचिकाकर्ता के पेट्रोल पंप में पर्याप्त स्टॉक होने के बाद वहां से पेट्रोल और डीजल भरवाने के लिए निगम के द्वारा आदेश जारी किए गए थे। एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को यह भी बताया की गैरिसन ग्राउंड में 3 जनवरी 2024 को हुए आयोजन में कई शिलान्यास जैसे अन्य कार्यक्रम भी थे, जो जनहित के कार्यक्रम थे। इसके साथ ही शासन ने याचिकाकर्ता पेट्रोल पंप के मालिक को तीन कार्य दिवसों में भुगतान करने का भी आश्वासन दिया।
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चीफ जस्टिस की डिविजनल बेंच ने दी सरकार को राहत
सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल के तथ्यों से सहमत होते हुए कोर्ट ने यह आदेश जारी किया कि तीन दिनों के अंदर याचिकाकर्ता पेट्रोल पंप मालिक को पूरा भुगतान 6% वार्षिक ब्याज के साथ किया जाए, यदि इस भुगतान में देरी होती है तो बची हुए रकम पर 12% ब्याज सरकार को देना पड़ेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने यह माना कि रिट याचिका में निजी वाहन अधिग्रहण नियमों को चुनौती नहीं दी गई थी जिसके बाद भी इस याचिका को जनहित याचिका की तरह सुनवाई करना रिट कोर्ट की गलती है।
इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने इस रिट अपील को निराकरण के साथ खारिज करते हुए यह भी आदेश जारी किया है कि इस मामले में पिछली रिट याचिका भी रद्द की जाती है। तो अब पिछली रिट याचिका में सिंगल बेंच के द्वारा जारी किए गए आदेश भी रद्द हो चुके हैं। अब जस्टिस विवेक अग्रवाल की कोर्ट में जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना को अन्य सफाई नहीं देनी होगी और मुख्यमंत्री के सचिव को भी पेश नहीं होना पड़ेगा।
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