शिक्षा माफिया के ऊपर जबलपुर कलेक्टर के द्वारा की गई कार्यवाही के बाद अब तक कुछ आरोपी स्कूल संचालको सहित प्रकाशक और पुस्तक विक्रेता भी जेल की सलाखों के पीछे हैं। इसके बाद भी इस कार्यवाही का खौफ इन निजी स्कूलों में दिखाई नहीं दे रहा। प्रताड़ना के नए-नए तरीके निकाल कर यह प्रशासन के आदेश को मानने से ही इनकार कर रहे हैं।
फीस जमा करो फिर दिखाएंगे आंसर शीट
अधिकांश स्कूलों में बच्चों के टर्म एग्जाम हो चुके हैं जिसके बाद स्कूलों में पेरेंट्स टीचर मीटिंग बुलवाई जा रही है। इस मीटिंग में फीस न जमा करने वाले अभिभावकों को सबके सामने अपमानित कर यह कहा जा रहा है कि जब तक वह फीस जमा नहीं करेंगे तब तक उन्हें बच्चों की कॉपियां या रिज़ल्ट नहीं देखने मिलेगा। अभिभावक शासन के द्वारा तय की गई फीस जमा करने के लिए तैयार हैं पर स्कूल प्रशासन उसे तय फीस को मानने को ही तैयार नहीं है और बढ़ी हुई फीस के साथ लेट फीस की वसूली पर भी उतारू हैं।
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हाई कोर्ट में दाखिल याचिका का बना रहे बहाना
इस मामले में फंसे निजी स्कूलों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में कार्यवाही के खिलाफ याचिका दायर की है। अभिभावकों के द्वारा प्रशासन की निर्धारित फीस जमा करने की बात करने पर उन्हें साफ कह दिया जाता है कि मामला अभी अदालत में लंबित है। हालांकि इस मामले में अभी किसी भी निजी स्कूलों को राहत देते हुए हाईकोर्ट के द्वारा किसी प्रकार का स्थगन नहीं दिया गया है और यह निजी स्कूल, प्रशासन के द्वारा जारी किए गए आदेश को मानने के लिए बाध्य हैं। फिर भी अब निजी स्कूलों ने बच्चों के माध्यम से अभिभावकों को ब्लैकमेल करने का तरीका निकाल लिया है। स्कूलों के द्वारा साफ कह दिया गया है कि जब तक बची हुई फीस जमा नहीं की जाएगी किसी भी बच्चे को ट्रांसफर सर्टिफिकेट या अभी दिए हुए टर्म एग्जाम की परीक्षा की कॉपियां तक देखने नहीं मिलेंगी।
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शिकायत करने पहुँचे बड़ी संख्या में अभिभावक
स्टेमफील्ड स्कूल के द्वारा अभिभावकों और छात्रों को प्रताड़ित करने के मामले में आज शिकायत लेकर बड़ी संख्या में अभिभावक जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और उन्होंने एक शिकायती पत्र जिला शिक्षा अधिकारी को सौंपा। अभीभावकों ने आरोप लगाए की अवैध फीस वसूली के लिए उन पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है एवं साथ ही पुरानी फीस पर लेट फीस भी भरने को मजबूर किया जा रहा है। जिन अभिभावकों के द्वारा इस निर्णय का विरोध किया जाता है उनके बच्चों को प्रताड़ित किया जाता है और पेरेंट्स टीचर मीटिंग में सबके सामने उनकी फीस जमा ना होने के कारण उन्हें भी अपमानित किया जाता है। वहीं कुछ छात्र-छात्राएं ऐसे भी हैं जिन्हें पिछले वर्ष फीस जमा न करने के कारण परीक्षा में सम्मिलित नहीं किया गया था और उनका एक वर्ष बर्बाद हो गया था। उसके बाद भी स्कूल के द्वारा अब उन्हें स्थानांतरण सर्टिफिकेट भी नहीं दिया जा रहा है।
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स्कूलों पर की जाएगी उचित कार्यवाही - जिला शिक्षा अधिकारी
इस मामले में जबलपुर के जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी के अनुसार कुछ स्कूलों के द्वारा राज्य समिति एवं न्यायालय में मामला दायर किया गया है। शासन के द्वारा निर्धारित की गई फीस न लेने के मामले में स्कूलों से स्पष्टीकरण भी लिया जा रहा है और जिला कलेक्टर के निर्देश पर इस पर आगे कानूनी कार्यवाही की जाएगी। वही बच्चों को एवं अभिभावकों को टारगेट करने के मामले में जिला शिक्षा अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि किसी भी स्कूल के द्वारा ऐसा किया जाना अनुचित है एवं जिन बच्चों को ट्रांसफर सर्टिफिकेट नहीं दिए जा रहे हैं। उनके आवेदन यदि जिला शिक्षा अधिकारी के पास आते हैं तो उन्हें ट्रांसफर सर्टिफिकेट दिलवाए जाएंगे।
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