डिजिटल सिग्नेचर इस्तेमाल कर बनाए गए फर्जी जाति प्रमाण पत्र, 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज

जबलपुर में फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने वाला गिरोह सक्रिय है। यहां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जाति प्रमाण पत्र जारी किए गए, और इसमें डिजिटल सिग्नेचर का दुरुपयोग भी किया गया। जांच के दौरान पांच आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

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Neel Tiwari
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Jabalpur digital signature fake caste certificate case
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जबलपुर में फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने वाले एमपी ऑनलाइन किसके का खुलासा हुए हफ्ता भर भी नहीं हुआ था कि एक और इस तरह का फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह का खुलासा हुआ है। जिसे देखकर तो यह लग रहा है कि फर्जी प्रमाण पत्र बनाने का बड़ा गिरोह सक्रिय है।

जबलपुर के रांझी में बड़े स्तर पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाए जाने के मामले का खुलासा हुआ है। इस पूरे घोटाले में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जाति प्रमाण पत्र जारी किए गए, जिसमें डिजिटल सिग्नेचर का दुरुपयोग भी किया गया। इस मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ 420 समेत अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया है।

फर्जी प्रमाण पत्र बनाने का गिरोह सक्रिय

जिला प्रशासन को लंबे समय से सूचना मिल रही थी कि जिले में फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने का संगठित रैकेट सक्रिय है। जांच के दौरान पता चला कि कुछ जाति प्रमाण पत्र बिना विधिवत सत्यापन के ही जारी कर दिए गए हैं। संदेह होने पर जब संबंधित प्रमाण पत्रों का मिलान किया गया, तो यह खुलासा हुआ कि वे अवैध रूप से बनाए गए हैं। इस घोटाले में मुख्य रूप से तीन लोग मुकेश बर्मन, दिलीप कुमार और सूरज सिंह पर फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करके जाति प्रमाण पत्र बनवाने का आरोप है। इसके अलावा, दो अन्य संचालकों की भूमिका भी सामने आई है, जिनके माध्यम से इन प्रमाण पत्रों को जारी किया गया इस मामले में पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

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बिना प्रक्रिया के रजिस्टर हो रहे थे फर्जी जाति प्रमाण पत्र

जांच में सामने आया कि जाति प्रमाण पत्र जारी करने की पूरी प्रक्रिया को दरकिनार कर सीधे लोक सेवा केंद्र में रजिस्टर करवा दिया गया। निर्धारित नियमों के अनुसार, किसी भी जाति प्रमाण पत्र को जारी करने से पहले उसकी पूरी जांच और सत्यापन जरूरी होता है, लेकिन इस मामले में न तो दस्तावेजों की जांच की गई और न ही सत्यापन प्रक्रिया अपनाई गई। प्रशासनिक नियमों को ताक पर रखते हुए दस्तावेज सीधे लोक सेवा केंद्र से एसडीएम कार्यालय भेजे गए और वहां से डिजिटल सिग्नेचर का दुरुपयोग कर प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए। यह पूरी प्रक्रिया अवैध थी, क्योंकि एसडीएम कार्यालय के रिकॉर्ड रजिस्टर में इन प्रमाण पत्रों का कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं था।

आमतौर पर किसी भी प्रमाण पत्र को जारी करने से पहले उसकी विधिवत एंट्री की जाती है, लेकिन इस मामले में बिना किसी आधिकारिक अनुमति के फर्जी प्रमाण पत्र तैयार कर जारी किए गए। जांच में यह भी सामने आया कि ऑपरेटर के माध्यम से एसडीएम के डिजिटल सिग्नेचर का दुरुपयोग कर प्रमाण पत्र जारी किए गए, जिससे पूरा मामला संदेह के घेरे में आ गया। आने वाले समय में इस गिरोह से जुड़े हुए कुछ बड़े नाम भी सामने आ सकते हैं।

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यह है वैधानिक प्रक्रिया

नियम के अनुसार अनुसूचित जाति (SC) एवं अनुसूचित जनजाति (ST) प्रमाण पत्र 1950 की दशा में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर जारी किए जाते हैं, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए यह प्रक्रिया 1984 की दशा में उपलब्ध प्रमाणों के अनुसार होती है। किसी भी आवेदक को जाति प्रमाण पत्र जारी करने से पहले उसके दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन जरूरी होता है। सत्यापन के बाद ही एसडीएम के अनुमोदन से जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। लेकिन इस मामले में न तो दस्तावेजों की जांच हुई और न ही सत्यापन की प्रक्रिया अपनाई गई।

फर्जीवाड़े का पर्दाफाश होने पर FIR दर्ज

जैसे ही इस घोटाले का खुलासा हुआ, एसडीएम कार्यालय ने तत्काल इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दी। जांच में यह भी सामने आया कि ऑपरेटर के माध्यम से एसडीएम के डिजिटल सिग्नेचर का दुरुपयोग किया गया और जाति प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए। जांच रिपोर्ट के आधार पर पांच आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। हालांकि, अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन पुलिस जल्द ही इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है।

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एक बार फिर हुआ फर्जीवाड़ा उजागर

कुछ दिन पहले ही एक ऐसा मामला सामने आया था जहां जबलपुर के थाना बेलबाग क्षेत्र के अंतर्गत एमपी ऑनलाइन मलिक एसोसिएट में फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने की सूचना मिली थी जिसके बाद थाना बेलबाग दो एसडीएम और पुलिस द्वारा एमपी ऑनलाइन में छापा मारा गया। जिसके बाद वहां पर कुछ ऐसे दस्तावेज पाए गए थे जो फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए उपयोग में ले जा रहे थे जिसके बाद एसडीएम के द्वारा सारे दस्तावेज  को सील कर दिया गया। एमपी ऑनलाइन में छापा करने के दौरान एमपी ऑनलाइन मलिक मौजूद नहीं था जिस कारण आगे की कार्रवाई नहीं हो पाई लेकिन दुकान में कौन-कौन से  दस्तावेज मौजूद थे इसकी जानकारी पुलिस को थी।

आगे भी जारी रहेगी जांच

जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि आगे भी ऐसे मामलों की जांच की जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस तरह के घोटाले न केवल सरकारी सिस्टम को कमजोर करते हैं, बल्कि समाज में भी गलत संदेश देते हैं। अब प्रशासन इस बात की भी जांच कर रहा है कि क्या अन्य स्थानों पर भी इसी तरह फर्जी जाति प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। यदि ऐसा पाया जाता है, तो इस घोटाले में और भी  नाम सामने आ सकते हैं।

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