गरीबों का गेहूं, चावल और नमक तक हड़प गए अफसर और दुकानदार, जिला आपूर्ति नियंत्रक समेत 33 पर FIR

जबलपुर में एक बहुत बड़ा राशन घोटाला सामने आया है, जिसमें सरकारी अफसर और राशन दुकानदार शामिल हैं। इस घोटाले में गरीबों के हिस्से का गेहूं, चावल और नमक तक हड़प लिया गया। इस मामले में अब तक 33 लोगों पर FIR दर्ज की जा चुकी है।

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Neel Tiwari
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Photograph: (the sootr)

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मध्यप्रदेश के जबलपुर में गरीबों  के राशन पर डाका डालने वाला बड़ा घोटाला सामने आया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत मिलने वाला गेहूं, चावल और यहां तक कि नमक भी हड़प लिया गया। इस शर्मनाक करतूत में सिर्फ राशन दुकानदार ही नहीं, बल्कि सरकारी अफसर भी शामिल पाए गए।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस अधिकारी को पूरी देखरेख करनी थी वह खुद इस घोटाले में शामिल थी क्योंकि जिला आपूर्ति नियंत्रक नुजहत बानो बकाई का नाम भी आरोपियों में दर्ज है। कुल मिलाकर 33 लोगों पर क्राइम ब्रांच थाने में FIR दर्ज की गई है।

मिलीभगत कर डकार गए करोड़ों का अनाज

जांच में खुलासा हुआ कि जबलपुर नगर निगम क्षेत्र की 11 राशन दुकानों में 391.780 मीट्रिक टन गेहूं, 338.789 मीट्रिक टन चावल, 3.027 मीट्रिक टन नमक और 0.97 मीट्रिक टन शक्कर की गड़बड़ी की गई। गरीबों के हिस्से का यह राशन पोर्टल पर स्टॉक एडजस्टमेंट दिखाकर गायब कर दिया गया। इसकी कीमत करीब 2.20 करोड़ रूपये आंकी गई। यानी वह अनाज जो जरूरतमंदों की रसोई तक पहुँचना चाहिए था, वह बाजार में खपाकर मुनाफा कमाने का जरिया बना। 

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हाईकोर्ट में लगी याचिका और शिकायत से खुला मामला

यह मामला तब सामने आया जब कुछ दुकानदारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर स्टॉक एडजस्टमेंट की मांग की। इस पर खाद्य विभाग ने एनआईसी हैदराबाद से जांच कराई, जिसमें यह राजफाश हुआ कि नकली लॉगिन और संदिग्ध आईपी एड्रेस का इस्तेमाल कर स्टॉक पोर्टल से घटाया गया। यह साफ हुआ कि यह पूरा काम सुनियोजित तरीके से किया गया और इसमें दुकानदारों के साथ-साथ अधिकारी भी बराबर के भागीदार थे। 

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जिला आपूर्ति नियंत्रक सहित अधिकारी आरोपों के घेरे में

मामले की तहकीकात में यह सामने आया कि घटना के दौरान जिम्मेदारी जूनियर सप्लाई ऑफिसर भावना तिवारी, सुचित्रा दुबे, जिला आपूर्ति नियंत्रक नुजहत बानो बकाई और डीपीएमयू अधिकारी अक्षय कुमार खरें के पास थी। इन्हीं के पास पोर्टल की एक्सेस थी और इन्हीं की मौजूदगी में गरीबों के लिए आया राशन कागजों से गायब कर दिया गया। जांच रिपोर्ट ने साफ किया कि बिना अधिकारियों की संलिप्तता के इतना बड़ा राशन घोटाला संभव ही नहीं था।

क्राइम ब्रांच में दर्ज हुई FIR 

आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता 2023 की प्रासंगिक धाराओं के अलावा मध्यप्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2015 और आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत अपराध दर्ज किया गया है। पुलिस अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और संभावना जताई जा रही है कि आगे और बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं। 

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