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सांकेतिक फोटो
जबलपुर के गोपाल बाग तालाब में नहाने के दौरान दो स्कूली बच्चों की डूबने से दर्दनाक मौत हो गई, जिससे पूरे इलाके में मातम छा गया। 14 साल का पवन कोरी और वैभव बुधवार की शाम तालाब में डूब गए थे, जिनके शव गुरुवार को बरामद किए गए। इस हादसे ने न सिर्फ उनके परिवारों को गहरे शोक में डाल दिया, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया कि आखिर कब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी और कब प्रशासन सुरक्षा इंतजामों को लेकर गंभीर होगा?
कैसे हुआ हादसा?
दरअसल, बुधवार को जबलपुर के कई स्कूलों में आठवीं कक्षा की संस्कृत की परीक्षा थी। परीक्षा खत्म होने के बाद पवन और वैभव अपने तीन अन्य दोस्तों के साथ होली खेलने लगे। रंगों से सराबोर इन पांचों बच्चों की मस्ती कुछ देर तक जारी रही, लेकिन जैसे-जैसे शाम ढलने लगी, उन्हें एहसास हुआ कि उनके कपड़े पूरी तरह से खराब हो चुके हैं। इसी दौरान उनमें से किसी ने सुझाव दिया कि चलो तालाब में जाकर कपड़े साफ कर लेते हैं और साथ में नहा भी लेंगे।
तालाब में नहाते समय गहरे पानी में डुबे बच्चे
शाम करीब 4 बजे ये पांचों बच्चे गोपाल बाग तालाब पहुंचे। पहले उन्होंने तालाब के किनारे बैठकर अपने कपड़े धोए, फिर नहाने का विचार किया। सब कुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन अचानक ही नहाने के दौरान वैभव और पवन गहरे पानी में चले गए। तालाब की गहराई और वहां कीचड़ होने की वजह से दोनों खुद को संभाल नहीं सके और देखते ही देखते पानी में समा गए। यह नज़ारा देखकर उनके बाकी तीन दोस्त बुरी तरह डर गए। बजाय किसी को बुलाने या मदद मांगने के, वे वहां से भाग निकले और किसी को इस घटना के बारे में कुछ नहीं बताया।
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तालाब किनारे मिले परीक्षा के पेपर और कपड़े
घटना के कई घंटे बाद रात करीब 10 बजे कुछ स्थानीय लोगों ने तालाब के पास बच्चों के कपड़े और चप्पलें देखीं। इसके साथ ही वहां एक आठवीं कक्षा का संस्कृत का परीक्षा पेपर भी पड़ा हुआ था। बच्चों के कपड़े और परीक्षा के पेपर देखकर स्थानीय लोग सतर्क हो गए। उन्हें तुरंत किसी अनहोनी की आशंका हुई और उन्होंने तुरंत कोतवाली थाना पुलिस को इसकी सूचना दी।
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पुलिस ने चलाया सर्च ऑपरेशन
सूचना मिलते ही कोतवाली थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने मौके का मुआयना किया और सघन जांच शुरू की। इसी दौरान पुलिस को इस बात की जानकारी मिली कि दिन में कुछ बच्चे यहां नहा रहे थे, लेकिन अब वहां कोई नहीं था। इसके बाद गोताखोरों की मदद से रातभर सर्च ऑपरेशन चलाया गया। गुरुवार सुबह जब पवन और वैभव के शव तालाब में मिले, तब जाकर इस दर्दनाक घटना का खुलासा हुआ।
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आखिर तालाब में सुरक्षा के इंतजाम क्यों नहीं?
इस घटना के बाद स्थानीय लोग प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। स्थानीय निवासी पीहू यादव ने बताया कि उन्होंने खुद अपने दोस्तों से सुना था कि कुछ बच्चे तालाब में नहा रहे थे। जब हादसा हुआ, तो बाकी बच्चे डरकर वहां से भाग गए। उन्होंने कहा कि गोपाल बाग तालाब शहर के बीचों-बीच स्थित है और यहां अक्सर लोग घूमने आते हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि तालाब के किनारे कोई गार्ड तैनात होता या सुरक्षा के लिए चेतावनी बोर्ड लगे होते, तो शायद यह हादसा टल सकता था। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि जलस्रोतों के पास सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।
पुलिस ने शुरू की जांच, किन हालात में गए थे बच्चे तालाब में?
कोतवाली थाना पुलिस ने दोनों बच्चों के शवों का पंचनामा कर उन्हें पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज भेज दिया है। अब पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि आखिर बच्चे किन परिस्थितियों में तालाब तक पहुंचे थे। क्या वे अपनी मर्जी से नहाने गए थे, या फिर किसी के कहने पर वहां गए थे?
पुलिस उन तीन अन्य बच्चों से भी पूछताछ कर रही है, जो हादसे के वक्त वहां मौजूद थे लेकिन मदद न करने के बजाय मौके से भाग खड़े हुए। पुलिस का मानना है कि यदि वे तुरंत किसी बड़े को बुलाते या पुलिस को सूचना देते, तो शायद बच्चों को बचाने का प्रयास किया जा सकता था।
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सबक या सिर्फ एक और हादसा?
इस घटना ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि शहर के तालाबों और अन्य जलस्रोतों के आसपास सुरक्षा को लेकर प्रशासन कब गंभीर होगा? शहर में कई ऐसे जलाशय हैं, जहां आए दिन लोग नहाने या घूमने जाते हैं, लेकिन वहां न कोई गार्ड तैनात होता है और न ही कोई सुरक्षा उपाय मौजूद होते हैं।
कब जागेगा प्रशासन?
क्या इस हादसे के बाद प्रशासन जागेगा? क्या गोपाल बाग तालाब के पास चेतावनी बोर्ड लगाए जाएंगे और सुरक्षा के इंतजाम किए जाएंगे? या फिर यह भी सिर्फ एक और दर्दनाक हादसे की तरह भुला दिया जाएगा? फिलहाल, होली की मस्ती में डूबे जबलपुर के इस इलाके में अब मातम पसरा हुआ है। दो मासूम जिंदगियों के असमय चले जाने से पूरा शहर स्तब्ध है।