संजय गुप्ता @ INDORE
राज्य सेवा मेन्स 2023 ( MPPSC MAINS 2023 ) के प्री के रिजल्ट पर संकट तेज हो गया है। जबलपुर हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने द सूत्र की बात को दमदारी से उठाया और कहा कि हाईकोर्ट ने ही अपने पूर्व के आदेश में लिखा है कि अन्य याचिकाकर्ता जो नहीं आ सके, उनके मामले में भी सुनवाई की जा सकती है और तरीख बढ़ाई जा सकती है। ऐसे में जो याचिकाकर्ता नहीं आ सके, उनके लिए भी प्री के इन तीन सवालों को लेकर बात होना चाहिए। अधिवक्ता ने कहा कि 12 मार्च को यह केस लिस्टेड है और आपने सचिव को बुलाया है, लेकिन 11 मार्च को मेंस हैं। जबलपुर हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने इस बात को गंभीरता सुना और कहा कि सुनवाई अब 7 मार्च को रखेंगे। मेन्स शुरू होने के बाद सुनवाई का कोई मतलब नहीं है, आप आयोग को सूचित करें और सचिव को बुलवा लें।
हाईकोर्ट ने कहा कि एक्सपर्ट की विशेषज्ञता तो दिख गई
हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई पहले करने पर आयोग ने आनाकानी की, इस पर हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि कहा कि आपके प्री के सवालों मे एक्सपर्ट की विशेषज्ञता तो पहले ही दिख गई। मैटकॉफ के सवाल को बैंटिंग से जोड़ रहे हैं और आपने ही जो किताब पेश की, उसमें प्रेस की स्वतंत्रता के सवाल में मैटकॉफ को लिखा गया है। अब आप जस्टिफाइ कर रहे हैं कि इसे सवाल में बैंटिंक नहीं मैटकॉफ समझकर जवाब दिया जाए (MP PSC )।
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सवालों को खारिज किया तो बदलना होगा प्री का रिजल्ट
हाईकोर्ट ने जिस तरह से पूरे केस को देखते हुए आयोग की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर की है, उससे प्री के तीन सवालों पर संकट है। इन सवालों से 6 अंक होते हैं, यानि इससे पूरे रिजल्ट में ही बड़ा उलटफेर हो जाएगा। यदि हाईकोर्ट ने इन सवालों को खारिज किया तो फिर प्री के रिजल्ट को रिवाइज्ड करने के सिवा आयोग के पास कोई रास्ता नहीं होगा। हां यदि जिद पर आया तो फिर स्टे लेने जाना होगा, लेकिन इसमें भी लंबा समय लगेगा और उधर 8 से 10 मार्च तक छुट्टी है, ऐसे में राज्य सेवा मेंस को आगे बढ़ाना होगा।
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अन्य याचिकाकर्ताओं के लिए भी खोलना होगी विंडो
अब जिन याचिकाकर्ताओं ने सोमवार को भी याचिका लगाई, उन्हें भी मेन्स में बैठने के आदेश हाईकोर्ट ने कर दिए हैं। अभी आयोग ने एक से चार मार्च तक विंडो खोली थी। अब इसे फिर से खोलना होगी। उधर सात दिन पहले एडमिट कार्ड जारी होते हैं, जो मंगलवार से जारी होना है। लेकिन अभी फार्म ही भराए जा रहे हैं, ऐसे में मेन्स पर फिर एक बार असमंजस है और यह जबलपुर हाईकोर्ट की अगली सुनवाई में ही तय होगा।
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हाईकोर्ट ने 87-13 पर भी उठाया सवाल
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान प्री की कटऑफ लिस्ट को भी समझा। इस दौरान 87-13 फीसदी का फार्मूले पर उन्होंने आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा कि ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण पर तो स्टे है, फिर ऐसे में 13 फीसदी पद क्यों होल्ड हो रहे हैं। हालांकि यह सुनवाई का मुद्दा नहीं था, हाईकोर्ट ने केवल इस फार्मूले को समझने के लिए अधिवक्ताओं से चर्चा की।