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जबलपुर नगर निगम (Jabalpur Municipal Corporation) ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद अपने कर्मचारियों को पदोन्नति करने की बजाए पुनर्विचार याचिका दायर कर दी। जिसके बाद नगर निगम को कोर्ट से मुंहकी खानी पड़ी। कोर्ट ने दायर की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए जबलपुर नगर निगम पर 50 हजार का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि बिना किसी ठोस आधार के पुनर्विचार याचिका दायर करना न्यायालय के समय को व्यर्थ करने के समान है।
आदेश के खिलाफ दायर याचिका
जबलपुर हाईकोर्ट ने कृष्ण कुमार पांडेय बनाम नगर निगम जबलपुर से जुड़े एक मामले में हाईकोर्ट ने 22 जुलाई 2024 को एक आदेश पारित किया था, जिसमें नगर निगम को निर्देश दिया गया था कि वह याचिकाकर्ता कृष्ण कुमार पांडेय के मामले को अन्य कर्मचारियों के समान मानकर उचित निर्णय ले और उप अभियंता के पद पर पदोन्नति करने के लिए विचार करें। जिस पर नगर निगम के द्वारा कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ समीक्षा याचिका को दायर किया गया था।
आदेश के पालन से बचने के लिए दायर याचिका
इस याचिका में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विकास महावार की तरफ से कोर्ट में तर्क दिया गया कि कृष्ण कुमार पांडेय का मामला अन्य कर्मचारियों निर्मल, मनोज पटेल और चंद्रशेखर पटेल से अलग है, क्योंकि उनके पास उप अभियंता के पद पर पदोन्नति के लिए अपेक्षित योग्यता थी, लेकिन कृष्ण कुमार पांडे के पास ऐसी कोई भी योग्यता नहीं है जिस पर उनकी पदोन्नति के लिए विचार किया जा सके। जिस पर कृष्ण कुमार पांडे की ओर से अधिवक्ता ने इस पर विरोध करते हुए बताया कि याचिका में जिन मुद्दों को आधार बनाकर समीक्षा किए जाने पर विचार किए जाने पर जोर दिया जा रहा है उन आधारों में कोई दम नहीं है यह केवल पूर्व में पारित अंतिम आदेश के अनुपालन से बचने का प्रयास है।
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हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
इस याचिका पर सुनवाई जस्टिस संजय द्विवेदी की सिंगल बेंच में हुई जिसमें सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विकास महावर के तथ्यों से संतुष्ट हुआ और नगर निगम की इस पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि यह केवल पहले से दिए गए आदेश को टालने का एक प्रयास है। अदालत ने स्पष्ट किया कि मामले की पूरी तरह से सुनवाई पहले ही हो चुकी है और पुनर्विचार याचिका के माध्यम से उसी मुद्दे को दोबारा उठाने का कोई औचित्य नहीं है।
कोर्ट ने आदेश में सख्त टिप्पणी करते हुए लिखा कि "यह देखने में आ रहा है कि पुनर्विचार याचिका दायर करना एक फैशन बन गया है, भले ही उसमें कोई ठोस आधार न हो। न्यायालय पहले से ही अत्यधिक व्यस्त हैं, फिर भी राज्य संस्थानों द्वारा इस प्रकार की निरर्थक याचिकाएं दायर की जाती हैं जो निंदनीय है।
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अब करना होगा आदेश का पालन
कोर्ट के द्वारा नगर निगम की याचिका को खारिज करते हुए इस पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया कि यह राशि 15 दिनों के भीतर मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर में जमा करनी होगी ओर निगम को इस राशि के भुगतान की रसीद भी कोर्ट में पेश करनी होगी। इसके अलावा कृष्ण कुमार पांडे बनाम नगर निगम जबलपुर के मामले में पारित अंतिम आदेश के अनुपालन भी किया जाएगा।
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5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला
✅ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर नगर निगम की पुनर्विचार याचिका को खारिज किया।
✅ नगर निगम ने कृष्ण कुमार पांडेय के पदोन्नति मामले में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी।
✅ कोर्ट ने नगर निगम पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया और इसे 15 दिनों में जमा करने का निर्देश दिया।
✅ कोर्ट ने याचिका को समय बर्बाद करने के रूप में निंदनीय बताया और राज्य संस्थानों द्वारा ऐसी याचिकाओं को खारिज करने की आवश्यकता जताई।
✅ नगर निगम को पहले से दिए गए आदेश का पालन करने और जुर्माना भुगतान की रसीद कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया गया।
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