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Photograph: (THESOOTR)
चूहों ने कुतरे मरीजों के पैर : अब मध्यप्रदेश के जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में चूहों के काटने का मामला सामने आया है। यहां मानसिक रोग विभाग के अस्थाई वार्ड में चूहों ने दो महिला मरीजों और एक अटेंडर के पैरों पर हमला कर दिया।
हाल ही में इंदौर के एमवाय अस्पताल में चूहों ने दो नवजातों को काट लिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी। इस दर्दनाक घटना पर हाईकोर्ट ने भी प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई थी। लेकिन इसके बावजूद हालात नहीं सुधरे।
वार्ड में बेखौफ घूम रहे चूहे
मानसिक रोग विभाग का भवन फिलहाल मरम्मत के कारण बंद है और मरीजों को अस्थाई रूप से हड्डी रोग विभाग की बिल्डिंग की पहली मंजिल पर शिफ्ट किया गया है। इसी वार्ड में चूहों ने मरीजों पर हमला किया।
- पहली घटना: नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव निवासी एक महिला मरीज अपने बेटे जगदीश मेहरा के साथ यहां भर्ती थी। रात में सोते समय चूहों ने महिला की दोनों एड़ियों पर हमला कर दिया।
- दूसरी घटना: मां की देखरेख के लिए मौजूद एक अटेंडर भी चूहों के हमले से नहीं बच सका और उसके पैरों पर भी चोट आई।
- तीसरी घटना: इसी वार्ड में भर्ती सिहोरा निवासी महिला रजनी भी चूहों का शिकार बनीं। उनके पैर को भी चूहों ने बुरी तरह कुतर डाला।
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परिजनों की शिकायत का असर नहीं
गोटेगांव से आई महिला मरीज के बेटे जगदीश मेहरा ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अम्मा को इलाज के लिए लाए थे, लेकिन यहां तो चूहों ने उनके पैर खराब कर दिए। नर्स को बताया तो कोई कार्रवाई नहीं हुई। पूरे वार्ड में चूहे बेखौफ घूमते रहते हैं और जवाब मिलता है कि इंजेक्शन लगा दो। परिजनों का कहना है कि अस्पताल में चूहों का आतंक लंबे समय से है, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने कभी इसे गंभीरता से नहीं लिया।
जिम्मेदारों पर होगी कार्रवाई: डीन
घटना सामने आने के बाद जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने स्वीकार किया कि “कल तीन लोगों को चूहों ने कुतरा है, जिनमें से एक मरीज डिस्चार्ज हो चुकी है और एक अटेंडर भी है।”
डीन ने कहा कि उन्होंने इस मामले में मेडिकल अस्पताल के अधीक्षक से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में खास तौर पर यह जानकारी देने को कहा गया है कि मरीजों की सुरक्षा में लापरवाही करने वाली देखरेख करने वाली कंपनी के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई।
डीन नवनीत सक्सेना ने भरोसा दिलाया कि इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी और अस्पताल की देखरेख करने वाली कंपनी पर फाइन लगाया जाएगा। वार्ड में तुरंत पेस्ट कंट्रोल और निगरानी के इंतजाम किए जा रहे हैं।
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मरम्मत के बीच अस्थाई वार्ड की खामियां
मानसिक रोग विभाग का भवन मरम्मत में होने के कारण मरीजों को अस्थाई तौर पर दूसरी बिल्डिंग में रखा गया है। लेकिन इस शिफ्टिंग के बाद साफ-सफाई और मरीजों की सुरक्षा ( patient safety ) पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। इसी लापरवाही के चलते अब मरीज और उनके साथ आए परिजन खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
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हाईकोर्ट की फटकार के बाद भी नहीं सुधरी व्यवस्था
इंदौर में चूहों के काटने से दो नवजातों की मौत और अब जबलपुर में गोटेगांव व सिहोरा की महिला मरीजों समेत तीन लोगों को चूहों ने कुतरा, अब यह घटनाएं सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं की पोल खोल रही हैं। अब बड़ा सवाल यही है कि आखिर इंदौर के एमवाय हॉस्पिटल में हादसा में हाईकोर्ट की फटकार के बावजूद अस्पतालों में चूहों का आतंक क्यों खत्म नहीं हुआ?
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मरीजों की सुरक्षा की जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा?
मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक और डीन के द्वारा भी सिर्फ जांच का आश्वासन दिया गया है और वह भी तब जब मरीज के बयान सामने आ गए। अब सवाल खड़े हुए हैं कि क्या हर घटना के बाद सिर्फ जांच और फाइन ही समाधान है, या फिर मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थायी कदम उठाए जाएंगे?