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मध्यप्रदेश: नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जबलपुर में चूहों का आतंक मरीजों और परिजनों के लिए भय और चिंता का कारण बन गया है। बीते दिनों चूहों द्वारा मरीज और उनके अटेंडर को काटे जाने की घटनाओं ने न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी, बल्कि राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए। अब इस मामले में प्रशासन ने सफाई और पेस्ट कंट्रोल का ठेका संभालने वाली एच.एल.एल. इंफ्राटेक सर्विसेज लिमिटेड पर 50 हजार रुपये का जुर्माना ठोंकते हुए सख्त चेतावनी दी है।
औचक निरीक्षण में उजागर हुई गंदगी
मंगलवार की रात कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने डीन और मेडिकल अस्पताल अधीक्षक के साथ अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान मनोरोग विभाग और अन्य हिस्सों में कचरा बिखरा मिला। चूहों से बचाव के लिए रखी जाने वाली गम प्लेट केवल एक ही स्थान पर पाई गई, जबकि इसे पूरे अस्पताल परिसर में होना चाहिए था। निरीक्षण में यह भी पाया गया कि पेस्ट कंट्रोल की दवाइयां बेहद कम मात्रा में थीं। अधिकारियों ने साफ कहा कि यह लापरवाही मरीजों की जान से खिलवाड़ करने जैसी है और अस्पताल की छवि धूमिल करने वाली है।
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कलेक्टर की नाराजगी और कड़ी कार्यवाही के निर्देश
निरीक्षण के दौरान हालात देखकर आईएएस राघवेंद्र सिंह ने गहरी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने मेडिकल अस्पताल अधीक्षक को स्पष्ट निर्देश दिए कि दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो और सफाई व्यवस्था में सुधार तुरंत दिखाई दे। मेडिकल अस्पताल अधीक्षक द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि कंपनी पर लगाया गया 50 हजार रुपये का अर्थदंड उसकी बकाया राशि से वसूला जाएगा। साथ ही, पेस्ट कंट्रोल का सुपरविजन करने वाले सुपरवाइजर और जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
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मरीजों और परिजनों में भय का माहौल
अस्पताल में भर्ती मरीज और उनके परिजन अब असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। हाल ही में वायरल हुई घटना, जिसमें चूहों ने एक मरीज और अटेंडर को काट लिया, ने आम जनता में आक्रोश फैला दिया है। लोगों का कहना है कि अगर राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में यह स्थिति है, तो छोटे जिलों और कस्बों के अस्पतालों की हालत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
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जुर्माने के साथ ही ठेका कंपनी से मांगा गया स्पष्टीकरण
मेडिकल अस्पताल अधीक्षक ने 50 हजार रूपये के जुर्माने के साथ ही कंपनी को तत्काल स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। साथ ही, चेतावनी दी गई है कि यदि सफाई और पेस्ट कंट्रोल व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो और भी कठोर कदम उठाए जाएंगे। अधिकारियों ने यह भी साफ कर दिया कि शासन की छवि को नुकसान पहुंचाने वाली ऐसी लापरवाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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जुर्माना लगाकर हो गई घटना की इतिश्री
ठेका कंपनी पर जुर्माना लगा दिया गया है, लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या केवल जुर्माना वसूलने से समस्या का समाधान हो पाएगा? मरीजों की सुरक्षा, संक्रमण का खतरा और अस्पताल की साख जैसे मुद्दे कहीं ज्यादा गंभीर हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या का स्थायी समाधान तभी संभव है जब अस्पताल प्रशासन और शासन मिलकर दीर्घकालिक व्यवस्था लागू करें और जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाए।