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जबलपुर में मेडिकल अस्पताल में डॉक्टरों की कॉन्फ्रेंस में टॉयलेट के पानी से खाना बनाने का वीडियो जो बहुत ही तेजी से वायरल हुआ था वह वीडियो मेडिकल प्रशासन के अनुसार पूरी तरह से फर्जी था, यहां तक की इस कांफ्रेंस में जिस जगह का यह वीडियो है वहां पर डॉक्टर्स ने खाना ही नहीं खाया था।
बीते दिनों जबलपुर शहर में एक वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत ही तेजी से वायरल हुआ था। इस वीडियो के सामने आने के बाद यह आरोप लगाया गया था कि जबलपुर के मेडिकल अस्पताल में हो रही एनेस्थीसिया डॉक्टर्स की वर्कशॉप में डॉक्टर को वह खाना परोसा गया है जो टॉयलेट के पानी से बन रहा था। लेकिन मेडिकल प्रशासन ने इस वीडियो से पल्ला झाड़ने हुए यह साफ कह दिया है कि वहां पर डॉक्टर ने खाना ही नहीं खाया था।
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इस वीडियो के सामने आने के बाद जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस अस्पताल के अधीक्षक अरविंद शर्मा ने एनेस्थीसिया कॉन्फ्रेंस में खाने की सप्लाई करने वाले वेंडर से जानकारी ली तब यह पता चला की खाना बनाने की उस स्थान पर अनुमति ही नहीं दी गई थी और वेंडर अपने जगह से यह खाना बनाकर लाया था। किन्हीं कारणों से डॉक्टरों के वहां ना पहुंचने के कारण खाना खाया ही नहीं गया और खाना सर्व करने के निकले गए बचे हुए बर्तनों को जब धोया जा रहा था तब यह वीडियो बनाया गया और इसे गलत तरीके से वायरल किया गया। हालांकि यदि वीडियो में देखा जाए तो साफ नजर आ रहा है कि कुछ कर्मचारी आलू छील रहे हैं और एक और गैस स्टोव में कुछ पकाया भी जा रहा है। हालांकि टॉयलेट से निकले हुए पाइप के पानी का उपयोग खाने में करते हुए साफ साफ इस वीडियो में दिखाई नहीं दे रहा है।
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जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अस्पताल में आयोजित इस एनेस्थीसिया वर्कशॉप को संचालित करने वाले सेक्रेटरी से जबलपुर मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक ने जब इस मामले की जानकारी मांगी तब उन्हें यह पता चला कि यह वर्कशॉप और कॉन्फ्रेंस ऑनलाइन आयोजित की गई थी। इस कांफ्रेंस का वेन्यू जबलपुर का आईटीसी वेलकम होटल था। नेटवर्क एवं अन्य तकनीकी कारणों से यह कॉन्फ्रेंस सुचारू नहीं हो पाई इसके बाद जबलपुर आए हुए डेलीगेट्स मेडिकल पहुंचे ही नहीं और उन्होंने होटल से ही कॉन्फ्रेंस अटेंड की और वहीं पर खाना खाया था। तो आखिरकार इस वीडियो में किया जा रहे हैं दावों से मेडिकल प्रशासन ने पल्ला झाड़ लिया है और इन्हें सिरे से नकार दिया है।
अब इस वायरल हो रहे हैं वीडियो में कितनी सत्यता थी यह तो खाना बनाने वाला वेंडर या इस वीडियो को रिकॉर्ड करने वाले व्यक्ति सहित इस कांफ्रेंस में आए डॉक्टर ही जानते हैं, लेकिन वीडियो के सामने आने के बाद मामले की जांच में मेडिकल प्रशासन ने इस वीडियो को गलत करार दे दिया है।
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