मध्य प्रदेश हाइकोर्ट ने आयुध निर्माणी, जबलपुर पर हमला करने की साजिश के आरोप में गिरफ्तार एक कथित ISIS समर्थक की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने अपने फैसले में धार्मिक आतंकवाद को "दुखद और खतरनाक" करार दिया और कहा कि ऐसे मामलों में अदालत उदारता नहीं दिखा सकती। आपको बता दें कि इसके पहले भी आरोपियों के द्वारा भोपाल जिला एवं सत्र कोर्ट में जमानत याचिका का आवेदन दिया गया था जिससे निचली अदालत ने भी खारिज कर दिया था।
धार्मिक आतंकवाद है घातक - हाइकोर्ट
जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने कहा कि "धार्मिक आतंकवाद समाज और व्यक्तियों के लिए घातक है। किसी भी धर्म का उद्देश्य हिंसा नहीं है। ऐसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे व्यक्ति को जमानत नहीं दी जा सकती।" अदालत ने कहा कि इस मामले का ट्रायल सही गति से चल रहा है और तय समय में पूरा होने की संभावना है।
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NIA ने लगाए हैं गंभीर आरोप
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आरोप लगाया कि अपीलकर्ता और उसके साथियों ने ISIS के वीडियो देखकर कट्टरपंथी विचारधारा अपनाई। उन्होंने जबलपुर स्थित आयुध निर्माणी पर हमला कर हथियार लूटने और असफल होने पर उसे उड़ा देने की साजिश रची थी। जांच के दौरान आरोपियों के पास से ISIS के प्रचार से जुड़े दस्तावेज, डिजिटल सामग्री, पर्चे और आपत्तिजनक साहित्य बरामद हुआ था।
नया संगठन खड़ा करने की साजिश रच रहे थे आरोपी
अदालत ने कहा कि मामले से जुड़े सबूत अपीलकर्ता की संलिप्तता को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। चार्जशीट के मुताबिक, आरोपी ने आतंकवादी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और उन्हें अंजाम देने में सक्रिय भूमिका निभाई। आरोपी भारत के संविधान को नष्ट करने और अपनी विचारधारा का समर्थन करने के लिए नया संगठन खड़ा करने की योजना बना रहे थे।
आईएसआईएस के लिए भर्ती और फैक्ट्री को उड़ाने की थी प्लानिंग
मई 2023 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एमपी के जबलपुर में आईएसआईएस से जुड़े बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ कर चार लोगों की गिरफ्तार करने के साथ करीब आधा दर्जन संदिग्धों को हिरासत में लिया था। एनआईए ने बताया था कि मोहम्मद आदिल सोशल मीडिया पर जमीनी दावत के लिए ग्रुप बनाकर आईएसआईएस के लिए प्रेषित कर अपनी जैसी विचारधारा के युवकों को भर्ती कर रहा था। इसी तरह कासिफ खान और अन्य आरोपी भी सोशल मीडिया को इस्तेमाल कर बम बनाने तक की जानकारी साझा कर रहे थे। वहीं हिंदू देवी देवताओं के लिए अपमानजनक मैसेज भेजते हुए मस्जिदों में बैठकर भी कर रहे थे। एनआईए ने बताया कि उनकी प्लानिंग जबलपुर की आयुध फैक्ट्री को कब्जे में लेकर हथियारों की लूट करना था और यदि यह अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाए तो यह धमाके से फैक्ट्री को उड़ाने की प्लानिंग कर रहे थे।
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आरोपियों की जमानत हुई खारिज
अपीलकर्ता के वकील ने दावा किया कि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वह झूठा फंसाया गया है। हालांकि, अदालत ने कहा कि आतंकवाद के मामलों में आरोपी का आपराधिक इतिहास होना अनिवार्य नहीं है।अदालत ने यूएपीए की धारा 43डी(5) का हवाला देते हुए कहा कि गंभीर आरोपों वाले मामलों में जमानत नहीं दी जा सकती। न्यायालय ने माना कि आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं, जो सामाजिक सौहार्द और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं। इस आधार पर हाइकोर्ट ने आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने साफ किया कि आतंकवादी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाई जा सकती।