Indore. विधानसभा दो के वार्ड 24 से पार्षद जीतू यादव (जाटव) के कांड ने इंदौर की राजनीति में अंदरूनी तूफान ला दिया है इस कांड ने कई नेताओं के चिट्ठे और दिल्ली तक एक बार फिर पहुंचा दिए हैं। साथ ही यह भी कि कौन सा नेता कितने गुंडों को माई बाप बनकर काम करता है। भले ही यह पूरा कांड जीतू यादव ने व्यक्तिगत तौर पर किया है लेकिन इस पूरे कांड ने मंत्री कैलाश विजयवर्गीय गुट की छवि को दिल्ली से भोपाल और इंदौर में जमकर झटका लगा है। वहीं विधानसभा चार की विधायक मालिनी गौड़ के साथ ही उनके पुत्र एकलव्य गौड़ जिस तरह से आक्रामक हुए और जुटे रहे इससे पूरी विधानसभा में इनकी छवि मजबूत हुई है। वहीं बाकी नेता तो बुरी तरह पिटा गया, उनके मुंह में दही जमा रहा। इसमें विपक्ष कांग्रेस के नेता भी है।
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इंदौरी नेताओं का इस कांड से यह हुआ हाल
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय- घटना के छह दिन तक कुछ नहीं बोले, बाद में एक इंटरव्यू छपा (या छपवाया गया) जिसमें वह इस घटना की निंदा तो कर रहे हैं। लेकिन जीतू पर सीधे कुछ नहीं बोले। बस घटना दुर्भाग्यपूर्ण बताई।
विधायक रमेश मेंदोला- घटना को हलके में लिया और जीतू का समर्थन किया। विधानसभा दो के उनके समर्थक पार्षद, निगम सभापति खुलकर जीतू के समर्थन में आए और सीएम से भी मिलवाया। दादा दयालु की छवि को जमकर नुकसान हुआ।
पूर्व विधायक आकाश- मंत्रीपुत्र और पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय को अप्रत्यक्ष तौर पर इससे नुकसान हो गया। क्योंकि एक बार फिर दिल्ली में इस कांड के बहाने उनका बल्लाकांड चर्चा में आ गया। छवि यही गई कि विधानसभा एक और दो के लोग इस तरह के उत्पात करते रहते हैं। आने वाले समय में मुश्किलें पैदा कर देगा।
सांसद शंकर लालवानी- सांसद ने खुद की किरकिरी कराने में कोई कमी नहीं रखी। सीएम डॉ. मोहन यादव के घटना पर बोलने के बाद, छह दिन बाद वह जागे और दो लाइन का ट्वीट किया। सिंधी समाज के देश से इकलौते सांसद होने के बाद भी वह कालरा के ना घर गए और ना ही इस संबंध में सख्त रुख अपनाया और ना ही कार्रवाई की बात उठाई।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव- इस कांड ने उनकी छवि को भारी डैमेज किया। वह केवल घटना दुर्भाग्यपूर्ण बता रहे लेकिन इस मामले में जीतू को लेकर कोई बयान नहीं दिया। नगर निगम से सीधे विवाद जुड़ा होने के बाद भी उनकी चुप्पी कई लोगों को चुभ गई।
विधायक गोलू, मधु, हार्डिया व अन्य- शहर ने एक बार फिर मान लिया कि कोई भी नेता उनके लिए दम नहीं भर सकता है। विधायक गोलू शुक्ला को शहर के जुड़े बड़े मुद्दों से कोई लेना-देना ही नहीं है। वैसे भी वह खुद ही अपने बच्चों के कारण गलत छवि के रूप में प्रचारित होते रहते हैं, शहर में जगह-जगह पोस्टर लगाना उनका भी शगल है और वह भी किसी की परवाह नहीं पालते हैं। राउ विधायक मधु वर्मा और विधायक महेंद्र हार्डिया ने तो सालों तक शहर के किसी बडे़ मुद्दे पर आवाज नहीं उठाई तो फिर जब मामला सीधे मंत्री गुट से था तो वह कैसे बोलते। इसी तरह विधायक उषा ठाकुर और मनोज पटेल ने भी कोई टीका-टिप्पणी नहीं की और चुप रहे, शायद मान लिया कि यह इंदौर शहर का मुद्दा है और ग्रामीण विधायक का कोई लेना-देना नहीं है।
मंत्री तुलसी सिलावट- मंत्री तुलसी सिलावट ने भी खुद को गांव के विधायक तक ही सीमित किया हुआ है वह केवल अपने मुद्दे और अपने कन्फेक्शनरी कारोबारी मित्र संजय जैसवानी जैसों को बचाने में ही सक्रिय दिखे हैं। उन्हें भी शहर के बड़े मुद्दों से कोई वास्ता नहीं है।
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विधायक मालिनी गौड़ और एकलव्य
इस कांड में जिस तरह से विधायक गौड़ बाहर निकलीं उसने सभी को अचंभे में ला दिया। आक्रामक तौर पर गौड़ सामने आईं और वह कालरा और उनके परिजन को प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा से और फिर सीएम डॉ. मोहन यादव से भी मिलाने ले गईं। बताया जा रहा है कि इस पूरी घटना के वीडियो और ऑडियो भी उन्होंने ही पार्टी स्तर पर दिल्ली तक पहुंचाए और चुप नहीं रहने वाली बात बता दी। पुत्र एकलव्य गौड़ भी तेजी से इस मामले में विधानसभा चार में आगे बढ़े, उनके ट्वीट लगातार चर्चा में बने रहे।
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