मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हाल ही में पार्टी नेताओं से नाराजगी की खबरों को निराधार बताते हुए साफ किया है कि कांग्रेस पार्टी की मजबूती के लिए सभी नेता एकजुट हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में कोई विवाद नहीं है और मीडिया में जो कयास लगाए जा रहे हैं, वे बेबुनियाद हैं। दरअसल, सोमवार को कांग्रेस की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक के दौरान कमलनाथ ने नाराजगी व्यक्त की थी, जिसके बाद यह विवाद मीडिया में आया। बुधवार को उन्होंने इस बारे में सफाई दी और मीडिया की गलतफहमी को दूर किया है।
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कमलनाथ का बयान
कमलनाथ ने स्पष्ट किया कि पार्टी की मजबूती और प्रदेश की व्यवस्था को सही दिशा में लाने के लिए सभी कांग्रेसजन एकजुट हैं। उनके अनुसार, इस मामले में कोई विवाद नहीं है, और यह मीडिया द्वारा उछाली गई अफवाहें हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी बात रखी और पार्टी में एकता बनाए रखने की अपील की।
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विवाद का मुख्य कारण
दरअसल, कमलनाथ ने सोमवार को कांग्रेस की वर्चुअल बैठक में यह आरोप लगाया था कि उन्हें पार्टी की बैठक की सूचना नहीं दी जाती और उनकी राय भी नहीं ली जाती। यह नाराजगी पार्टी के भीतर बढ़ती असहमति और सहयोग की कमी को दर्शाती है। दिग्विजय सिंह और मीनाक्षी नटराजन ने भी कमलनाथ की बातों से सहमति जताई और पार्टी के भीतर संवाद की कमी की ओर इशारा किया।
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नियुक्तियों पर भी उठाए सवाल
कमलनाथ ने नियुक्तियों के मामले में भी अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि उन्हें नियुक्तियों के बारे में कभी नहीं पूछा जाता और सीनियर नेताओं से भी इस बारे में चर्चा नहीं की जाती। यह टिप्पणी पार्टी में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर सवाल उठाती है और यह संकेत देती है कि पार्टी के भीतर एक गहरी असहमति हो सकती है।
कांग्रेस के भीतर संवाद की कमी
कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों ने ही कांग्रेस के भीतर संवाद की कमी पर चिंता व्यक्त की। दिग्विजय सिंह ने बताया कि वे भी बैठक के एजेंडे को आखिरी समय पर प्राप्त करते हैं और यह स्थिति पार्टी के कार्यों को प्रभावित कर रही है। उन्होंने भी बैठक के आयोजन में पारदर्शिता की कमी की ओर इशारा किया।
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