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BHOPAL. आउटसोर्स कर्मचारियों के राजधानी में हल्लाबोल आंदोलन की तैयारी के बीच पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ उनके पक्ष में आ गए हैं। 7 सितम्बर को भोपाल में प्रदर्शन प्रस्तावित है। कमलनाथ ने आउटसोर्स कर्मचारियों के शोषण पत्र चिंता जताई है और उनके भविष्य को सुरक्षित करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव से लघु कैडर बनाने की मांग की है।
कमलनाथ ने रखी लघु कैडर की मांग
आउटसोर्स, अस्थायी, संविदाकर्मियों के इस बड़े आंदोलन को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ उनके समर्थन में आ गए हैं। पूर्व सीएम ने मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में नाथ ने लिखा है कि आउटसोर्स कर्मचारी के भविष्य के साथ अन्याय हो रहा है।
पंचायतों, स्कूल- छात्रावास, अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, राजस्व सर्वेयर, सफाईकर्मी सरकारी विभागों के लिए काम करते हैं। इसके बावजूद उन्हें न्यूनतम वेतन भी नहीं मिल रहा।
ऐसे कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए प्रदेश में लघु कैडर बनाकर चौथे दर्ज के कर्मचारियों को स्थायी बनाया जाना चाहिए। उन्होंने आउटसोर्स कर्मियों की मांग का समर्थन करते हुए सीएम डॉ. मोहन यादव से उत्तरप्रदेश की तर्ज पर आउटसोर्स सेवा निगम का गठन कर विभागीय स्तर से वेतन भुगतान की प्रक्रिया शुरू करने का आग्रह किया है।
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आंदोलन की राह पर आउटसोर्सकर्मी
सरकारी महकमों में कार्यरत आउटसोर्सकर्मियों में कंपनियों के शोषण से असंतोष बढ़ता जा रहा है। कंपनी द्वारा कर्मचारियों के नाम पर विभागों से जो राशि ली जाती है उसमें कटौती कर वेतन दिया जा रहा है।
कर्मचारियों को साप्ताहिक, चिकित्सा और प्रसूति अवकाश न देकर श्रम कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है। इन कर्मचारियों से 12 से 14 घंटे काम कराया जा रहा है। प्रदेश में आउटसोर्सकर्मियों के पीएफ में हेराफेरी के भी कई मामले सामने आ चुके हैं लेकिन कंपनियों पर कार्रवाई नहीं हुई। अब ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स- अस्थायी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा 7 सितम्बर को भोपाल में प्रदेश व्यापी प्रदर्शन की तैयारी कर रहा है।
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कंपनियों के प्रभाव में मप्र सरकार
संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा इस आंदोलन की अगवाई कर रहे हैं। उनका कहना है आउटसोर्स, अस्थायी, दैनिक वेतन भोगी और संविदाकर्मियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
पंचायतों में पंप ऑपरेटर, चौकीदार, चपरासी, सफाईकर्मी, रसोइयों को चार से पांच हजार रुपए वेतन दिया जा रहा है। वहीं आउटसोर्स कंपनियां अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, स्कूल, छात्रावास और दूसरे विभागों को कर्मचारी उपलब्ध कराती हैं।
इन कर्मचारियों के वेतन के नाम पर सरकार से जो राशि ली जाती है उसमें कटौती कर वेतन बांटा जाता है। श्रम और भविष्यनिधि की राशि जमा करने में भी अनियमिता बरती जा रही है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 12,500 से 16,500 रुपए न्यूनतम वेतन घोषित है लेकिन इससे कम राशि दी जा रही है।
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